भारतीय सीमा से भी हो सकता है कैलास मानसरोवर का दर्शन, यहां से नजर आता है पर्वत
कोरोना के चलते इस बार कैलास मानसरोवर यात्रा को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है। ऐसे में महादेव के भक्तों में इस बार यात्रा न कर पाने का मलाल है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 13 May 2020 10:11 AM (IST)
पिथौरागढ़, ओपी अवस्थी : कोरोना के चलते इस बार कैलास मानसरोवर यात्रा को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है। ऐसे में महादेव के भक्तों में इस बार यात्रा न कर पाने का मलाल है। लेकिन निराश होने की जरूरत नहीं है। अच्छी खबर यह है कि भारतीय सीमा से भी कैलास मानसरोवर के दर्शन संभव है। यह दर्शन लिपूलेख के ओल्ड लिपु से किए जा सकते हैं। इस पर पूरा अध्ययन करने के बाद भारत तिब्बत सीमा पुलिस के डीआइजी एपीएस निंबाडिया ने भारत सरकार को सुझाव भेजा है।
आइटीबीपी के बरेली रेंज के डीआइजी एपीएस निंबाडिया ने शासन को भेजे सुझाव प्रस्ताव में कहा है कि कुमाऊं मंडल विकास निगम कैलास मानसरोवर यात्रा की तर्ज पर ही गाइड और स्थानीय लोगों की मदद से इसे संचालित कर सकती है। हालांकि आइटीबीपी भी इसमें पूरी मदद करेगी।
गाइड की मदद से ही यात्री यहां पहुंच सकते हैं
ओल्ड लिपु के लिए लिपुलेख के यात्री विश्राम गृह से मार्ग जाता है। यह मार्ग लगभग तीन किमी है। साढ़े सत्रह हजार से लेकर 18 हजार फीट की ऊंचाई वाला यह मार्ग काफी दुर्गम है। जिसके लिए निगम के गाइड और स्थानीय गाडड ही यात्रियों को यहां तक पहुंचा सकते हैं। उन्होंने सुझाया है कि यह यात्रा किसी निजी संस्था या टूर संस्थानों के माध्यम से नहीं कराई जाए। ओल्ड लिपु से भक्त कैलास मानसरोवर के दर्शन कर आदि कैलास आ सकते हैं। ऐसे में कैलास मानसरोवर और आदि कैलास की यात्रा एक साथ संभव है। निंबाडिया ने कहा है कि इस पर वह प्रयोग कर चुके हैं।
कैलास दर्शन पर निंबाडिया लिख चुके हैं पुस्तक
आईटीबीपी के डीआइजी एपीएस निंबाडिया लंबे समय तक यहां रहे हैं। दो बार कैलास मानसरोवर की यात्रा कर चुके हैं और कैलास दर्शन पर पुस्तक लिख चुके हैं। सुझाव प्रस्ताव में उन्होंने कठिनाइयों और उसके समाधान दोनों की जानकारियां दी हैं।
सीपू गांव से शिव तपस्थली गुफा व शिव चरणों के होंगे दर्शनआदि कैलास से सिनला पास होते हुए दारमा घाटी आकर सीपू गांव में शिव के पैरों के निशान हैं। सीपू गांव के निकट गुफा है, जहां स्थानीय मान्यता के अनुसार इस गुफा में भगवान शिव ने पांच हजार वर्ष तक तपस्या की थी। निंबाडिया का कहना है कि यदि निगम अपने गाइडों के माध्यम से 18 हजार फीट से अधिक ऊंचाई वाले मार्ग से दारमा पहुंचा देता है तो पूरे शैव पथ की यात्रा संभव है।
लिपुलेख तक सड़क बनने से सुगम हो चुकी है यात्रा एपीएस निंबाडिया, डीआइजी, आइटीबीपी बरेली रेंज ने बताया कि लिपुलेख तक सड़क बनने से अब यात्रा काफी सुगम हो चुकी है। यात्री लिपुलेख तक वाहन से पहुंचेंगे। तीन किमी ओल्ड लिपु तक पैदल जाएंगे। लिपुलेख के यात्री पड़ाव तक पहुंचने के बाद वाहन से सीधे आदि कैलास लौटेंगे। यह सब इसी वर्ष के साथ ही भविष्य में भी संचालित की जा सकती है, लेकिन जरूरी है कि यात्रा केएमवीएन कराए और जिला प्रशासन का पूरा सहयोग रहे।
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