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जगतगुरु शंकराचार्य का बड़ा बयान, आइएएस-आइपीएस का प्रशिक्षण भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं

जगतगुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि गुप्त या प्रकट रीति से देश का संचालन करने वाले आइएएस व आइपीएस का प्रशिक्षण भारतीय संस्कृति के विरूद्ध है। स्वतंत्र भारत में भी आइएएस व आइपीएस का प्रशिक्षण इस ढंग से नहीं हुआ कि वह सचमुच में राष्ट्र के काम आ सकें।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 28 Nov 2021 06:21 PM (IST)
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जगतगुरु शंकराचार्य का बड़ा बयान, आइएएस-आइपीएस का प्रशिक्षण भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं
हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : गोवर्धन मठ पुरी के जगतगुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि गुप्त या प्रकट रीति से देश का संचालन करने वाले आइएएस व आइपीएस का प्रशिक्षण भारतीय संस्कृति के विरूद्ध है। स्वतंत्र भारत में भी आइएएस व आइपीएस का प्रशिक्षण इस ढंग से नहीं हुआ कि वह सचमुच में राष्ट्र के काम आ सकें।

उत्तराखंड प्रवास पर आए जगतगुरु शंकराचार्य रविवार को हल्द्वानी के चारधाम मंदिर में धर्मसभा के दौरान प्रबुद्धजनों के सवालों के जवाब दिए। शंकराचार्य ने कहा कि हम लोगों का जीवन राष्ट्र उत्कर्ष के लिए समर्पित है। राष्ट्र की बेहतरी के लिए आपस में बैठकर विकास की अच्छी तरह समीक्षा हो। उसका स्वरूप निर्धारित हो। भारत, भारत के रूप में उद्भाषित हो। दाल में नमक के समान विकास को क्रियान्वित करें। भव्य भारत की संरचना करें, ताकि हम विश्व के आकर्षण का केंद्र बनें।

भारत को अमेरिका बना देने से हमारा राष्ट्र विश्व के आकर्षण का केंद्र नहीं बनेगा। शंकराचार्य ने कहा, समूचा विश्व भारत को सनातन व आदर्श रूप में ही देखना चाहता है। इसके लिए उन्होंने उदाहरण दिया कि देश के पहले पीएम ने अपनी बहन को रूस में राजदूत बनाकर भेजा था। वहां से राष्ट्रपति ने यह कहते हुए उनसे बात करने से मना कर दिया कि ब्राह्मण कुल व भारत के पीएम की ऐसी बहन से वह बात करना पसंद नहीं करते जिनके अंग्रेजी कट बाल हों। तब डा. सर्वपल्ली राधा कृष्णन को राजदूत बनाकर रूस भेजा गया था।

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