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नजंग से मालपा तक इस बार फिर होगी कैलास मानसरोवर यात्रियों की परीक्षा, जानें कारण

कैलास मानसरोवर यात्रा का पैदल यात्रा मार्ग भक्तों की संयम और साहस की परीक्षा लेता रहता है। नजंग से मालपा तक का आठ किलोमीटर पैदल मार्ग इस बार भी यात्रियों की परीक्षा लेगा।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 13 May 2019 12:39 PM (IST)
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नजंग से मालपा तक इस बार फिर होगी कैलास मानसरोवर यात्रियों की परीक्षा, जानें कारण
पिथौरागढ़, जेएनएन : कैलास मानसरोवर यात्रा का पैदल यात्रा मार्ग भक्तों की संयम और साहस की परीक्षा लेता रहता है। 60 किलोमीटर यात्रा पथ में नजंग से मालपा तक का आठ किलोमीटर पैदल मार्ग इस बार भी यात्रियों की कड़ी परीक्षा लेगा। पिछले वर्ष मार्ग के इस हिस्से की खतरनाक हालत के चलते यात्रा को हेलीकॉप्टर के जरिए कराना पड़ा था। 
वर्ष 1998 को लोग शायद कभी नहीं भूल पायेंगे। तब मालपा में हुए बड़े भूस्खलन ने 60 कैलास मानसरोवर यात्रियों सहित 205 लोगों को लील लिया था। इसके बाद से ही यह क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं की मार झेल रहा है। 2013 और उसके बाद फिर 2018 में क्षेत्र ने बड़ी आपदा झेली। दर्जनों लोग हादसों का शिकार हुए। अभी भी इस क्षेत्र में आए दिन बोल्डर गिरने से हादसे हो रहे हैं। प्रशासन पैदल यात्रा कराने की तैयारियों में जुटा है, लेकिन मार्ग के पूरी तरह सुरक्षित होने का दावा कर पाने की स्थिति में नहीं हैं। भूगर्भीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील इस क्षेत्र में चीन सीमा को जोडऩे वाली सड़क का काम भी चल रहा है। नजंग तक सड़क तैयार है, लेकिन इसके आगे के आठ किलोमीटर का पैदल रास्ता बेहद संवेदनशील है। पैदल यात्रा करने पर यात्रियों को इस हिस्से में कड़ी परीक्षा से गुजरना होगा। 

मालपा से आगे नहीं है दिक्कत 
मालपा से आगे का मार्ग लगभग सुरक्षित है। उच्च हिमालयी क्षेत्र में सड़क बनकर तैयार है। आयोजक संस्था कुमाऊं मंडल विकास निगम उच्च हिमालय में इस बार यात्रियों को वाहन से यात्रा कराने पर विचार कर रहा है, लेकिन इस पर अभी अंतिम स्वीकृति नहीं हुई है। इसके लिए सीमा सड़क संगठन से हरी झंडी का इंतजार है। 

पैदल मार्ग बाधित हुआ तो आदि कैलास यात्रा भी होगी बाधित
नजंग से मालपा के बीच का पैदल मार्ग बाधित हुआ तो न केवल कैलास मानसरोवर यात्रा बल्कि आदि कैलास यात्रा भी बाधित होगी। भारतीय क्षेत्र में स्थित आदि कैलास यात्रा के सिर्फ छह ही बैच यात्रा पर जा सके थे। शेष दलों की यात्रा रोकनी पड़ी थी। कैलास मानसरोवर यात्रियों को हेलीकाप्टर के जरिए गुंजी तक पहुंचाना पड़ा था। 

पोनी-पोटर्स के रोजगार पर भी खतरा 
कैलास मानसरोवर यात्रा क्षेत्र के सैकड़ों पोनी पोट्र्स को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराती है। पोनी पोट्र्स यात्रियों का सामान ढोने के साथ ही उन्हें घोड़े व डोली आदि से यात्रा कराते हैं। बीते वर्ष यात्रा नहीं हो पाने के कारण पोनी-पोट्र्स को अपनी आजीविका से हाथ धोना पड़ा था। इस वर्ष यात्रा पैदल मार्ग से नहीं हुई तो पोनी-पोट्र्स खाली हाथ ही रहेंगे।

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