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पति की मौत के बाद ससुरालियों ने जमीन के लिए कश्‍मीरी देवी का जला दिया था घर, आज तीनों बेटे हैं अफसर

काशीपुर के ढकिया नंबर एक निवासी कश्मीरी देवी का विवाह वर्ष 1976 में प्रह्लाद सिंह के साथ हुआ था। तब प्रह्लाद सिंह डाक विभाग में अफसर थे।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 08 Mar 2020 11:36 AM (IST)
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पति की मौत के बाद ससुरालियों ने जमीन के लिए कश्‍मीरी देवी का जला दिया था घर, आज तीनों बेटे हैं अफसर
हल्द्वानी, जेएनएन : ये कहानी है ऐसी मां की है, जिसकी नियति लगातार परीक्षा लेकर रुलाती रही। वहीं सबला नारी का हौसला दिखाते हुए मां लगातार हालात से लड़ती रही और अंत में सफलता हासिल कर मिशाल बन गयी। शादी कवे आठ साल बाद ही पति की मौत होने के बाद डाक विभाग की चतुर्थ श्रेणी कर्मी महिला ने मेहनत और जज्बे के बल तक अपने तीनों बेटों को अफसर बनाया और परिवार में खुशियां लौटाईं।

शादी के आठ साल बाद हो गई थी पति की मौत

काशीपुर के ढकिया नंबर एक निवासी कश्मीरी देवी का विवाह वर्ष 1976 में प्रह्लाद सिंह के साथ हुआ था। तब प्रह्लाद सिंह डाक विभाग में अफसर थे। 1984 से कश्मीरी देवी के साथ नियति ने क्रूर खेल खेलना शुरू कर दिया। एक सड़क हादसे में प्रह्लाद सिंह की मृत्यु हो गयी। उस समय उनका सबसे बड़ा बेटा छह साल व सबसे छोटा मात्र एक साल का था।

जमीन के लिए ससुरालियों ने जला दिया था घर

पति की मृत्यु होते ही ससुराली भी बैरी बन गए और कश्मीरी देवी का घर जला दिया गया। जमीन के लिए ससुराली शारीरिक व मानसिक प्रताडऩा देने लगे। वहीं मृतक आश्रित कोटे में डाक विभाग ने नौकरी देने में भी अड़चनें लगा दीं। हक के लिए कश्मीरी देवी को हाईकोर्ट तक का दरवाजा खटखटाना पड़ा। 10 साल के संघर्ष के बाद आखिर कश्मीरी को पहली सफलता मिली। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद कश्मीरी देवी को डाक विभाग में गु्रप डी में नौकरी मिल गयी। उन्होंने अपने चारों बेटों का सेंट्रल स्कूल में दाखिला कराया। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए जमीन तक बेच दी।

सबसे छोटे बेटे ने कर ली थी खुदकशी

कश्मीरी के संयम की परीक्षा अभी खत्म नहीं हुई थी। वर्ष 2002 में सबसे छोटे बेटे मनजीत सिंह ने परीक्षा में नंबर कम आने पर खुदकशी कर ली। तीन बेटे के भविष्य के लिए कश्मीर ने दिल में पत्थर रखकर खुद को मजबूत किया। सबसे बड़े बेटे रविराज सिंह का चयन पीएसी में कांस्टेबल के पद पर चयन हो गया। चार साल नौकरी के बाद रविराज ने नौकरी छोड़ी और फिर तैयारी शुरू की। मां कश्मीरी ने भी हौंसला बढ़ाया गई और रविराज का पीसीएस एलाइड में चयन हो गया। वर्तमान में रविराज खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में मार्केटिंग इंस्पेक्टर हैं। उनकी पत्नी शशि भारती भी शिक्षिका हैं।

सभी बेटों को बना दिय अफसर

वीर नारी कश्मीरी देवी के दूसरे नंबर के बेटे विजय पाल रेलवे में अफसर बने और वर्तमान में सीनियर स्टेशन इंजीनियर हैं। विजय पाल की पत्नी रीना भारती भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं। सबसे छोटे बेटे लोकजीत सिंह का चयन 2009 बैच में पीपीएस में हुआ। लोकजीत सिंह वर्तमान में देहरादून में एसपी क्राइम का पद संभाले हुए हैं। अगस्त 2004 में कश्मीरी देवी सेवानिवृत्त हो गईं। उनकी सेवानिवृत्ति पर तीनों बेटे की ओर से कराया गया आयोजन अब भी लोगों के लिए यादगार है।

किसी भी हालात में बच्‍चों की शिक्षा रोकनी नहीं चाहिए

कश्मीरी देवी बताया कि हालात कैसे भी हों, मां-बाप को किसी भी दशा में बच्चों की शिक्षा नहीं रोकनी चाहिए। जीवन बहुत लंबा है, इसलिए विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य बनाकर रखना चाहिए। बच्चों ने स्वयं निर्णय लेने की क्षमता को विकसित किया जाना चाहिए।

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