जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। Kolkata Doctor Rape-Murder: देश भर के डॉक्टर आक्रोशित हैं। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कालेज में महिला डॉक्टर की दुष्कर्म व हत्या के मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
कुमाऊं के सबसे बड़े शहर हल्द्वानी में भी आज सरकारी व निजी अस्पतालों के 500 से अधिक डॉक्टर सड़क पर उतरे। जुलूस निकाला। नारेबाजी करते हुए आंदोलन किया।इसमें मेडिकल कालेज के स्टूडेंटस भी शामिल हुए। इससे कुमाऊं भर से इलाज को पहुंचने वाले 13 हजार से अधिक मरीज प्रभावित हुए। यद्यपि इमरजेंसी सेवा सभी निजी व सरकारी अस्पतालों में सुचारू रही।
17 अगस्त की सुबह से 24 घंटे तक ओपीडी सेवा पूरी तरह बंद
आइएमए के राष्ट्रीय आह्वान पर कुमाऊं में भी 17 अगस्त की सुबह से 24 घंटे तक ओपीडी सेवा पूरी तरह बंद रहेगी। आइएमए हल्द्वानी के महासचिव डा. प्रदीप पांडे ने बताया कि नौ अगस्त को कोलकाता में हुई घटना से देश स्तब्ध है। इस तरह घटना भविष्य में न हो।
डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। इसके लिए संगठन के राष्ट्रीय आह्वान पर सभी डॉक्टर डा. सुशीला तिवारी अस्पताल से शहीद पार्क तक जुलूस निकाला। ज्ञापन सौंपा। साथ ही रात में भी शहीद पार्क से कैंडल मार्च निकालेंगे। मेडिकल कालेज हल्द्वानी के रेजिडेंट डॉक्टर, इंटर्न और मेडिकल स्टूडेंट्स भी कार्य बहिष्कार करते हुए जुलूस में शामिल हुए।
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पीएमस व एनएचएम का भी खुला समर्थन
प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के अध्यक्ष डा. मनोज वर्मा व महासचिव डा. रमेश कुंवर की ओर से कहा गया है कि आरजी कर मेडिकल कालेज की महिला रेजिडेंट डॉक्टर को न्याय दिलाने के लिए शांतिपूर्वक आंदोलन किया जा रहा है।बेस अस्पताल, महिला अस्पताल समेत सभी सरकारी अस्पताल में भी 17 अगस्त से 24 घंटे ओपीडी सेवा बंद रहेगी। अस्पतालों में केवल इमरजेंसी सेवाएं संचालित हुई। साथ ही एनएचएम कर्मियों ने भी साथ देने का ऐलान किया है।
हल्द्वानी में डॉक्टरों व ओपीडी की स्थिति
शहर में आइएमए से 325 डॉक्टर जुड़े हैं। इसमें 225 डॉक्टरों की ओपीडी में ही अनुमानित तौर पर प्रतिदिन 11 हजार से अधिक मरीज पहुंचते हैं। इसके अतिरिक्त बेस अस्पताल व महिला अस्पताल समेत अन्य सरकारी अस्पतालों में दो हजार डॉक्टर पहुंचते हैं। ऐसे में लगभग 13 हजार मरीज सीधे-सीधे प्रभावित हुए। पहले से तय आपरेशन भी नहीं हो सके। इसके लिए मरीजों को इंतजार करना पड़ेगा।
एसटीएच ओपीडी सेवा सुचारू रहेगी लेकिन काम प्रभावित
डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में सीनियर डॉक्टर ड्यूटी पर रहे। इसलिए ओपीडी सेवाएं संचालित हुई। यहां पर केवल रेजिडेंट डाक्टर, इंटर्न डाक्टर व मेडिकल छात्र-छात्राएं हड़ताल पर रहे। इसकी वजह से काम प्रभावित रही।
अस्पताल में ओपीडी रही बंद, सड़कों में जमकर की नारेबाजी
नैनीताल में कोलकाता में महिला चिकित्सक के साथ हुई दरिंदगी के विरोध में चिकित्सा विभाग कर्मचारी सड़कों पर उतर आए हैं। तमाम चिकित्सकों, नर्सों और अन्य कर्मचारियों ने सड़क पर उतरकर जमकर विरोध जताया। चिकित्सा कर्मियों ने नारेबाजी कर आरोपितों को फांसी की सजा देने की मांग की। इस बीच अस्पताल में ओपीडीपी बंद रही। जिस कारण मरीज को भारी परेशानी उठानी पड़ी।
शनिवार को जिले भर से पहुंचे चिकित्सा कर्मचारी बीडी पांडे अस्पताल में एकत्रित हुए। जहां से उन्होंने कोलकाता में महिला चिकित्सक के साथ हुई दरिंदगी पर विरोध जताते हुए जुलूस निकाला।मल्लीताल से माल रोड होते हुए तल्लीताल डांठ स्थित गांधी मूर्ति के समीप एकत्रित होकर कर्मचारियों ने आरोपितों की विरुद्ध जमकर नारेबाजी कर उन्हें सख्त सजा दिए जाने की मांग की। इसके बाद माल रोड होते हुए जुलूस मल्लीताल पंत पार्क पहुंचा। जहां जनसभा करते हुए चिकित्सकों ने कहा कि महिला चिकित्सक के साथ इस तरह का व्यवहार बेहद ही निंदनीय है।
एक ओर सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की बात कर रही है। दूसरी ओर घटना के इतने दिन बाद भी आरोपितों को सजा नहीं मिल पाई है। उन्होंने कहा कि इस तरह के मामलों में सख्त सजा का प्रावधान कर आरोपितों को फांसी की सजा दी जाए।विरोध जताने वालों में पीएमएस डॉ टीके टम्टा, डॉ एमएस दुग्ताल, डॉ द्रोपदी गर्ब्याल, डॉ नरेंद्र सिंह रावत, डॉ के मिश्रा, डॉ संजीव खर्कवाल, डॉ सुधांशु सिंह, डॉ अभिषेक गुप्ता, डॉ दीपिका लोहनी, डॉ मोनिका कांडपाल, मेट्रन शशिकला पांडे, जानकी कनवाल समेत तमाम कर्मचारी मौजूद रहे।
पछासं ने भी बंगाल सरकार का फूंका था पुतला
परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछासं) ने 16 अगस्त को पश्चिम बंगाल में आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म व हत्या के विरोध में बुद्ध पार्कमें सभा की थी। पश्चिम बंगाल सरकार व अश्लील उपभोक्तावादी पूंजीवादी संस्कृति का पुतला दहन किया। वक्ताओं ने कहा कि बंगाल सरकार आरोपियों को बचाने का घृणित काम कर रही है।
कैंडल मार्च करने वालों पर हमला करना शर्मनाक है। अश्लील उपभोक्तावादी संस्कृति ने लोगों की मानसिकता को इस हद तक बर्बाद कर दिया है कि महिलाएं घर, काम की जगह कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। हर पारिवारिक-सामाजिक संबंध तार-तार हो रहे हैं।
सभा के दौरान कार्यकर्ता ने अपराधियों को बचाने वाली बंगाल सरकार मुर्दाबाद, अश्लील उपभोक्तावादी संस्कृति मुर्दाबाद, दोषियों को तत्काल गिरफ्तार करो आदि नारे लगाए। इसमें महेश चन्द्र, रुपाली, ईशा चौहान, अनिशेख, उमेश पाण्डेय, उमेश चन्द्र, विपिन, चंदन आदि रहे।
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