उत्तराखंड में कोरोना वायरस के संक्रमण को विस्फोटक बना सकते हैं निजामुद्दीन मरकज में शामिल जमाती
दिल्ली के निजामुद्दीन में तब्लीगी जमाती मरकज में शामिल होने वाले लोग देश में कोरोना वायरस का संक्रमण फैलाने वाले कॅरियर बन चुके हैं। ये लोग देश के अलग-अलग प्रदेशों में पहुंचे हैं।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 01 Apr 2020 10:26 AM (IST)
रामनगर, जेएनएन : दिल्ली के निजामुद्दीन में तब्लीगी जमाती मरकज में शामिल होने वाले लोग देश में कोरोना वायरस का संक्रमण फैलाने वाले कॅरियर बन चुके हैं। ये लोग देश के अलग-अलग प्रदेशों में पहुंचे हैं। ऐसे में उत्तराखंड के लिए भी ये खतरनाक हो चुके हैं। मरकज में उत्तराखंड से शामिल होने वाले 13 लोगों की पहचान हुई है। जिनमें नौ लोग रामनगर और चार रानीखेत से शामिल हुए थे। उनकी पहचान करने के बाद मंगलवार को स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया। फिलहाल किसी में संक्रमण के लक्षण नहीं मिले हैं। एहतियात के तौर पर उनको 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन किया गया है। सभी पर नजर रखी जा रही है। वहीं नैनीताल के जामा मस्जिद में 13 से 20 मार्च के बीच मरकज निजामुद्दीन की 11 सदस्यीय जमात आई थी। दिल्ली के इन जमातियों के संपर्क में नैनीताल के आठ लोग आए थे। इनका भी स्वास्थ्य परीक्षण करने बाद क्वारंटाइन करने की कवायद शुरू हो गई है। बता दें कि उत्तराखंड में अब तक सात लोगों में ही कोरोना वायरस पॉजिटिव मिला है। लेकिन मरकज में शामिल होने वाले स्थिति को विस्फोटक बना सकते हैं।
संक्रमण फैलाने वाले कॅरियर बन चुके हैं जमाती हाल ही में दिल्ली के निजामुद्दीन में हुए तब्लीगी मरकज में शामिल हुए तेलंगाना के छह लोगों की कोरोना वायरस से संक्रमण के चलते तेलंगाना में मौत हो गई, जबकि वहीं के 15 लोगों में कोरोना संक्रमण पाजिटिव मिला है। तब्लीगी मरकज में शामिल होने वाले लोग देश के कई प्रदेशों में पहुंचे हैं। ऐसे में इनसे कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैलने का खतरा है। ये लोग चलते -फिरते मानव बम बन चुके हैं। प्रदेश सरकारों को इनको ढूंढकर क्वारंटाइन करना बडा चैलेंज बन चुका है। तब्लीगी मकरज में शामिल होने वाले उत्तराखंड से अब तक 13 लोगों की पहचान होने से हडकंप मचा हुआ है। उत्तराखंड से तब्लीगी जमाती मरकज में शामिल होने वाले अब तक 13 लोगों की पहचान हो चुकी है। सभी के स्वास्थ्य का परीक्षण कराया गया है और उनमें कोरोना वायरस के लक्षण नहीं मिले हैं। एहतियात के तौर पर उन्हें 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन किया गया है। उन पर निरंतर नजर रखी जा रही है।
उत्तराखंड से ये हुए थे निजामुद्दीन तब्लीगी मरकज में शामिल दिल्ली में 12 से 14 मार्च को निजामुदीन में तब्लीगी जमाती मरकज आयोजित हुआ था। जिसमें रामनगर गुलरघट्टी व खताड़ी क्षेत्र से नौ लोग और रानीखेत से चार लोग शामिल हुए थे। रामनगर के छप्परवाली मस्जिद खताड़ी निवासी अजहर अली, इमामुद्दीन, ब्लाक रोड मुंसिर अहमद, जामा मस्जिद खताड़ी निवासी बिलाल, कॉर्बेट नगर इस्लानुद्दीन, मक्का मस्जिद खताड़ी निवासी शेर अली, खताड़ी निवासी सलीम, बड़ी मस्जिद खताड़ी निवासी शादिक व गुलरघट्टी निवासी फहीम शामिल हुए। चेकअप के बाद उन्हें ग्राम छोई स्थित एक रिसोर्ट में 14 दिन तक क्वारनटाईन में रखा गया है। रानीखेत में किराएदार के रूप में रह रहे बिहार मूल के तीन व एक स्थानीय मुस्लिम ने हिस्सा लिया था। अल्मोडा के डीएम नितिन सिंह भदौरिया ने कहा कि रानीखेत में क्वारंटाइन किए गए जमात से लौटे लोगों में संक्रमण जैसे लक्षण नहीं मिले हैं। फिर भी पूरा एहतियात बरता जाएगा।
नैनीताल जामा मिस्जद में आए थे 11 जमाती नैनीताल शहर के जामा मस्जिद मल्लीताल में 13 से 20 मार्च मरकज निजामुद्दीन की 11 सदस्यीय जमात आई थी। ये सभी दिल्ली के निवासी थे। जबकि नैनीताल के आठ लोग जमात सदस्यों के सम्पर्क में आए थे। खुफिया एजेंसियों की इस सूचना के बाद पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया है। सभी को स्वास्थ्य परीक्षण के बाद कवारन्टीन करने की तैयारी शुरू हो चुकी है। खुद एसडीएम विनोद कुमार इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार जमात के सदस्य जिन लोगों के संपर्क में आये उनमें मल्लीताल निवासी मो वसीम, हामिद अली, मो जुहैब, राशिद, राशिद, कासिफ, दिलशाद, नईम मैकेनिक, मो बसी, निवासी बूचड़खाना, शाहनवाज निवासी हरिनगर, सानिब, व महबूब निवासी बूचड़खान शामिल हैं।
रानीखेत के जमाितियों ने एटीएम इस्तेमाल किया, नमाज में भी शािमल होते रहे तबलीगी जमात में हिस्सा लेने के लिए अल्मोड़ा जिले से करीब 17 लोग रवाना हुए थे। 13 तो पिलीभीत से वापस लौट आए थे। इनमें अल्मोड़ा के सात मुस्लिम शामिल थे। मगर पर्यटन नगरी रानीखेत के चार मुस्लिम दिल्ली भी गए। इन्हें चिलियानौला (रानीखेत) टीआरसी में बने क्वारंटाइन सेंटर में चिकित्सीय निगरानी में रखा गया है। इधर पिलीभीत तक जमात में गए अल्मोड़ा के सात मुस्लिमों को होम क्वारंटाइन कर शेष छह अन्य के साथ ही संपर्क में करीबी लोगों को भी एहतियातन होम क्वारंटाइन किया जा रहा है। प्रशासन के अनुसार संक्रमण की समयावधि गुजर चुकी है और इन लोगों में कोई लक्षण नहीं हैं। सूत्रों के अनुसार चिलियानौला क्वारंटाइन सेंटर में निगरानी में रखे गए मुस्लिम दिल्ली से रानीखेत लौटकर तमाम लोगों से मिले। एटीएम का इस्तेमाल किया। बाजार से खरीदारी की। नमाज वगैरह में भी लगातार शामिल होते रहे।
जानिए कौन होते हैं तब्लीगी जमाती मरकज़ का मतलब केंद्र होता है और तब्लीग का मतलब है अल्लाह और कुरान, हदीस की बात दूसरों तक पहुंचाना। वहीं जमात का मतलब ग्रुप से है। तब्लीगी जमात यानी एक ग्रुप की जमात। तबलीगी मरकज का मतलब इस्लाम की बात दूसरे लोगों तक पहुंचाने का केंद्र। लगभग 75 साल पहले मेवात के मौलाना इलियास साहब ने मरकज की स्थापना की थी इस मरकस को बनाने का उनका मकसद था कि भारत के अनपढ़ मुसलमानों में बढ़ती जहालत को खत्म करके उनको इस्लाम के बताए गए रास्ते और नमाज की तरफ लाना था ताकि यह भटके हुए लोग नमाज पढ़ें, रोजे रखें और बुराइयों से बचें, सच्चाई अख्तियार करें। इन कामों से मरकज़ को इतनी प्रसिद्धि मिली कि वह पूरी दुनिया में जाना जाने लगा। मरकज में अमीर यानी हेड की हिदायत पर देश और विदेश के कोने-कोने में लोगों के ग्रुप जिसको जमात कहा जाता है, मस्जिदों में जा-जाकर इस्लाम की बातों को लोगों तक पहुंचाते हैं।
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