Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Joshimath: सरकार नहीं चेती तो एक और हिल स्‍टेशन में बिगड़ सकते हैं हालात, डरा रही दरार व दरकती पहाड़ियां

Joshimath उत्तराखंड के जोशीमठ में भवन व भूमि की तरह ही नैनीताल की पहाड़ियों व सड़कों पर दरारें भी खतरे का संकेत दे रही हैं। विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी नैनीताल में 10-15 सालों से चौतरफा खतरे बढ़ रहे हैं।

By kishore joshiEdited By: Nirmala BohraUpdated: Sat, 07 Jan 2023 08:52 AM (IST)
Hero Image
Joshimath: नैनीताल की पहाड़ियों व सड़कों पर दरारें भी खतरे का संकेत दे रही हैं।

किशोर जोशी, नैनीताल : Joshimath Sinking: उत्तराखंड के जोशीमठ में भवन व भूमि की तरह ही नैनीताल की पहाड़ियों व सड़कों पर दरारें भी खतरे का संकेत दे रही हैं।

समय रहते सरकार नहीं चेती और पहाड़ियों का ट्रीटमेंट नहीं किया तो यहां भी हालात बिगड़ सकते हैं। नैनीताल की सुरक्षा के लिए ब्रिटिशकाल में ही अंग्रेजों ने ड्रेनेज सिस्टम बना दिया था लेकिन अब झील में गिरने वाले नाले बड़े पैमाने पर अतिक्रमण की चपेट में हैं।

नैनीताल में 10-15 सालों से चौतरफा खतरे बढ़ रहे

विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी नैनीताल में 10-15 सालों से चौतरफा खतरे बढ़ रहे हैं। 2018 में बलियानाला में भूस्खलन के बाद कृष्णापुर बस्ती की हजारों की आबादी का सड़क संपर्क भंग हो गया जो अभी भी नहीं जुड़ सका है। बलियानाला के मुहाने पर लगातार धंसाव से दर्जनों परिवार खतरे की जद में हैं। जीआइसी भवन के मैदान सहित कई भवनों तक खतरा पहुंच गया है।

यह भी पढ़ें : Joshimath: भूधंसाव से उत्पन्न स्थिति से शासन ने लिया सबक, जिलों से संवेदनशील स्थलों के संबंध में मांगी रिपोर्ट

जिला प्रशासन ने बलियानाला ट्रीटमेंट कार्यों को देखते हुए जीआइसी को अन्यत्र शिफ्ट करने की योजना बनाई है। शहर की माल रोड पर वाहनों का लगातार बढ़ता दबाव खतरा बना है। लोअर माल रोड में 2007-08 में भी दरार पड़ी और सड़क धंसकर झील में समा गई। इसके बाद 2018 में भी लोअर माल रोड का 25 मीटर हिस्सा टूटकर झील में समा गया।

लोनिवि ने अस्थायी ट्रीटमेंट किया मगर रोड में दरारें कम नहीं हो रही हैं। अब लोनिवि ने ट्रीटमेंट के लिए करीब चार करोड़ का प्रस्ताव बनाकर भेजा है लेकिन शासन से अब तक बजट नहीं मिला है।

टिफिनटाप व चायनापीक पर भी दरारें

सरोवर नगरी के टिफिनटाप में भूस्खलन से विशालकाय बोल्डरों तक में दरारें पड़ गई हैं। जिससे इस पर्यटन स्थल पर खतरा बरकरार है लेकिन अब तक ट्रीटमेंट कार्य शुरू नहीं हो सका है।

यह भी पढ़ें : Joshimath Sinking: मुख्यमंत्री ने की समीक्षा, कंट्रोल रूम बनाने के निर्देश, प्रभावितों को करेंगे एयरलिफ्ट

चायनापीक की पहाड़ी में धंसाव हुआ तो वन विभाग ने खंतियों के माध्यम से ट्रीटमेंट कार्य किया मगर वहां अटके बोल्डर भी तबाही मचा सकते हैं। 1987 में चायनापीक की पहाड़ी से भूस्खलन की वजह से तमाम परिवारों को शिफ्ट करना पड़ा था। शहर के सात नंबर क्षेत्र को भी भूगर्भीय दृष्टि से अतिसंवेदनशील माना जाता है।

दरार की वजह से पड़ गया क्रेकलैंड नाम

शहर के लोंगव्यू इलाके में सबसे पुरानी दरार पड़ी है। इस दरार की वजह से क्षेत्र का नाम आज भी क्रेकलैंड कहा जाता है। कुमाऊं विवि के केनफील्ड के पास ड्रम हाउस में भी पुरानी दरार का अभी तक ट्रीटमेंट नहीं हुआ है।

राजभवन क्षेत्र के गोल्फ ग्राउंड के पीछे की पहाड़ी निहालनाला में दशकों से दरक रही है। गोल्फ ग्राउंट के समर हाउस के पास भी दरारें हैं, जिसका स्थायी उपचार नहीं किया जा सका।

यह भी पढ़ें : Joshimath Sinking: पर्यटक भयभीत, होटलों में 30 फीसद बुकिंग निरस्त, तस्‍वीरों में देखें दरारों से पटा जोशीमठ

जोशीमठ जैसी स्थिति तो नैनीताल की नहीं है। नैनीताल में ड्रेनेज सिस्टम बहुत पुराना है। बलियानाला क्षेत्र में टूटी फूटी चट्टानें हैं जो गिरेंगी ही। मगर पहाड़ों में वैज्ञानिक तरीके से निर्माण नहीं करने के खतरे हैं। इसलिए प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर ही नीतियां बनानी होंगी, तभी खतरा टलेगा।

-प्रो राजीव उपाध्याय, भू वैज्ञानिक, कुमाऊं विवि 

यह भी पढ़ें : Joshimath Sinking: केंद्र सरकार भी सतर्क, जोशीमठ के त्वरित अध्ययन को गठित की छह सदस्यीय समिति

नैनीताल में वाहनों का दबाव कम करना ही होगा, दीर्घकालिक योजना के तहत शहर से बाहर रानीबाग तक पार्किंग बनानी होंगी। ग्रीन बेल्ट व असुरक्षित क्षेत्र में निर्माण पर प्रतिबंध है। जो भी इन क्षेत्रों में निर्माण कर रहा है उसे तत्काल सील किया जा रहा है। पहाड़ियों के ट्रीटमेंट के लिए बजट दिलाया जाएगा।

-दीपक रावत, कुमाऊं कमिश्नर

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर