बंगाली ट्रेल्स बनाकर पर्यटन बढ़ाएगा केएमवीएन; स्वामी विवेकानंद, टैगोर व अन्य महान हस्तियों की कुमाऊं यात्रा बनेंगी आधार
Kumaon Yatra बंगाल के सपूत स्वामी विवेकानंद का कुमाऊं से गहरा नाता रहा है। नोबल पुरस्कार विजेता रवींद्र नाथ टैगोर ने अपनी प्रसिद्ध कृति गीतांजलि का हिस्सा नैनीताल के रामगढ़ में लिखा था। रामगढ़ में एक पहाड़ी का नाम टैगोर टॉप है। चंपावत जिले के लोहाघाट क्षेत्र में मायावती आश्रम नैनीताल अल्मोड़ा काकड़ीघाट से स्वामी विवेकानंद के पग पड़े थे।
By Jagran NewsEdited By: riya.pandeyUpdated: Tue, 31 Oct 2023 01:49 PM (IST)
किशोर जोशी, नैनीताल। Kumaon Yatra: कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) बंगाल की महान विभूतियों की कुमाऊं यात्रा और उनसे जुड़े प्रसिद्ध स्थनों की ट्रेल बनाकर पर्यटन बढ़ाने की तैयारी में है। निगम की ओर से माउंट बंगाल ट्रेल्स आफ एमिनेंट बंगालीज इन कुमाऊं का प्रकाशन कर बंगाल के टूर एंड ट्रेवल्स एजेंसियों, एजेंटों सहित प्रसिद्ध होटलों, पर्यटन स्थलों में भेजा है, ताकि पर्यटक आकर्षित हों।
निगम के प्रबंध निदेशक डा. संदीप तिवारी ने कुमाऊं में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पारंपरिक के बजाय नए तौर तरीकों का उपयोग किया जा रहा है। बंगाल के सपूत स्वामी विवेकानंद का कुमाऊं से गहरा नाता रहा है। नोबल पुरस्कार विजेता रवींद्र नाथ टैगोर ने अपनी प्रसिद्ध कृति गीतांजलि का हिस्सा नैनीताल के रामगढ़ में लिखा था। रामगढ़ में एक पहाड़ी का नाम टैगोर टॉप है।
स्वामी विवेकानंद 1890 में आए थे नैनीताल
चंपावत जिले के लोहाघाट क्षेत्र में मायावती आश्रम, नैनीताल, अल्मोड़ा, काकड़ीघाट से स्वामी विवेकानंद के पग पड़े थे। बंगाल के पर्यटक इन स्थानों पर जाते रहे हैं लेकिन संख्या बेहद कम है। स्वामी विवेकानंद ने 1890 में ट्रेन से काठगोदाम आए थे। नैनीताल में विश्राम के बाद अल्मोड़ा में रामप्रसन्ना भट्टाचार्य के घर छह दिन ठहरे थे। अल्मोड़ा के खजांची मोहल्ला में भी विवेकानंद 1898 मेंं ठहरे थे। यह उनकी तीसरी कुमाऊं यात्रा थी।नैनीताल के पहाड़पानी में 31 दिसंबर 1900 को तथा पहली जनवरी 1901 मौरनौला डांक बंगले में रात बिताई थी। यहां से चंपावत जाने वाले रूट में दो जनवरी को धूनाघाट तथा तीन जनवरी को मायावती आश्रम में आगमन हुआ था। श्यामलाताल, थॉमसन हाउस भी इस ट्रेल का हिस्सा है।
1903 में कुमाऊं आए थे टैगोर
नोबल पुरस्कार विजेता महान साहित्यकार रवींद्र नाथ टैगोर 1903 में नैनीताल जिले के रामगढ़ आए थे। टैगोर ने गीतांजलि के हिस्से यहां पर लिखे थे। रामगढ़ के साथ ही अल्मोड़ा भी उनका आना जाना लगा रहा। अल्मोड़ा में टैगोर भवन भी है। विश्वभारती केंद्रीय विश्वविद्यालय का परिसर भी नैनीताल जिले के टैगोर टॉप में प्रस्तावित है। निगम ने रामगढ़ के साथ ही मुक्तेश्वर व अल्मोड़ा में टीआरसी तक की ट्रेल बनाई है।अल्मोड़ा में है उदयशंकर नाट्य अकादमी
बंगाल के एक और सपूत उदयशंकर के नाम पर अल्मोड़ा में नाट्य अकादमी है। उदयशंकर के साथ ही महान संगीतकार प्ंडित रविशंकर भी कुमाऊं आए थे। अल्मोड़ा के बिनसर में श्री अरोबिंदो और जेमिनी राय खाली इस्टेट है। 1929 में महात्मा गांधी जब कुमाऊं यात्रा पर आए थे, तो उन्होने इस स्टेट की यात्रा की थी। जैमिनी रॉय, पातालदेवी अल्मोड़ा में मां आनंदमयी आश्रम है।
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