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यह प्रतियोगिता किसानों को जोड़े रखेगी खेती से, जानिए क्‍या है खासियत

जहां आज लोग खेती से मुंह मोडऩे लगे हैं, वहीं कत्यूर घाटी में आयोजित हो रही किरसाण प्रतियोगिता लोगों को खेती से जोडऩे में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 09 Dec 2018 05:07 PM (IST)
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यह प्रतियोगिता किसानों को जोड़े रखेगी खेती से, जानिए क्‍या है खासियत
गरुड़, जेएनएन : जंगली जानवरों के आतंक और सरकारों की बेरुखी के चलते जहां आज लोग खेती से मुंह मोडऩे लगे हैं, वहीं कत्यूर घाटी में आयोजित हो रही किरसाण प्रतियोगिता लोगों को खेती से जोडऩे में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। खेती के वैज्ञानिक तौर-तरीकों को समझने और पलायन रोकने में यह अनूठी प्रतियोगिता मददगार साबित हो रही है।

गढ़वाल मंडल में आयोजित होने वाली 'घस्यारी' प्रतियोगिता की तर्ज पर दो साल से कत्यूर घाटी के द्यौनाई में 'किरसाण' प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है। यह प्रतियोगिता किसी सरकारी इमदाद से नहीं बल्कि जन सहयोग से आयोजित की जाती है। महानगरों के भौतिकतावादी जीवन को छोड़कर कत्यूर घाटी की भगरतोला न्याय पंचायत में दो साल पूर्व तीस ग्रामसभाओं के ग्रामीणों को खेती से जोडऩे की डॉ. किशन राणा की मुहिम अब रंग लाने लगी है। हितैषी संस्था के सचिव डॉ. किशन राणा द्वारा न्याय पंचायत स्तर पर शुरू की गई यह प्रतियोगिता अब पूरे विकासखण्ड में फैल गई है। लोगों में अब खेती के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है। खेती छोड़कर मैदानों की ओर रुख करने वाले लोगों को इस प्रतियोगिता से प्रेरणा मिल रही है। लोग अब शहर छोड़कर पहाड़ की ओर आने लगे हैं।

इसे कहा जाता है किरसाण

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में अपनी अत्यधिक कर्मठता, लगनशीलता, समर्पण, जुझारुपन, संघर्षशीलता से जो महिला तेजी के साथ अपने कार्यों को निपटाती है, उसे किरसाण कहा जाता है। यही मातृशक्ति पहाड़ की रीढ़ भी है।

सौ अंकों की होगी प्रतियोगिता

आयोजक डॉ. किशन राणा ने बताया कि घास काटने की प्रतियोगिता तीन अंकों की होती है। सर्वोत्तम गाय व भैंस के लिए दो-दो अंक और बछिया-बछड़े व थोरी के लिए एक-एक अंक तय किया गया है। उन्होंने बताया कि पचास अंकों की सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता समेत प्रतियोगिता कुल सौ अंकों की होगी। उन्होंने लोगों से प्रतियोगिता के सफल आयोजन के लिए सहयोग करने की अपील की है।

16 व 17 दिसंबर को होगा फाइनल

किरसाण प्रतियोगिता का फाइनल 16 व 17 दिसंबर को होगा। 16 दिसंबर को पंतनगर के वैज्ञानिक, नदी बचाओ आंदोलन की प्रणेता व प्रख्यात समाजसेविका राधा बहन, पर्यावरणविद सच्चिदानंद भारती, राजीव लोचन साह, प्रो शेखर पाठक, रमेश पहाड़ी, उमा भट्ट, चंदन डांगी, मैती आंदोलन के जनक कल्याण ङ्क्षसह रावत समेत कई हस्तियां महिलाओं से खेती व पशुपालन के संबंध में परिचर्चा करेंगे, साक्षात्कार लेंगे और 17 दिसंबर को विजेता किरसाणों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाएगा।

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