चिता लगाकर मृतक का करने जा रहे थे अंतिम संस्कार, आखिरी वक्त में जीवित होने का पता चला
नैनीताल में एक अजीबाेगरीब मामला सामने आया है। एक मृत व्यक्ति के उस वक्त जिंदा होने का पता चला जब लोग उसे अंतिम संस्कार करने के लिए ले जा रहे थे।
मस्तिष्क की बीमारी से पीडित था देबू
नैनीताल पुराना राजभवन निवासी देबू उम्र 40 साल मस्तिष्क की बीमारी से पीडित था। उपचार के लिए उसे हल्द्वानी के निजी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। उसका न्यूरो का ऑपरेशन भी हो चुका था। परिजन उपचार का दो लाख से अधिक भुगतान भी कर चुके थे। जबिक उपचार में अभी काफी खर्च आने की बात आ रही थी। बताया जाता है कि बुधवार को चिकित्सक ने मरीज के भाई से उपचार लंबा चलने की बात कही। साथ ही खर्च को लेकर भी पूरा ब्यौरा दिया। इसी बीच भाई को बातचीत में क्या गलतफहमी हुई कि उसने घर में उसकी मौत होने की जानकारी दे दी।
शवयात्रा के लिए एसडीएम की अनुमति तक ले ली
मौत की खबर मिलने के बाद परिवार में कोहराम मच गया। परिजन देबू को मृत मानकर उसे अस्पताल से नैनीताल आवास पर आ आए। उसे देख पत्नी बेहोश हो गई तो चार बेटियों भी विलाप करने लगीं। मोहल्ले के लोग जमा हो गए। पूर्व सभासद दीपक भोलू समेत अन्य ने अंतिम संस्कार व क्रियाकर्म के लिए एक लाख एकत्रित कर लिए। लॉकडाउन की वजह से एसडीएम से शव वाहन तथा अधिकतम 20 लोगों के शामिल होने की अनुमति भी ले ली। मोहल्ले के युवा श्मशान घाट में चिता लगाने के लिए पहुंच गए।
इस दौरान पता चला जीवित होने का
अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के तहत जब उसे नहलाया जाने लगा तो लोगों को अाभास हुआ कि उसकी सांस चल रही है। इस पर लोगों ने नब्ज छुआ तो चल रही थी। तत्काल लोग उसे बीडी पांडेय अस्पताल ले गए, जहां चिकित्सकों ने उसके जिंदा होने की पुष्टि की। जिसके बाद उसे वहां से हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। परिजन देबू को फिर इलाज के लिए हल्द्वानी के उसी निजी चिकित्सालय में पहुंचे जहां उसका पहले से ही इलाज चल रहा था। रातभर व अस्पताल में भर्ती रहा और गुरुवार सुबह चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। जिसके बाद परिजन शव को लेकर एक बार फिर से नैनीताल के लिए रवाना हो गए हैं।
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