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चंपावत में बंजर जमीन पर की जाएगी बड़ी इलायची और तेजपात की खेती nainital news

मां बाराही स्वायत्त सहकारिता समिति चम्पावत ने 100 नाली जमीन पर जड़ी-बूटी शोध संस्थान गोपेश्वर के सहयोग से जड़ी बूटी और सगंध पौधों की खेती करने का निर्णय लिया है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 07 Mar 2020 09:40 AM (IST)
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चंपावत में बंजर जमीन पर की जाएगी बड़ी इलायची और तेजपात की खेती nainital news
चम्पावत, जेएनएन : चंपावत जिले के लोहाघाट व बाराकोट ब्लॉक की सीमा पर सुई पऊ गांव के मुगलानी में 60 वर्षों से बंजर पड़ी जमीन की कोख हरी होने जा रही है। जिस जमीन पर कंटीली झाडिय़ों का राज था अब वहां तेजपात और बड़ी इलायची के पौधे अपनी खुशबू बिखेरेंगे। मां बाराही स्वायत्त सहकारिता समिति चम्पावत ने 100 नाली जमीन पर जड़ी-बूटी शोध संस्थान गोपेश्वर के सहयोग से जड़ी बूटी और सगंध पौधों की खेती करने का निर्णय लिया है।

विवाद के कारण बंजर पड़ी है जमीन

पऊ और बाराकोट ब्लॉक के नौमाना गांव के लोगों की मुगलानी स्थित पुस्तैनी साझा जमीन विवाद के चलते छह दशक से बंजर पड़ी हुई थी। मां बाराही स्वायत्त सहाकारिता समति ने मध्यस्तता कर आपसी विवाद सुलझाने के बाद सौ नाली जमीन को लीज पर ले लिया है। अब अगस्त माह में बंजर भूमि पर तेजपात और बड़़ी इलायची की खेती की जाएगी। यहां पैदा होने वाले तेजपात और इलायची को भेषज संघ के माध्यम से मंडियों तक पहुंचाया जाएगा।

जड़ी बूटी शोध संस्था गोपेश्वर करेगी मदद

समिति को जड़ी बूटी शोध संस्था गोपेश्वर पौध उपलब्ध कराने के साथ तकनीकी जानकारी देगा। तेजपात और बड़ी इलायची की खेती के लिए अलग-अलग फार्म बनाए जाएंगे और उन्हें स्थानीय काश्तकारों को बांटा जाएगा। इस काम में जमीन स्वामियों के साथ नौमाना और पऊ ग्राम पंचायतों के काश्तकारों को शामिल किया जाएगा। समिति के अध्यक्ष रमेश चंद्र पंत ने बताया कि काश्तकारों का चयन कर भेषज संघ में उनका पंजीकरण कराने के साथ लाइसेंस उपलब्ध कराने की कार्रवाई की जाएगी। अप्रैल माह से बंजर जमीन में उगी झाडिय़ों का कटान करने के साथ गड्ढे खोदने शुरू कर दिया जाएगा।

दस हजार तेजपात और 10 हजार इलायची की पौध लगाने का लक्ष्य

सहकारी समिति ने तेजपात के 10 हजार और इतने ही बड़ी इलायची की पौध लगाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए सौ नाली भूमि को आधे हिस्से में बांटा जाएगा। बड़ी इलायची के पौधे स्थानीय काश्तकारों से भी खरीदे जाएंगे। प्लांट में बारिश के पानी को एकत्रित करने के लिए 50 चाल खाल भी बनाने की योजना है।

सौ काश्तकारों को सीधे जोड़ा जाएगा उत्पादन से

तेजपात से 50 और इतने ही काश्तकारों को बड़ी इलायची उत्पादन से सीधे जोड़ा जाएगा। सहकारी समिति काश्तकारों को समय-समय पर अन्य संस्थाओं के सहयोग से उत्पादन का प्रशिक्षण और सुझाव देगी। काश्तकारों को अपनी कमाई का 10 प्रतिशत हिस्सा समिति के खाते में जमा कराना होगा। मुगलानी में प्लांट तैयार होने के बाद समिति आस-पास के गांवों में भी तेजपात और बड़ी इलायची की खेती के लिए लोगों को प्रेरित करेगी। पहले चरण में 50 काश्तकारों की जमीन इसके लिए लीज पर ली जाएगी।

भेजष संघ के माध्यम से होगी विपणन की व्यवस्था

कृषिकरण में शामिल काश्तकारों का पंजीकरण जिला भेषज इकाई में करने के बाद उन्हें बिक्री के रवन्ना उपलब्ध कराए जाएंगे। भेषज संघ के माध्यम से उत्पादित माल को टनकपुर, रामनगर और ऋषिकेश मंडी तक पहुंचाया जाएगा। समिति शीघ्र इसके लिए जिला भेषज इकाई से संपर्क कर आवश्यक सुझाव एवं दिशा निर्देश प्राप्त करेगी।

उत्पादन पर निर्भर करता है बाजार भाव

जड़ी बूटी उत्पादन के सर्वेक्षक सहायक मदन पंत ने बताया कि गड्ढे खोदने से लेकर तेजपात और बड़ी इलायची लगाने तक औसतन 30 रुपये का खर्च आता है। जबकि तेजपात मार्केट में 70-75 रुपये प्रति किलो और बड़ी इलायची 120 से रुपया किलो के भाव से बिकती है। प्रतिवर्ष उत्पादन के अनुसार बाजार भाव घटता बढ़ता रहता है।

जिले में बड़े पैमाने पर हो रही है जड़ी बूटी की खेती

जड़ीबूटी शोध संस्थान गोपेश्वर के सहयोग से जिले में पहले से ही तेजपात की खेती की जा रही है। संस्थान से जुड़े मदन पंत ने बताया कि बाराकोट, लोहाघाट, पाटी एवं चम्पावत विकास खंडों में तेजपात, बड़ी इलायची, टगर (समेवा) तुलसी की खेती से सैकड़ों काश्तकार रोजी रोटी कमा रहे हैं। इन उत्पादकों का माल भेषज इकाई के माध्यम से बेचा जाता है। बताया कि जंगली जानवर इन पौधों को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं जिसके कारण काश्तकार आसानी से खेती कर आजीविका कमा सकते हैं।

बंजर जमीन को लिया जाएगा लीज पर

रमेश पंत, अध्यक्ष मां बाराही जिला स्वायत्त सहकारिता समिति ने बताया कि सुई पऊ गांव के अंतर्गत आने वाली मुगलानी नामक जगह में 60 साल से बंजर बड़ी जमीन पर तेजपात और बड़ी इलायची की खेती करने के लिए प्लान तैयार कर लिया गया है। जमीन को लीज पर लेकर उसे प्लांटेशन के लिए तैयार किया जा रहा है। जड़ीबूटी शोध संस्थान गोपेश्वर और जिला भेषज इकाई के सहयोग से इस कार्य को शुरू किया जाएगा।

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