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Kainchi dham mela : नीब करौरी महराज ने की थी कैंची धाम आश्रम की स्थापना, जानिए मंदिर और बाबा के बारे में अहम बातें

Kainchi dham mela उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में ब्राम्हण परिवार में जन्मे लक्ष्मी नारायण शर्मा ने उत्तर प्रदेश के ही एक गांव नीब करौरी में कठिन तप करके स्वयं सिद्धि हासिल की। बाबा जन्म से ही संत थे। जहां भी जाते यज्ञ और भंडारा कराते।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 14 Jun 2022 12:57 PM (IST)
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बाबा नीब करौरी महराज ने निर्वाण से पूर्व दो आश्रम भी बनवाए। पहला आश्रम कैंची नैनीताल तो दूसरा वृंदावन में।

नैनीताल, जागरण संवाददाता : Kainchi dham mela : कोविड के कारण दो साल बाद इस बार 15 जून को कैंचीधाम स्थापना दिवस पर मेले का आयोजन किया जा रहा है। उम्मीद है कि इस बार डेढ लाख से अधिक श्रद्धालु नीब करौली महराज के दर्शन के लिए कैंचीधाम पहुंचेंगे।

बीते कुछ दिनों से मेले काे लेकर व्यापक स्तर पर तैयारियां चल रही हैं। प्रसाद के तौर पर वितरिज होने वाला मालपूआ कल से ही तैयार किया जा रहा है। कैंची धाम की मान्यता क्या है, नीब करौली महराज कौन थे, चलिए जानते हैं उनसे जुड़ी हुई कुछ अहम बातें।

उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गांव में हुआ था बाबा का जन्म

उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में ब्राम्हण परिवार में जन्मे लक्ष्मी नारायण शर्मा (Laxmi Narayan Sharma) उत्तर प्रदेश के ही एक गांव नीब करौरी में कठिन तप करके स्वयं सिद्धि हासिल की।

निर्वाण दो साल पहले बाबा ने बनवाया कैंची धाम

बाबा जन्म से ही संत थे। जहां भी जाते यज्ञ और भंडारा कराते। यज्ञ देवताओं के लिए व भंडारा सामान्य मनुष्यों के लिए। उन्होंने तमाम हनुमान मंदिर स्थापित कराए। निर्वाण से पूर्व दो आश्रम भी बनवाए। पहला आश्रम कैंची Nainital तो दूसरा वृंदावन (मथुरा) में।

माना जाता है हनुमान जी का अवतार

उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कैंचीधाम मंदिर (Kainchi Dham) की ख्याति जितनी देश में है उतनी ही विदेशों में भी। मंदिर के संस्थापक बाबा नीब करौरी महराज (Neeb Karori Maharaj) को हनुमान जी का अवतार माना जाता है।

स्टीव जॉब्स, जुकरबर्ग... तक बाबा के भक्त

बाबा के भक्तों में एप्पल कंपनी के संस्‍थापक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग, हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स तक का नाम शामिल है। चलिए आपको बाबा से जुड़ी अहम बातें बताते हैं। यहां मनोकामना लेकर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की मुरादें पूरी हो जाती हैं।

ऐसे मिला एप्पल को कटे सेब का लोगो

एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स 1974 से 1976 के बीच आध्यात्मिक यात्रा के लिए भारत आए। जब वह कैंचीधाम आश्रम पहुंचे तब बाबा समाधि ले चुके हैं। कहा जाता है कि एप्पल के लोगो का आइडिया स्टीव को बाबा के आश्रम से ही मिला। कथित तौर नीम करौली बाबा को सेब पसंद थे और वह बड़े ही चाव से सेब खाया करते थे, इसी वजह से स्टीव ने अपनी कंपनी के लोगों के लिए कटे हुए एप्पल को चुना। 

जुकरबर्ग ने पीएम मोदी से किया था जिक्र

27 सितंबर 2015 को प्रधानमंत्री मोदी फेसबुक के मुख्यालय में थे। इस दौरान जुकरबर्ग ने पीएम को भारत भ्रमण की वजह बताई। उन्होंने कहा कि जब वे इस संशय में थे कि फेसबुक को बेचा जाए या नहीं, तब एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने उन्हें भारत के एक मंदिर में जाने की सलाह दी थी।

जुकरबर्ग को भारत में मिली अध्यात्मिक शांति

जुकरबर्ग ने बताया था कि वे एक महीना भारत में रहे। इस दौरान वह दो दिन उस मंदिर में भी रुके। जुकरबर्ग मानते हैं कि भारत में मिली अध्यात्मिक शांति के बाद उन्हें फेसबुक को नए मुकाम पर ले जाने की ऊर्जा मिली।

फोटो देख सम्माेहित हो गईं थी जूलिया

अपनी फिल्‍म ‘ईट, प्रे, लव’ की शूटिंग के लिए भारत आईं जूलिया रॉबर्ट ने 2009 में हिंदू धर्म अपना लिया था। ऑस्कर विजेता हॉलीवुड की इस अदाकारा ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि वह नीम करौली बाबा की तस्वीर से इतना प्रभावित हुई थीं कि उन्होंने हिन्दू धर्म अपनाने का फैसला कर डाला। 

चालक मान सिंह रहे बाबा के साथ

बाबा नीम करौली महाराज के अनन्य अनुयायियों में से एक हैं सरदार मान सिंह नागपाल। उन्हें बाबा का सारथी भी कहा जाता था। वर्ष 1969 की बात है जब वह हल्द्वानी से अल्मोड़ा के लिए टैक्सी चलाते थे। एक बार अल्मोड़ा से सवारियां लेकर हल्द्वानी लौट रहे थे। देखा कि हाईवे पर कैंची के समीप भीड़ लगी पड़ी है।

वाहन रोका, उतरे और देखा कि लोग बाबा नीम करौरी के चरण छू रहे है। वह बाबा के आभामंडल से इतने प्रभावित हुए कि अपनी सवारियां दूसरे वाहन से गंतव्य को भेजी। खुद बाबा के पास जाकर बैठ गए। बाबा के पूछने पर बताया कि वह टैक्सी चालक हैं। तब उन्होंने कहा, चलो हमें वृंदावन आश्रम जाना है। तब से बाबा अक्सर सरदार मान सिंह की कार में ही इधर उधर आते- जाते थे।

11 सितंबर को बाबा ने ली महासमाधि

बाबा के चमत्कार, उनसे जुडी कथाएं और भक्तों की फेहरिश्त सात समुदंर पार तक हैं। बाबा ने महासमाधि के लिए वृंदावन को चुना। नौ सितंबर 1973 को नीम करौली महाराज ने कैंची से आगरा के लिए प्रस्थान किया। यह उनकी कैंची की अंतिम यात्रा थी। वह इसका संकेत भी दे गए। 10 सितंबर को आगरा से वृंदावन रवाना हुए, जहां 11 सितंबर को महासमाधि ली।

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