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अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफर पद्मश्री अनूप साह के इस पहलू से भी हों रूबरू

फोटोग्राफी में अंतरराष्ट्रीय स्तर में धाक जमा चुके पद्मश्री प्राप्त नैनीताल के अनूप साह उत्तराखंड की जैव विविधता के संरक्षण में दशकों से जुटे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Thu, 31 Jan 2019 07:53 PM (IST)
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अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफर पद्मश्री अनूप साह के इस पहलू से भी हों रूबरू
नैनीताल, जेएनएन : फोटोग्राफी में अंतरराष्ट्रीय स्तर में धाक जमा चुके पद्मश्री प्राप्त नैनीताल के अनूप साह उत्तराखंड की जैव विविधता के संरक्षण में दशकों से जुटे हैं। उन्हें हिमालय के प्रहरी के रूप में भी जाना पहचाना जाता है। पिता चंद्र लाल साह द्वारा स्थापित नैनीताल पर्वतारोहण क्लब के माध्यम से पर्वतारोहण के अलावा वह बारापत्थर में आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं और फोटोग्राफी के साथ फ्लोरा-फोना के असीमित ज्ञान से नई पीढ़ी को लाभान्वित कर रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफर साह का जन्म सरोवर नगरी के प्रतिष्ठित चेतराम साह ठुलघरिया परिवार में हुआ था। पिता चंद्र लाल साह कुशल पर्वतारोही थे। उन्होंने पर्वतारोहण अभियानों का संचालन किया तो साह को फोटोग्राफी का शौक चढ़ गया। साह परिवार संस्कृति, जैव विविधता व पर्यावरण का संरक्षक था तो अनूप को लोक संस्कृति से भी खास लगाव हो गया। 60 के दशक में पिता ने कैमरा खरीदकर किया तो तब से पीछे मुड़कर नहीं देखा। साह के पिता चंद्रलाल साह ने नैनीताल में फ्लोरिस्ट लीग की स्थापना की थी। सीआरएसटी कॉलेज में लीग की ओर से पुष्प प्रदर्शनी होती थी। 80 के दशक से अनूप साह मशरूम की खेती को भी बढ़ावा रहे हैं। उन्होंने कुमाऊं के प्राकृतिक सौंदर्य, ग्लेशियर, जैव विविधता, उच्च हिमालयी क्षेत्र की जनजाति संस्कृति, तीज त्यौहार, परंपरा, पहनावा, उत्तराखंड की नंदा राज जात यात्रा, नंदा देवी महोत्सव, सातताल, किलबरी क्षेत्र की जैव विविधता को फोटोग्राफी के माध्यम से अंतरराष्टï्रीय पटल पर नए आयाम दिए।

कैलास मानसरोवर, पिंडारी ग्लेशियर, अस्कोट-आराकोट अभियान समेत अनेक हिमालयन कार रैली के माध्यम से भी साहसिक अभियानों को प्रमोट किया। वह नैनीताल पर्वतारोहण क्लब के अध्यक्ष व सीआरएसटी कॉलेज के प्रबंधक भी हैं।

उड़न गिलहरी व जंगली कुत्ते को पहली बार लाए सामने

इंडिया इंटरनेशनल फोटोग्राफी काउंसिल के उपाध्यक्ष अनूप साह के फोटो की प्रदर्शनी इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, ललित कला अकादमी दिल्ली, कोलकाता, मुंबई के साथ ही चीन, हांगकांग में भी धूम मचा चुकी है। वह अब तक करीब पांच सौ पक्षियों के फोटोग्राफ्स खींच चुके हैं। उच्च हिमालयी क्षेत्र में 19 हजार फीट से अधिक ऊंचाई में पाई जाने वाली उड़न गिलहरी व वाइल्ड डॉग की पहली बार फोटो साह ने ही खींची थी। दो बार कैलास मानसरोवर यात्रा कर चुके साह को प्रकृति से खासा लगाव है। ऊं पर्वत के अलावा नैनीताल, अल्मोड़ा में कोहरे के बीच प्रकृति के तमाम रंग, पिथौरागढ़ जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्र की जनजाति की काष्ठ कला, रहन-सहन, रीति-रिवाज को दुनिया के सामने लाए। साह कहते हैं प्रकृति से प्रेम करने से ही धरती में जीवन संभव है। जैव विविधता का संरक्षण बेहद जरूरी है।

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