उत्तराखंड में नशे ने किसी का इकलौता भाई छीन लिया तो किसी को पति से किया दूर nainital news
नशे के चंगुल में फंसे युवा या तो परिवार में बिखराव की वजह बनते जा रहे हैं या फिर परिजनों को जिंदगी भर का दुख देकर कम उम्र में ही काल के गाल में समा रहे हैं।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 17 Dec 2019 11:33 AM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : नशा सिर्फ शरीर ही नहीं परिवार भी बर्बाद कर रहा है। नशे के चंगुल में फंसे युवा या तो परिवार में बिखराव की वजह बनते जा रहे हैं या फिर परिजनों को जिंदगी भर का दुख देकर कम उम्र में ही काल के गाल में समा रहे हैं। महानगर हल्द्वानी में करीब आठ माह पूर्व नशे ने इकलौते भाई को उसकी पांच बहनों से हमेशा के लिए दूर कर दिया। इसी तरह पिता की मौत के बाद हल्द्वानी के दो सगे भाईयों ने नशे की राह पकड़ ली। नशे के कारण बर्बाद हुए परिवार के लोगों ने दैनिक जागरण को आपबीती बताई।
कई परिवारों की तबाह हो गईं खुशियां आठ माह पूर्व हल्द्वानी में बरेली रोड निवासी एक युवक की नशे की ओवरडोज के चलते मौत हो गई। तब उसकी उम्र महज 30 साल थी। पांच बहनों का इकलौता भाई न जाने कब नशे के दलदल में फंसता चला गया, परिजनों को इसकी भनक तक नहीं लगी। बहनों ने बताया कि उनके पिता की पहले ही मौत हो गई थी। भाई नशे के सौदागरों के जाल में फंस गया था। उसकी प्राइवेट नौकरी से घर चलता था। उसकी मौत के बाद परिवार की खुशियां काफूर हो गई। हल्द्वानी में पहाड़ व मैदान दोनों तरफ से नशा खपाया जा रहा है। इसी की बानगी है कि नवंबर माह में एक ऐसा मामला सामने आया जिससे सभी के पैरों तले जमीन खिसक गई। 11 वीं कक्षा की एक छात्रा नशे की आदी हो गई। नशे के चक्कर में नशेडिय़ों के बीच उठना-बैठना बढ़ गया। नशेडिय़ों ने छात्रा का खूब शारीरिक शोषण किया। आठ माह का गर्भ ठहरने के बाद मामला खुला।
नशे की पूर्ति के लिए चुनी चोरी की राह ऊधमङ्क्षसह नगर में स्मैक, अफीम, चरस, शराब, हेरोइन, नशीले इंजेक्शन और कैप्सूल का धंधा खूब फलफूल रहा है। दैनिक जागरण ने नशे के चंगुल में फंसे युवाओं के परिजनों से बात की। सुभाष कॉलोनी निवासी महिला ने बताया कि उसके पति की पूर्व में मौत हो चुकी है। बड़ा बेटा पहले कमाता था, लेकिन गलत संगत में पड़कर वह नशीले इंजेक्शन और कैप्सूल का सेवन करने लगा। इससे उसका काम धंधा छूट गया। नशे की लत पूरी करने के लिए वह चोरी भी करने लगा। अब वह और उसकी दोनों पुत्रियां घरों में काम करने को मजबूर हैं। रम्पुरा निवासी व्यक्ति ने बताया कि उनका इकलौता बेटा है। मेहनत मजदूरी कर उसे पढ़ाने के लिए स्कूल भेजा। जब वह कक्षा 9 में पहुंचा तो नशा करने लगा। कई बार समझाया लेकिन नहीं माना। नशे के लिए रुपये देने से इन्कार करने पर वह घर में मारपीट और चोरी करता है।
अल्मोड़ा में अमीरजादों की रगों में दौड़ रहा महंगा नशा सांस्कृतिक नगरी में अमीर परिवारों के नौजवान नशे की गिरफ्त में हैं। महज 18 से 19 साल की उम्र के ये युवा महंगे नशे के शौकीन हैं। बच्चों की लत से परेशान परिजन नशामुक्ति केंद्र हवालबाग गए। जहां नशेड़ी बच्चे भर्ती किए गए। इलाज भी चला। मगर मोह में फंसे अभिभावक ज्यादा दिन बच्चों से दूर नहीं रह सके और उन्हें घर ले आए। ऐसे में इन नौजवानों को इलाज के बीच में ही साथ ले जाने से अमुक लती छात्रों के दोबारा नशे में डूबने का खतरा बन जाता है। नशा मुक्ति केंद्र के नोडल अधिकारी डॉ. अजीत तिवारी ने बताया कि अब तक सैकड़ों छात्रों छात्रों को इलाज के लिए यहां लाया चुका है।
नशे की खुशी में डूबे युवाओं ने परिवार के निकाले आंसूबागेश्वर जिले में नशे के कारण कई परिवार बर्बाद हुए हैं। भरी जवानी में किसी ने अपना पति खोया और किसी ने भाई और बेटा। सस्ती शराब, चरस हर घर तक आसानी से पहुंच रही है। नशे की लत छुड़ाने के लिए लोकलाज के भय से चुपचाप लाखों रुपये बहाए जाते हैं। लेकिन नशा फिर उन्हें अपनी गिरफ्त में ले लेता है। नशामुक्ति मिशन को लेकर जागरूकता फैला रहे अधिवक्ता डीके जोशी ने बताया कि गोष्ठी और काउंसङ्क्षलग के जरिये वे नशाखोरी रोकने को जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। लेकिन जब तक नशे पर सरकार की तरफ से पूरी तरह पाबंदी नहीं लग जाती है, यह अभियान अधूरा है।
बच्चों को आजाद छोड़कर अब पछता रहे अभिभावक चम्पावत जिले में नशे की लत ने सैकड़ों बच्चों का भविष्य बर्बाद किया है। अभिभावकों के नियंत्रण से बाहर हो चुके जिले के 44 किशोरों व युवाओं का उपचार नशामुक्ति केंद्र में चल रहा है। जिला मुख्यालय के खर्ककार्की, मुडिय़ानी, कफल्टा, लोहाघाट के सुईं पऊ, पाटन, राईंकोट कुंवर, बाराकोट और पम्दा, काकड़ समेत कई गांवों के किशोर नशामुक्ति केंद्र में भर्ती हैं। नशे के जाल में फंस चुके इन बच्चों के अभिभावकों ने बताया कि स्कूल में गलत संगत में फंसने के कारण उनके बच्चे नशे के आदी हो गए। उन्होंने स्वीकार किया कि स्कूल टाइम में उन्होंने अपने बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान नहीं दिया। नशे की गिरफ्त में जा चुके इन बच्चों के परिवारों को सबकुछ लुटने जैसा मलाल हो रहा है। एसपी धीरेंद्र गुंज्याल ने बताया कि जिले के 20 फीसदी स्कूली बच्चे किसी न किसी नशे का सेवन कर रहे हैं। ऐसे बच्चों की पहचान कर उन्हें सही रास्ते पर लाने का प्रयास किया जा रहा है।
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