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दरिंदों को फांसी के तख्‍त तक पहुंचाते हैं इंस्पेक्टर विपिन चंद्र पंत

विपिन चंद्र उत्तराखंड में इकलौते विवेचक हैं, जिनकी चार्जशीट के आधार पर अदालत ने मासूमों के साथ दरिंदगी और उनकी हत्या करने के दो जघन्य अपराध के अभियुक्तों को फांसी की सजा सुनाई।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 27 Jan 2019 08:09 PM (IST)
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दरिंदों को फांसी के तख्‍त तक पहुंचाते हैं इंस्पेक्टर विपिन चंद्र पंत
नैनीताल, किशोर जोशी : सामान्य कद काठी और मित्र पुलिस की अवधारणा को साकार करते हैं इंस्पेक्टर विपिन चंद्र पंत। उत्तराखंड में इकलौते विवेचक हैं, जिनकी चार्जशीट के आधार पर अदालत ने मासूमों के साथ दरिंदगी और उनकी हत्या करने के दो जघन्य अपराध के अभियुक्तों को फांसी की सजा सुनाई। एक दर्जन से अधिक ब्लाइंड मर्डर का खुलासा कर जनता में पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ाया। उत्कृष्टï जांच, अपराधियों के गिरेबां तक पहुंचने के लिए अनुभव के रास्तों की जानकारी होने की वजह से दो बार राज्यपाल पुरस्कार मिल चुका है।

लालकुआं का संजना केस
दस जुलाई 2012 की रात तिवारी नगर बिंदुखत्ता की बेटी संजना एकाएक बिस्तर से गायब हो गई। सुबह काफी खोजबीन के बाद उसका शव खेत से बरामद हुआ। इसके बाद वामपंथी विचारधारा वाले संगठनों ने इस हत्याकांड को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। धीरे-धीरे जनाक्रोश भड़क उठा। पुलिस पर चौतरफा दबाव बढ़ा तो तो असली मुजरिम को पकडऩे की चुनौती पैदा हो गई। इस मामले की जांच निरीक्षक राजकिशोर फस्र्वाण कर रहे थे, केस के खुलासे के लिए उच्चाधिकारियों द्वारा इंस्पेक्टर पंत को विवेचना में लगा दिया। लगातार दिशा-निर्देशन में जांच आगे बढ़ाई तो मुजरिम की पहचान के लिए 57 संदिग्ध लोगों के डीएनए जांच के लिए भेजे गए, जिसके आधार पर मुजरिम दीपक आर्या को गिरफ्तार किया। 25 जुलाई 2013 को आरोप पत्र दाखिल किया तो 28 फरवरी 2014 को जिला एवं सत्र न्यायाधीश मीना तिवारी ने अभियुक्त दीपक को दुष्कर्म, हत्या व अन्य धाराओं में दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई।

छह साल की बच्‍ची को दिलाया न्‍याय
20 नवंबर 2014 को काठगोदाम में रिश्तेदार की शादी में पिता के साथ आई करीब छह साल की बच्ची एकाएक गायब हो गई। जब बच्ची का पता नहीं लगा तो हल्द्वानी से पिथौरागढ़ तक जनाक्रोश भड़क उठा और लोग पुलिस के खिलाफ सड़क पर उतर आए। सरकार भी भारी दबाव में आ गई। ऐसे में विवेचक पंत के समक्ष असली मुजरिम को जल्द गिरफ्तार करने की चुनौती थी। काठगोदाम में शव बरामद होने के बाद हत्यारों को गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने जाल बिछा दिया। बाद में डंपर चालक अख्तर अली व दो अन्य की गिरफ्तारी वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर हुई। इस हत्याकांड में अभियुक्त अख्तर अली को जिला कोर्ट से फांसी की सजा सुनाई।

हत्‍यारे भाई का मामला खोला
पिछले साल 12 जनवरी को मंगोली चौकी क्षेत्र के अंतर्गत खुर्पाताल के समीप सड़क किनारे अज्ञात शव मिला। उसकी गला घोंटकर हत्या के बाद खाई में फेंका गया था। पंत ने मृतक की पहचान के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया तो हत्याकांड से पर्दा हट गया। मृतक की पहचान मनोज चौधरी निवासी टांडा अमरपुर थाना बिलारी मुरादाबाद के रूप में हुई, जबकि खुलासा हुआ कि जमीन हथियाने की वजह से उसके भाई ने साथियों की मदद से हत्या को अंजाम दिया था। इस मामले के आरोपित फिलहाल जेल में हैं और आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया जा चुका है।

माअाेवादियों से भी ली टक्‍कर
2004 में बनबसा थानाध्यक्ष के रूप में बड़ी चुनौती सामने आ गई। बनबसा में गड्ढा चौकी में छेड़खानी करने पर नेपाल के माओवादियों ने हरियाणा के दो पर्यटकों का अपहरण कर लिया। पंत ने वेश बदलकर माओवादियों के कमांडर तक पहुंच गए और अपहरण कर्ताओं को सूझबूझ के साथ छुड़ाया। बनबसा में ही दिल्ली से लूटकर लाए चार किलो सोना बरामद किया। पिछले साल उत्तरकाशी में किशोरी की हत्या हुई तो जनाक्रोश भड़कने के बाद पुलिस मुख्यालय से केस के खुलासे के लिए पंत को भेजा गया। 1990 से पुलिस में सेवाएं दे रहे पंत गाजियाबाद, नोएडा, पिथौरागढ़, देहरादून, लोहाघाट, चमोली में सेवाएं दे चुके हैं।

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