Uttarakhand Lockdown Day 5 : महज मुट्ठी भर अनाज और जम्मू का 1200 किमी पैदल सफर, सोचकर कांप जा रही रूह
बेरोजगारी का दंश उन्हे अपने परिवार से करीब 1200 किमी दूर देवभूमि उत्तराखंड खींच लाया। सोचे थे चार पैसा कमाएंगे और घर भी भेजेंगे।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 29 Mar 2020 10:25 AM (IST)
गरमपानी, जेएनएन : बेरोजगारी का दंश उन्हे अपने परिवार से करीब 1200 किमी दूर देवभूमि उत्तराखंड खींच लाया। सोचे थे चार पैसा कमाएंगे और घर भी भेजेंगे। लेकिन कोरोना वायरस का संक्रमण राेकने के लिए हुए लॉकडाउन ने जम्मू के इन युवाओं को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया। रोजगार जो गया से गया ही, अब तो खाने तक के लाले पड गए हैं। घर की चिंता भी सता रही है। पर 1200 किमी का सफर पैदल तय करने में सोचकर रूह कांप जा रही है। हालत ये है कि अब श्रमिकों के पास सिर्फ दो दिन का भोजन ही शेष बचा है। अब बस सब यही दुआ कर रहे हैं कि देश के हालात जल्द सुधरे सब स्वस्थ्य हो और जिंदगी एक बार फिर पटरी पर लौट आए।
जम्मू कश्मीर से रोजगार के लिए अल्मोडा़-हल्द्वानी हाईवे से सटे जजूला गांव आए 18 श्रमिक लॉकडाउन के कारण फंसे हुए हैं। करीब सात माह पूर्व जम्मू-कश्मीर के रियासी जनपद के कुंद्रदान गांव के कालदीन, मोहम्मद शरीफ, मुज्जफर अहमद,अब्दुल गफूर, सगीर अहमद, मंजूर अहमद, अलादीन, अब्दुल मजीद, मोहम्मद कयूब, गफ्फार सहित अट्ठारह श्रमिक रोजगार के लिए देवभूमि पहुंचे थे। जजूला गांव में निर्माणाधीन पेयजल पंपिंग योजना में काम भी मिल गया। सब कुछ ठीक चल रहा था कि अचानक कोरोना वायरस के कहर ने सबकुछ चौपट कर दिया। शेष बची उम्मीद लॉकडाउन ने तोड़ दी। काफी दिन खाली बिताने के बाद अब सभी मायूस हो चुके हैं। श्रमिक कहते हैं नजदीक हो तो तो पैदल भी सफर किया जाए पर 1200 किमी का पैदल सफर हिम्मत तोड़ दे रहा है। हालात इस कदर खराब हैं कि अब श्रमिकों के पास महज दो दिन का ही राशन शेष बचा है ऐसे में चिंता और बढ़ जा रही है।
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