साइबर अटैक से अपने स्मार्टफोन और कम्प्यूटर को रखें सुरक्षित, जानिए क्या है तरकीब
इंटरनेट का चलन बढऩे से जहां लोगों के कई काम आसान हुए। वहीं एक छोटी सी चूक आपकी निजी जानकारियों को सार्वजनिक भी कर सकती है। लिहाजा इंटरनेट की दुनिया में खासी सतर्कता बरतने की जरूरत
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Thu, 28 Mar 2019 06:57 PM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : वर्तमान में हर किसी की जेब में स्मॉर्टफोन मौजूद है। एक सामान्य व्यक्ति भी ऑनलाइन सेवाओं का इस्तेमाल कर रोजमर्रा के काम निपटाता है। इसमें बिलों का भुगतान करने से लेकर ऑनलाइन शॉपिंग शामिल है। वहीं खास किस्म के एप में जानकारियों को रखने का चलन भी बढ़ चुका है। इंटरनेट का चलन बढऩे से जहां लोगों के कई काम आसान हुए। वहीं एक छोटी सी चूक आपकी निजी जानकारियों को सार्वजनिक भी कर सकती है। लिहाजा इंटरनेट की दुनिया में खासी सतर्कता बरतने की जरूरत है।
जरूरी नहीं कि आपका स्मार्टफोन, कम्प्यूटर व लैपटॉप हमेशा सुरक्षित रहे। तमाम तरीके के लेनदेन व गोपनीय डाटा स्मार्टफोन के भीतर होने की वजह से हैकर्स भी सक्रिय हो चुके है। वर्तमान में इंटरनेट आम से लेकर खास हर किसी की जरूरत बन चुका है। इसके साथ ही हैकर भी सक्रिय हो चुके हैं। लेकिन बचाव के तरीके अपनाकर हम अपने ऑनलाइन दस्तावेजों को सुरक्षित रख सकते हैं।
जरूरी नहीं कि आपका स्मार्टफोन, कम्प्यूटर व लैपटॉप हमेशा सुरक्षित रहे। तमाम तरीके के लेनदेन व गोपनीय डाटा स्मार्टफोन के भीतर होने की वजह से हैकर्स भी सक्रिय हो चुके है। वर्तमान में इंटरनेट आम से लेकर खास हर किसी की जरूरत बन चुका है। इसके साथ ही हैकर भी सक्रिय हो चुके हैं। लेकिन बचाव के तरीके अपनाकर हम अपने ऑनलाइन दस्तावेजों को सुरक्षित रख सकते हैं।
डाटा का रखें बैकअप
साइबर हमले का मकसद सिर्फ सिस्टम में रखे डाटा को हैक करना होता है। ऐसे में हम अपने डाटा की बैकअप फाइल को पेन ड्राइव, सीडी, या हार्ड ड्राइव में सेव रखना होगा। किसी तरह का वाइरस सिस्टम में आने पर बैक डाटा सेव रहेगा। साफ्टवेयर को अपडेट रखना
सिस्टम या मोबाइल के सॉफ्टवेयर को हमेशा अपडेट रखना चाहिए। साइबर हमला आमतौर पर सिस्टम अपडेट न होने पर होता है। सॉफ्टवेयर अपडेशन में हमेशा साइबर सिक्यूरिटी से जुड़े पहलुओं को शामिल किया जाता है।
साइबर हमले का मकसद सिर्फ सिस्टम में रखे डाटा को हैक करना होता है। ऐसे में हम अपने डाटा की बैकअप फाइल को पेन ड्राइव, सीडी, या हार्ड ड्राइव में सेव रखना होगा। किसी तरह का वाइरस सिस्टम में आने पर बैक डाटा सेव रहेगा। साफ्टवेयर को अपडेट रखना
सिस्टम या मोबाइल के सॉफ्टवेयर को हमेशा अपडेट रखना चाहिए। साइबर हमला आमतौर पर सिस्टम अपडेट न होने पर होता है। सॉफ्टवेयर अपडेशन में हमेशा साइबर सिक्यूरिटी से जुड़े पहलुओं को शामिल किया जाता है।
एंटी वायरस रखें इस्टॉल
सिस्टम में एंटी वायरस जरूर रखें ताकि कोई साइबर हमला हो तो वह हमारे डेटा को हैक होने से बचा ले। फेक ऐप्स से रहे सावधान
गूगल प्लेस्टोर या एप्पल स्टोर में मौजूद हर एप्लीकेशन पूरी तरह से ठीक हो यह जरूरी नही है इसलिए एप्लीकेशन को डाउनलोड करने से पहले मांगी जाने वाली परमिशन को हमेशा चेक करें। अगर एप के 50 हजार से कम डाउनलोड है तो उससे बचना चाहिए।
सिस्टम में एंटी वायरस जरूर रखें ताकि कोई साइबर हमला हो तो वह हमारे डेटा को हैक होने से बचा ले। फेक ऐप्स से रहे सावधान
गूगल प्लेस्टोर या एप्पल स्टोर में मौजूद हर एप्लीकेशन पूरी तरह से ठीक हो यह जरूरी नही है इसलिए एप्लीकेशन को डाउनलोड करने से पहले मांगी जाने वाली परमिशन को हमेशा चेक करें। अगर एप के 50 हजार से कम डाउनलोड है तो उससे बचना चाहिए।
ब्लूटूथ को एक्टिव न छोड़े
मोबाइल व लैपटाप के डाटा को ब्लूटूथ के जरिए भेजने के बाद तुरंत बंद कर देना चाहिए। अक्सर हैकर्स खास तरह के एप का इस्तेमाल कर अहम दस्तावेज गायब कर लेते हैं। पासवर्ड को करते रहे चेंज
मोबाइल, सिस्टम व सोशल मीडिया के पासवर्ड को दो से चार महीनों में बदलते रहना चाहिए। ताकि हैकर्स से उनको बचाया जा सके।मोबाइल व कम्प्यूटर को अंजान डिवाइस से कनेक्ट न करें
हम राह चलते कभी- कभी अपने स्मार्टफोन को किसी अंजान की डिवाइस से जोड़ लेते है। ऐसा करने से वह व्यक्ति हमारे मोबाइल से अहम दस्तावेज को चुरा सकता है। हैकरों की बढ़ रही है सक्रियता
डॉ. जितेंद्र पांडेय असिस्टेंट प्रोफेसर, कम्प्यूटर साइंस ने बताया कि हैकर्स की सक्रियता लगातार बढ़ रही है। अपने स्मॉर्टफोन व कम्प्यूटर को सुरक्षित रखने के लिए हमें नए एप का सावधानी से इस्तेमाल करना होगा। एप को इंस्टाल व दस्तावेज को शेयर करते समय अपनी जानकारी को हर किसी से शेयर न करे।यह भी पढ़ें : 15 चुनाव होने के बाद दिग्गजों की सीट पर नहीं हुआ 50 प्रतिशत से अधिक मतदान
यह भी पढ़ें : सीमांत की घाटियों में पाया जाने वाला ये पौधा है बहुआयामी, जानिए क्या है इसमें खास
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।मोबाइल व लैपटाप के डाटा को ब्लूटूथ के जरिए भेजने के बाद तुरंत बंद कर देना चाहिए। अक्सर हैकर्स खास तरह के एप का इस्तेमाल कर अहम दस्तावेज गायब कर लेते हैं। पासवर्ड को करते रहे चेंज
मोबाइल, सिस्टम व सोशल मीडिया के पासवर्ड को दो से चार महीनों में बदलते रहना चाहिए। ताकि हैकर्स से उनको बचाया जा सके।मोबाइल व कम्प्यूटर को अंजान डिवाइस से कनेक्ट न करें
हम राह चलते कभी- कभी अपने स्मार्टफोन को किसी अंजान की डिवाइस से जोड़ लेते है। ऐसा करने से वह व्यक्ति हमारे मोबाइल से अहम दस्तावेज को चुरा सकता है। हैकरों की बढ़ रही है सक्रियता
डॉ. जितेंद्र पांडेय असिस्टेंट प्रोफेसर, कम्प्यूटर साइंस ने बताया कि हैकर्स की सक्रियता लगातार बढ़ रही है। अपने स्मॉर्टफोन व कम्प्यूटर को सुरक्षित रखने के लिए हमें नए एप का सावधानी से इस्तेमाल करना होगा। एप को इंस्टाल व दस्तावेज को शेयर करते समय अपनी जानकारी को हर किसी से शेयर न करे।यह भी पढ़ें : 15 चुनाव होने के बाद दिग्गजों की सीट पर नहीं हुआ 50 प्रतिशत से अधिक मतदान
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