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बुखार, मधुमेह, डायरिया की दवा बनाएगा कुमाऊं विश्‍वविद्यालय, खरगोश व चूहों पर होगा परीक्षण

कुमाऊं विवि के फॉर्मेसी विभाग ने बुखार के साथ ही डायरिया मधुमेह घाव के उपचार आंखों की दवा आदि तैयार करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 03 Dec 2019 09:18 AM (IST)
बुखार, मधुमेह, डायरिया की दवा बनाएगा कुमाऊं विश्‍वविद्यालय, खरगोश व चूहों पर होगा परीक्षण
नैनीताल, किशोर जोशी : कुमाऊं विश्‍वविद्यालय के फॉर्मेसी विभाग ने बुखार के साथ ही डायरिया, मधुमेह, घाव के उपचार, आंखों की दवा आदि तैयार करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। इन दवाओं को तैयार करने से संबंधित 21 प्रोजेक्टों में चूहों व खरगोश पर प्रयोग किए जाएंगे। एनिमल एथिक्स कमेटी ने विभाग को इसकी हरी झंडी दे दी है। यह पहला मौका है जब विवि ने एक साथ इतनी दवा बनाने के प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी है। इन प्रोजेक्ट की अवधि छह माह से एक साल तक है।

दरअसल, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने जीवित जीवों पर बेरोकटोक प्रयोग प्रतिबंधित कर दिए थे। 2001 में ऐसा करने के लिए पूरे देश में पंजीकरण की व्यवस्था प्रभावी बनाई गई। इसके तहत एनिमल एथिक्स कमेटी बनाई जाती हैै। समिति में संस्थान व विवि के पांच सदस्य व सरकार की तरफ से चार सदस्य नामित किए जाते हैं। समिति में शाामिल छह सदस्य वैज्ञानिक, एक सदस्य सामाजिक व पशु कल्याण से संबंधित समाजिक वैज्ञानिक होता है। पशु चिकित्सा से संबंधित व सदस्य सचिव की जिम्मेदारी संबंधित संस्था के वैज्ञानिक को दी जाती है। विवि के फॉर्मेसी विभाग में यह समिति बनाई गई है।

करीब 500 चूहों व खरगोश पर होगा प्रयोग

एनिमल एथिक्स कमेटी के चेयरमैन प्रो. सतपाल सिंह बिष्टï की अध्यक्षता में हुई बैठक में चूहों व खरगोश पर शोध करने के लिए आवश्यकतानुसार अनुमति दी गई। प्रो. बिष्टï ने फॉर्मेसी व दवा क्षेत्र में नवीन उपयोगों व शोध कार्यों के लिए भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, प्रस्ताव पर चर्चा कर निर्णय लेने की अपेक्षा की। प्रो. बिष्टï के अनुसार, विवि के शोध को आम आदमी के लिए उपयोगी बनाने के लिए गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं। करीब पांच सौ चूहों व खरगोश पर प्रयोग किए जाएंगे।

भीमताल में है एनिमल हाउस

समिति के सदस्य सचिव डॉ. तीरथ कुमार के अनुसार, फॉर्मेसी विभाग भीमताल में एनिमल हाउस है, जहां खरगोश व चूहे हैं। हाउस में एसी व ब्लोअर होना चाहिए। प्रयोग के बाद जीव-जंतु की नियमित देखभाल की जाती है।

समिति में ये हैं शामिल

आइवीआरआइ बरेली के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ सलाउद्दीन कुरैशी, सामाजिक कार्यकर्ता शैलजा अग्रवाल, भारत सरकार नामित वैज्ञानिक डॉ. हिमांशु जोशी, डॉ. संतोष उपाध्याय, सदस्य सचिव डॉ. तीरथ कुमार, विभागाध्यक्ष प्रो. अर्चना नेगी साह आदि।

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