कमाल का है कमल, पहले कैंसर से जूझा, अब रणजी क्रिकेट का स्टार बनकर उभरा nainital news
पहले ही रणजी मुकाबले में शतक लगाकर एक और जंग अपने नाम करने वाले कमल कन्याल का संघर्षों के साथ पुराना नाता रहा है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Fri, 14 Feb 2020 06:32 PM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : पहले ही रणजी मुकाबले में शतक लगाकर एक और उपलब्धि अपने नाम करने वाले कमल कन्याल का संघर्षों के साथ पुराना नाता रहा है। पहले महज 15 साल की उम्र में ब्लड कैंसर जैसी बीमारी से तो बाद में टीम में जगह पाकर खुद को बनाए रखने की जंग उसने खूबी लड़ी। कैंसर के इलाज के लिए जब उसे नोएडा के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था तो वहां वो डॉक्टरों से बस एक ही सवाल हर बार पूछता रहा। 'मैं ठीक होकर क्या दोबारा क्रिकेट खेल पाऊंगा'। इस बात पर डॉक्टरों का जवाब होता कि दवाईयां अपना काम कर रहीं हैं तुम जरूर क्रिकेट खेलोगे। आज डॉक्टरों की दवा और दुआ का ही कमाल है कि कमल उत्तराखंड की रणजी टीम में खेलने लगा। जबकि बीमारी के बाद भी क्रिकेट खेलने की धुन ही वो हौसला है जिसकी वजह से कमल की तुलना भारतीय सीनियर क्रिकेट टीम के पूर्व सदस्य युवराज से की जाती है।
कॅरियर के शुरुआत में ही पता चल गया था ब्लेड कैंसर
लेफ्ट हैंड से बल्लेबाजी करने वाले कमल कन्याल में ब्लड कैंसर का पता पहले स्टेज में चल गया था। आनन फानन में परिजनों ने उनका इलाज नोएडा के एक हाॅस्पिटल में कराया। इस दौरान तकरीबन एक साल तक उन्हें क्रिकेट से दूर रहना पड़ा। 2013-14 में क्रिकेट खेलने की शुरुआत करने और 2014-15 में ही कैंसर होने की पुष्टि होने के कारण उन्हें करीब एक साल तक क्रिकेट से दूर रहना पड़ा। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और दोबारा प्रैक्टिस शुरू की। जिसके बाद कमल ने शानदारी वापसी करते हुए वीनू मांकड़ ट्राफी में जगह बनाई। इतना ही नहीं अपने बेतहरीन प्रदर्शन से क्रिकेट प्रेमियों का दिल भी जीता।
पिता जम्मू से खरीदकर लाए थे पहला बैट महज 13 साल की उम्र में बेटे का क्रिकेट के प्रति लगाव देखकर पिता जम्मू से उसके लिए पहला बैट खरीदकर लाए। आगे जाकर इसी बैट ने कमल के कई सपने पूरे किए। हल्द्वानी के गौलापार निवासी कमल मूल रूप से ऊधमसिंह नगर जिले के सितारगंज के ग्राम नलई के रहने वाले हैं। उनके पिता उमेश कन्याल भातीय सेना की सेकंड कुमाऊं रेजिमेंट बटालियन से रिटायर्ड हैं।
वीनू मांकड़ ट्रॉफी में बनाई जगह कमल कन्याल ने 2013-14 में क्रिकेट खेलना शुरू किया। बाएं हाथ के टॉप आर्डर बल्लेबाज कमल को करीब एक साल बाद ब्लड कैंसर का पता चला। बीमारी का पता चलने के बाद परिवार ने नोएडा में इलाज कराया। इस दौरान करीब एक साल तक कमल क्रिकेट से दूर रहे। बीमारी ठीक होने के बाद उन्होंने क्रिकेट में वापसी की और 2018 में वीनू मांकड़ ट्रॉफी में स्थान पक्का किया। इस दौरान उन्होंने एक अर्धशतक भी लगाया। फिर अंडर-19 क्रिकेट में बल्ले का जादू दिखाया।
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