बर्फ से पटा है उत्तराखंड का अंतिम गांव, रोजमर्रा की जरूरतों के लिए परेशान हो रहे लोग nainital news
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के अंतिम गांव खाती अभी भी मौसम की बर्फ से पटा हुआ है। हालांकि धूप खिलने के बाद थोड़ी राहत ग्रामीणों को मिली है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Thu, 13 Feb 2020 05:49 PM (IST)
बागेश्वर, घनश्याम जोशी : उत्तराखंड के बागेश्वर जिले का अंतिम गांव खाती अब भी हिमपात की मुसीबत झेल रहा है। गांव बर्फ से पटा हुआ है। हालांकि धूप खिलने के बाद ग्रामीणों को थोड़ी राहत मिली है, लेकिन रास्ते, सड़क, बिजली आदि की समस्याएं बनी हुई हैं। ऐसे में दैनिक जरूरतों के साथ ही मवेशियों के चारे की दिक्कत हो गई है। खेतों में बोई सब्जियां आदि भी खराब हो गईं हैं। इसके अलावा गांव का स्वरोजगार का साधन पर्यटन व्यवसाय भी प्रभावित है और पिंडारी, काफनी ग्लेशियर के अलावा सुंदरघाटी को जोड़ने वाले रास्ते आदि भी अभी बंद हैं। गांव के युवा रोजगार के लिए पलायन करने को मजबूर हो गए हैं।
बागेश्वर जिला मुख्यालय से 70 किमी दूर है गांव बागेश्वर जिला मुख्यालय से 70 किमी की दूरी पर स्थित खाती गांव में अब भी बर्फ नहीं पिघली है। खेतों में बोई गेहूं, जौ, पालक, लाही, गोभी आदि सब्जियां भी बर्फ से ढकी हुई हैं। करीब चार से पांच फीट तक बर्फ गांव में जमी हुई है। स्थानीय युवा रोजी-रोटी की तलाश में घर छोडऩे को मजबूर हैं। वर्तमान में कर्मी चौक विनायक तक ही यातायात सुलभ हो सका है। करीब बीस किमी खरकिया तक सड़क बर्फ से ढकी हुई है। खरकिया से चार किमी पैदल रास्ते के बाद खाती पहुंचा जाता है, लेकिन वह भी बर्फ से ढका होने के कारण मुसीबत बना हुआ है।
धरातल पर नहीं उतरा विकास
खाती का विकास अभी धरातल पर नहीं उतर सका है। गांव में बिजली नहीं है। संचार की कोई व्यवस्था नहीं है। सरकारी अस्पताल नहीं है। ऐसे में ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं तक के लिए परेशान होना पड़ रहा है।स्कूलों में बेहतर छात्र संख्या
खाती गांव के प्राथमिक विद्यालय में 60 और हाईस्कूल में 70 छात्र-छात्राएं अध्यनरत हैं। शिक्षकों का टोटा नहीं है। जाड़ों के अवकाश के बाद फरवरी में स्कूल खुल गया है।मार्च से शुरू होगा पर्यटन सीजनग्राम प्रधान कैलाश ने बताया कि खाती की जनसंख्या 450 है। गांव से अभी तक पलायन नहीं हुआ है, लेकिन रास्ते आदि बंद होने से कुछ दिनों के लिए युवा घर से बाहर निकले हुए हैं। 15 फरवरी से पर्यटकों का आना शुरू होता है, लेकिन इस बार बर्फ अधिक है, मार्च से पर्यटकों का आना-जाना शुरू होगा। गांव के 35 युवा पर्यटन को रोजगार का जरिया बनाए हुए हैं। सालभर में यहां करीब सात हजार पर्यटकों का आना-जाना रहता है।
युवा बोले विकास जरूरीगांव के युवा यामू सिंह, प्रकाश दानू, देवेंद्र सिंह, देव राम, मोहन सिंह, हयात सिंह, दयाल, गोविंद, आनंद, नंदू आदि ने कहा कि उनका रोजगार का जरिया साहसिक पर्यटन है। विकास नहीं होने से पर्यटकों को लाभ नहीं मिल रहा है।खाती को बनाएंगे मॉडलविधायक बलवंत भौर्याल ने बताया कि खाती में एक संस्थान स्वास्थ्य, पेयजल आदि पर काम कर रही है। इसके अलावा पंडित दीनदयाल उपाध्याय विद्युतीकरण योजना के तहत गांव चयनित है और तार, पोल लग गए हैं। बर्फबारी अधिक होने से रास्तों की मरम्मत आदि के लिए लोनिवि को जिम्मेदारी सौंपी गई है। गांव को मॉडल बनाया जाएगा।
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