अब भी नहीं चेते तो 20 साल में इतिहास बन जाएगी कोसी
सूखती कोसी नदी को पुनर्जीवित करने के लिए पालिका सभागार में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित हुई जिसमें तमाम बिंदुओं पर चर्चा कर कोसी को बचाने की वकालत की गई।
By Edited By: Updated: Tue, 24 Dec 2019 06:02 AM (IST)
रामनगर, जेएनएन : सूखती कोसी नदी को पुनर्जीवित करने के लिए पालिका सभागार में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित हुई, जिसमें तमाम बिंदुओं पर चर्चा कर कोसी को बचाने की वकालत की गई। सोमवार को डॉ. प्रदीप रावत के संचालन में आयोजित गोष्ठी में पिछले तीन दशक से कोसी बचाने के लिए किए गए शोध का हवाला दिया। प्रो. जीवन सिंह रावत ने कहा कि चार दशक पूर्व तक कोसी के उद्गम स्थल पर पानी की धार से रामनगर तक छोटी-बड़ी लगभग 14000 सहायक नदियों का जल मिलकर वर्ष भर बहता था। लेकिन आज वैश्विक जलवायु परिवर्तन जंगलों की आग नियोजित शहरीकरण तथा विकास के नाम पर जल, जंगल, जमीन पर अंधाधुंध शोषण होने के कारण जीवनदायिनी कोसी की 84 फीसद सहायक नदियां सूख चुकी हैं। जबकि 10 फीसद सूखने के कगार पर हैं। यदि यही हाल रहा तो 20 साल बाद नई पीढ़ी के लिए कोसी इतिहास बन जाएगी। जिसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव अल्मोड़ा व रामनगर को पड़ेगा।
अल्मोड़ा में सूखती कोसी नदी के दो प्रमुख दुष्परिणामों का प्रभाव पिछले दो वर्षो से अनुभव किया जा रहा है, जिससे क्षेत्र में सूखे की स्थिति बनी रहती है और टैंकरों से पानी गाव शहरों तक पहुंचाया जाता है। वक्ताओं ने कहा कि पहाड़ ही नहीं मैदान में भी कोसी नदी अंतिम सांसें लेने को विवश है। अगर इसे नहीं बचाया गया तो जीवन का संकट में पड़ जाना तय है। सिंचाई के लिए भी जल उपलब्धता घटती जा रही है, जिससे फसलों के उत्पादन में भी असर पड़ रहा है। गोष्ठी में उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान देहरादून की वरिष्ठ वैज्ञानिक मंजू सुंदरियाल, भूगर्भ विज्ञान विभाग कुमाऊं विवि के विभागाध्यक्ष प्रो. चारू पंत, विधायक दीवान सिंह बिष्ट, ज्येष्ठ उप प्रमुख संजय नेगी, भाजपा नेता इंदर सिंह रावत ने कोसी को बचाने के लिए विद्यालयों के माध्यम से जन जागरूकता अभियान चलाने पर जोर दिया।
इस मौके पर डॉ. प्रदीप रावत, राजेंद्र राणा, प्रधानाचार्य रामानंद त्रिपाठी, भूपेंद्र खाती, नरेंद्र शर्मा, मनमोहन सिंह बिष्ट, सुरेश घुघत्याल मौजूद रहे। बांगाझाला व खिचड़ी नदी का भी होगा उपचार शिवालिक से निकलने वाली सहायक नदी को बांगाझाला और खिचड़ी नदी को भी पुर्नजीवित करने के प्रयास में लगी है। इनके मास्टर प्लान तैयार कर जल्द ही कार्य किया जाएगा।
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