शहर में घुस आए तेंदुए का नहीं चला पता, लोगों में वन विभाग के खिलाफ बढ़ा रोष
पिछले दस दिनों से हल्द्वानी के ग्रामीण व शहरी इलाकों में तेंदुए के आतंक की वजह से लोगों के साथ-साथ वन विभाग के निचले अधिकारी व कर्मचारी भी चिंता में पड़ चुके हैं।
वहीं, बड़ा सवाल यह है कि सर्किल स्तर पर मानव-वन्यजीव संघर्ष यानी आबादी में आने वाले वन्यजीवों को रेस्क्यू करने के लिए क्यूआरटी टीम बनाई गई थी। मगर अब तक उसका कुछ पता नहीं। किसी भी घटना पर वह मौके पर नहीं पहुंच सकी। ऐसे में इस क्विक रिस्पांस टीम की भूमिका को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
तेंदुए ने बीते मंगलवार को रानीबाग के सोनकोट में महिला को मौत के घाट उतार दिया था। इसके बाद शीशमहल, काठगोदाम और फिर देवलचौड़ इलाके में भी तेंदुए की दस्तक होने से दहशत मची हुई है। रानीबाग की घटना से पूर्व कठघरिया के बजूनियाहल्दू में गुलदार ग्रामीणों को डरा चुका है। वहीं, वेस्टर्न सर्किल की पांच डिवीजनों का काफी हिस्सा आबादी क्षेत्र से सटा होने के कारण यहां अक्सर हाथी, गुलदार व बाघ का मूवमेंट इंसानों के बीच पहुंच जाता है। जिसे देखते हुए क्विक रिस्पांस टीम का गठन किया गया था।
टीम में चिकित्सक और प्रशिक्षित स्टाफ शामिल करने के साथ वाहन, टै्रंकुलाइज गन, वाहन, पिंजरे समेत अन्य संसाधन भी उपलब्ध कराए गए हैं। रानीबाग से लेकर देवलचौड़ तक घटना होने के बावजूद क्यूआरटी जमीन पर नहीं उतरी। सिर्फ रेंज का स्टाफ गश्त व रेस्क्यू को निकल रहा है।
डॉ. पराग मधुकर धकाते, वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त ने बताया कि आबादी वाले इलाकों में गुलदार अचानक से आकर ओझल हो जा रहा है। वनकर्र्मी लगातार उसका मूवमेंट देख रहे हैं। क्यूआरटी टीम भी तैयार है।