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तराई में ताबड़तोड़ सभाएं कर हाईकमान को ताकत का अहसास भी करा रही हैं नेता प्रतिपक्ष

तराई की धरती से शुरू हुई परिवर्तन यात्रा के साथ ही कांग्रेस पूरी तरह चुनावी मूड में आ गई है। छोटे-छोटे कस्बों में बड़ी-बड़ी सभाएं कर नेता प्रतिपक्ष एक तरफ जहां भाजपा को चुनौती दे रही हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Fri, 01 Feb 2019 08:16 PM (IST)
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तराई में ताबड़तोड़ सभाएं कर हाईकमान को ताकत का अहसास भी करा रही हैं नेता प्रतिपक्ष
हल्द्वानी, आशुतोष सिंह : तराई की धरती से शुरू हुई परिवर्तन यात्रा के साथ ही कांग्रेस पूरी तरह चुनावी मूड में आ गई है। छोटे-छोटे कस्बों में बड़ी-बड़ी सभाएं कर नेता प्रतिपक्ष एक तरफ जहां भाजपा को चुनौती दे रही हैं, वहीं पार्टी हाईकमान को अपनी ताकत का अहसास भी करा रही हैं। यात्रा में प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का साथ आगामी लोकसभा चुनाव में उनकी दावेदारी को और भी मजबूत बना रहा है।
नैनीताल-ऊधमसिंह नगर संसदीय क्षेत्र भौगोलिक दृष्टि से काफी बड़ा है। इसका एक छोर गरमपानी में तो दूसरा छोर खटीमा के पास है। हल्द्वानी सीट से कई बार विधायक और पिछली सरकार में सबसे कद्दावर मंत्री रहने की वजह से इंदिरा हृदयेश की सक्रियता लंबे समय से पूरे नैनीताल जिले में बनी हुई है। ओखलकांडा से लेकर गरमपानी नैनीताल, भीमताल, भवाली और रामनगर आदि क्षेत्रों में तमाम छोटे-बड़े कार्यक्रमों में वह लगातार शामिल होती रही हैं, लेकिन तराई कहीं न कहीं उनसे अछूता था। चूंकि डॉ. इंदिरा हृदयेश काफी पहले ही लोकसभा चुनाव का मन बना चुकी थीं, लिहाजा उन्होंने पिछले डेढ़ साल से तराई में भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी। कम समय में ही उन्होंने वहां के छोटे-बड़े अधिकांश कांग्रेसी नेताओं से तालमेल बना लिया और कार्यकर्ताओं की टीम भी तैयार कर ली। पिछले डेढ़ साल में उन्होंने कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के सामने कई बार स्पष्ट किया कि पार्टी ने टिकट दिया तो वह लोकसभा चुनाव जरूर लड़ेंगी।
दरअसल पिछले विधानसभा चुनाव में ऊधमसिंह नगर जिले में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब था। यहां की नौ विधानसभा सीटों में से आठ पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। हारने वाले नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तिलकराज बेहड़ जैसे बड़े नेता भी शामिल थे। जसपुर से आदेश चौहान किसी तरह लाज बचाने में कामयाब हो पाए थे। आठ सीटों पर कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के पीछे सबसे बड़ी वजह टिकट न मिलने से नाराज कांग्रेसियों की गुटबाजी थी।
विधानसभा चुनाव के बाद भी यह गुटबाजी थमी नहीं थी। अभी कुछ माह पूर्व ही पार्टी के प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह के सामने भी गुटबाजी के कई नमूने दिखे। लोकसभा चुनाव से पूर्व हर हाल में तराई में गुटबाजी को समाप्त कर कार्यकर्ताओं को एकजुट करना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती थी। परिवर्तन यात्रा में प्रदेश नेतृत्व प्रीतम सिंह और प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह के सामने हर छोटे-बड़े कस्बे में ठीकठाक सभाएं कर नेता प्रतिपक्ष ने कहीं न कहीं यह संदेश देने की कोशिश भी की है कि कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में वह सक्षम हैं।

बेहड़ भी ठोक रहे ताल
इस सीट से लोकसभा चुनाव लडऩे के लिए पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तिलकराज बेहड़ भी ताल ठोक रहे हैं। वह तराई के साथ-साथ हल्द्वानी में भी खूब जनसंपर्क कर रहे हैं। वह अपने समर्थकों से कह भी रहे हैं कि वह पार्टी से टिकट मांगेंगे। यदि मिला तो मजबूती के साथ लड़ेंगे भी। हालांकि वह यह भी कह रहे हैं कि यदि पार्टी ने किसी और को प्रत्याशी बनाया तो वह उसे मजबूती से लड़ाने में भी पीछे नहीं हटेंगे।

चर्चा में है हरीश रावत की दूरी
कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा में जहां प्रदेश अध्यक्ष से लेकर प्रदेश प्रभारी तक पूरी भागीदारी निभा रहे हैं वहीं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की इस यात्रा से दूरी कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा में है। पार्टी का एक धड़ा यह भी मान रहा है कि हरीश रावत का फोकस तराई की अपेक्षा हरिद्वार पर अधिक है। यही वजह है कि पिछले कई दिनों से वह गढ़वाल में गंगा और संतों के मुद्दे पर सरकार को घेर रहे हैं। साथ ही म्यर मैत (मेरा मायका) यात्रा के बहाने इस यात्रा से दूरी बनाए हुए हैं।

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