पेट संबंधी बीमारियों के लिए रामबाण काफल की प्रजातियां उत्तराखंड में बढ़ाई जाएंगी nainital news
पेट से जुड़ी वबीमारियों में रामबाण कहे जाने वाले पहाड़ी फल काफल की प्रजातियां बढ़ाने में वन अनुसंधान केंद्र जुटा है। उत्तराखंड में इसकी एक ही प्रजाति पाई जाती है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 09 Nov 2019 01:15 PM (IST)
हल्द्वानी, गोविंद बिष्ट : पेट से जुड़ी बीमारियों में रामबाण कहे जाने वाले पहाड़ी फल काफल की प्रजातियां बढ़ाने में वन अनुसंधान केंद्र जुटा है। उत्तराखंड में इसकी एक ही प्रजाति पाई जाती है। जबकि उत्तर-पूर्वी राज्यों में ज्यादा। लिहाजा, इन राज्यों की तकनीक का इस्तेमाल भी किया जा रहा है। रानीखेत में शुरू किया पहला प्रयोग धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। पौधे अपनी जड़ें जमा चुके हैं। हालांकि फल आने पर ही रिसर्च की सफलता का पता चलेगा।
पहाड़ के जंगलों में मिलने वाले काफल को पनपने के लिए ठंडा वातावरण चाहिए। खट्टा-मीठा यह रसीला फल स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का जरिया भी बन रहा है। सीजन में काफल 400 रुपये किलो तक बिकता है। प्रदेश में फिलहाल इसकी एक ही प्रजाति मिलती है। जो कि मेघालय में होने वाले काफल से काफी छोटी है। जिस वजह से रानीखेत में बाहर की प्रजाति पर रिसर्च चल रहा है। अगर वन अनुसंधान केंद्र की टीम इसमें कामयाब होती है तो भविष्य में इस बाहरी प्रजाति का फैलाव भी किया जाएगा। इससे पूर्व चिनार व ट्यूलिप संरक्षण को लेकर बेहतर रिजल्ट मिलने से संभावनाएं काफी ज्यादा है।
दिसंबर में सिक्किम व अरुणाचल जाएगी टीम वन अनुसंधान केंद्र बांज प्रजातियों को लेकर भी रिसर्च में जुटा है। वन संरक्षक अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि अगले माह टीम सिक्किम व अरुणाचल जाएगी। वहां मिलने वाली बांज प्रजातियों की जानकारी लेकर उत्तराखंड में काम होगा।
देश के हिमालयी राज्यों की प्रजातियों पर फोकस संजीव चतुर्वेदी, वन संरक्षक अनुसंधान ने बताया कि काफल की प्रजाति बढ़ाने का प्रोजेक्ट लंबे समय से चल रहा है। हमारा फोकस देश के हिमालयी राज्यों में मिलने वाली प्रजातियों का संरक्षण करना है। उत्तराखंड और इन प्रदेशों की भौगोलिक व पर्यावरणीय परिस्थितियों में काफी समानता है।काफल के फायदे
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- इसका फल अत्यधिक रस-युक्त और पाचक जूस से भरा होता है और इसमें पेट से जुड़ी कई बीमारियों को सही करने का भी गुण होता है।
- काफल के फायदे से पेट के कई प्रकार के विकार दूर होते हैं. जिसमें अतिसार, अल्सर, गैस,कब्ज, एसिडीटी जैसी बीमारियां शामिल है।
- मानसिक बीमारियों सहित कई प्रकार के रोगों के लिए काफल काम आता है, क्योंकि ये कई तरह के एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी डिप्रेशंट तत्वों से भरा होता है।
- इसके तने की छाल का सार, अदरक तथा दालचीनी का मिश्रण अस्थमा, डायरिया, बुखार, टाइफाइड, पेचिश तथा फेफड़े ग्रस्त बीमारियों के लिए ज्यादा उपयोगी होता है।
- इसके पेड़ की छाल तथा अन्य औषधीय पौधों के मिश्रण से निर्मित काफलड़ी चूर्ण को अदरक के जूस तथा शहद के साथ मिलाकर उपयोग करने से गले की बीमारी, खांसी तथा अस्थमा जैसे रोगों से छुटकारा मिलता है।
- काफल के फूल का तेल कान दर्द, डायरिया तथा लकवे की बीमारी में उपयोग में लाया जाता है और इसका फल औषधी तथा पेट दर्द निवारक के रूप में उपयोग होता है।
- इसके पेड़ की छाल का पाउडर जुकाम, आंख की बीमारी तथा सरदर्द में सूंघने से भी आराम मिलता है।