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आग के छल्ले की तरह नजर आएगा साल का आखिरी सूर्यग्रहण, दक्षिण भारत में देखा जा सकेगा

साल का अंतिम सूर्यग्रहण आग के छल्ले के समान वलयाकार होगा। भारत में दस वर्ष बाद वलयाकार सूर्यग्रहण लगने जा रहा है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 16 Dec 2019 11:18 AM (IST)
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आग के छल्ले की तरह नजर आएगा साल का आखिरी सूर्यग्रहण, दक्षिण भारत में देखा जा सकेगा
नैनीताल, जेएनएन : साल का अंतिम सूर्यग्रहण आग के छल्ले के समान वलयाकार होगा। भारत में दस वर्ष बाद वलयाकार सूर्यग्रहण लगने जा रहा है। यह दुर्लभ खगोलीय घटना दक्षिण भारत के कुछ ही क्षेत्रों में देखा जा सकेगा जबकि अन्य हिस्सों से आंशिक सूर्यग्रहण नजर आएगा।

सूर्य को पूरी तरह नहीं ढकेगा चन्‍द्रमा

आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के पूर्व निदेशक डॉ. वहाबउद्दीन ने बताया कि 26 दिसंबर को लग रहा सूर्यग्रहण सुबह करीब आठ बजे शुरू हो जाएगा और  दोपहर बाद 1.35 बजे समाप्त हो जाएगा। वलायाकार सूर्यग्रहण देखने में बेहद सुंदर नजर आता है। इसमें चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह ढक नहीं पाता है।

इस ग्रहण को 'रिंग ऑफ फायर' भी कहते हैं

इस ग्रहण में सूर्य का अंदरूनी भाग तो छिप जाता है, लेकिन बाहरी भाग खुला रह जाता है। जिसके चलते यह आग के छल्ले के समान नजर आने लगता है और देखने में मनमोहक लगता है। इस ग्रहण को 'रिंग ऑफ फायर' भी कहा जाता है। भारत में वलयाकार ग्रहण तमिलनाडु, केरल व बेंगलुरू के कन्नूर, कोजिकोड, कोयंबटूर, डिंगीगुना, मदुरई व थनजावुर में नजर आएगा, जबकि देश के शेष हिस्सों में आंशिक दिखेगा।

चंद्रमा व पृथ्वी के बीच दूरी में परिवर्तन के कारण होते हैं सूर्यग्रहण

पृथ्वी व चंद्रमा के बीच की दूरी के बढऩे से वलयाकार ग्रहण होता है। जिसमें चंद्रमा व धरती की दूरी इतनी अधिक होती है कि चंद्रमा सूर्य को पूर्णरूप से ढक नही पाता है और जब धरती के नजदीक होता है तो उसका आभासीय आकार बड़ा होता है, जो सूर्य को पूरी तरह से ढक लेता है। तब पूर्ण सूर्यग्रहण बनता है। चंद्रमा धरती के जितने करीब होगा पूर्ण सूर्यग्रहण की अवधि भी उतनी ही अधिक होगी।

चार प्रकार का होता है सूर्यग्रहण

सूर्यग्रहण चार प्रकार के होते हैं। आंशिक, पूर्ण, वलयाकार व हाईब्रीड। अलग-अलग परिस्थितियों में यह ग्रहण बनते हैं। वैज्ञानिक दृष्टिï से पूर्ण सूर्यग्रहण सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है। जिसमें सूर्य के रहस्यों को वैज्ञानिक समझने के लिए अध्ययन करते हैं। वलयाकार ग्रहण के दौरान धरती व चंद्रमा के बीच की दूरी की गणना व आकार आदि वैज्ञानिकों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

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