कुछ जुनूनी युवाओं ने कूड़ा बीनने वाले बच्चों को पढ़ाने का उठाया बीड़ा, रंग ला रही पहल
उद्यांश संस्था से जुड़े शहर के जुनूनी युवाओं ने अनूठी पहल की है। कॉलेज में पढ़ने वाले युवा गली-कूचों में कचरा बीनने वाले बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रहे हैं।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Thu, 14 Mar 2019 06:41 PM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : उज्जवल भविष्य के सपने तो सभी देखते हैं। कोई कलेक्टर बनना चाहता है तो कोई डॉक्टर। लेकिन बहुत सी ख्वाहिशें आर्थिक तंगी के कारण अधूरी रह जाती है। ऐसे ही बच्चों को तालीम दिलाकर उनकी हसरतों को पूरा कराने में उद्यांश संस्था निस्वार्थ भाव से जुटी है। संस्था से जुड़े शहर के जुनूनी युवाओं ने अनूठी पहल शुरू की है। कॉलेज में पढऩे वाले युवा गली-कूचों में कचरा बीनने वाले बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रहे है। यंग टीम में बीए, बीकॉम करने वाले नौजवान शामिल हैं।
शहर में कई बच्चे गरीबी के चलते स्कूल नहीं जा पाते। मजबूरी में सुबह उठते ही गली-गली घूमकर कूड़ा बीनने तक निकलना पड़ता है। उद्यांश संस्था ने चार महीने पहले हल्द्वानी स्टेशन के पास गफूर बस्ती से अभियान की शुरुआत की। अब यहां 30-40 बच्चे हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, विज्ञान, गणित सहित पर्सनालिटी डवलपमेंट विषयों की पढ़ाई करते हैं। अब संस्था के युवा ढोलक बस्ती में दूसरी शाखा खोलने की तैयारी कर रहे हैं। मलिन बस्तियों के बच्चों का भविष्य संवारने वाली टीम में वरुण शर्मा बीएससी, प्रियंका नेगी बीएससी, शिवांगी बीए, अक्की सिंह बीएससी, तालिब अंसारी बीएससी, शिखा पांडेय बीएससी है।
काॅलेज कर रहा सपोर्ट
कालेज में पढऩे वाले छात्रों को उनके कालेज से पूरा सहयोग मिल रहा है। बस्ती में पढ़ाने के लिए छात्र-छात्राओं को उनके टर्न के दिन अवकाश मिल जाता है। कालेज के माध्यम से नये विद्यार्थी संस्था से जुड़ सकते है। कालेज गेट के पास स्टाल लगा हुआ है। जिसमें लोग पढऩे वाले बच्चों के लिए पढ़ाई से जुड़ी जरूरतों के लिए पैसे दे सकते है।
दिन के हिसाब से टीचरों का टर्न
बस्ती में पढ़ाने जाने वाले छात्रों की पढ़ाई में कोई व्यवधान न आ जाए इसके लिए प्रत्येक ने अपने दिन का निर्धारण कर रखा है।
एक दिन में चलती है दो बार कक्षाएं प्रत्येक बच्चे पर पूरा ध्यान दिया जा सकें इसके लिए दिन में 11 बजे से 1 बजे तक व शाम को 4 बजे से 6 बजे तक कक्षाएं चलती है।
बच्चों के ऊपर पूरा ध्यान बच्चों की पढ़ाई को बेहतर बनाने के लिए दिन के हिसाब से एक व्यक्ति को इंचार्ज बनाया जाता है। ताकि पढ़ाने वाले शिक्षक के साथ वह बच्चों की पढ़ाई संबंधित जरूरतों की पूर्ति कर सके। उस दौरान दूसरे शिक्षक बच्चों पर नजर रखते है।
जाब के बाद जाते है पढ़ाने प्रदीप कांडपाल एक बैक में क्लर्क है। शाम को आफिस से छूटने के बाद बस्ती में जाकर बच्चों को शिक्षित करने का कार्य कर रहें है।
सब पढ़ें, सब बढ़ें की तर्ज पर कर रहे कार्य संस्था के सागर भट्ट ने बताया कि झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोगों के विचारों को स्वीकार्यता के साथ बदलने और विकसित करने का यह प्रयास है। हम सब पढ़े, सब बढ़े योजना के तर्ज पर कार्य कर रहें है। ताकि प्रत्येक बच्चा शिक्षित हो सके।
हमारी मुहिम बच्चों को शिक्षित करने की प्रफुल्ल जोशी ने कहा कि पढऩे के बारे में सब सोचते है। लेकिन कभी कुछ चीजों के अभाव में पढ़ाई से नाता टूट जाता है। हमारी मुहीम उन बच्चों को शिक्षित करने की है। जिनकी उम्र हाथों में किताब लेने की है न कि कचरे के ढ़ेर में कूड़ा उड़ाने की ।
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