Nainital के इतिहास से नहीं लिया सबक, भूगोल से किया खिलवाड़; कहीं दोबारा न मच जाए 1880 जैसी तबाही
Nainital Landslide नैनीताल के इतिहास में 18 सितंबर 1880 का दिन एक काला दिन है जब आल्मा पहाड़ी से हुए भूस्खलन में 151 लोगों की मौत हो गई थी। इस विनाशकारी आपदा के बाद भी शहरवासियों ने सबक नहीं लिया और बेतरतीब निर्माणों से शहर को खतरे में डाल दिया। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि नैनीताल में निर्माणों पर रोक नहीं लगाई गई तो बड़ी आपदा आ सकती है।
नरेश कुमार, नैनीताल। Nainital Landslide: सरोवर नगरी की आल्मा पहाड़ी से 18 सितंबर 1880 को हुए विनाशकारी भूस्खलन में 151 लोगों ने जान गवाई थी। दर्जनों आपदाओं के बाद भी शहरवासियों ने इससे सबक नहीं लिया।
इतिहास को भुलाकर भूगोल से की जा रही छेड़छाड़ से शहर के पहाड़ बड़े खतरे की चेतावनी दे रहे हैं। वैज्ञानिक साफ कह चुके हैं कि नैनीताल में बेतरतीब निर्माणों पर रोक नहीं लगी तो बड़ी आपदा आ सकती है।यह भी पढ़ें- Weather Update: उत्तरकाशी-रुद्रप्रयाग, चमोली जनपदों में आज भारी बारिश के आसार, देहरादून में राहत
16 सितंबर 1880 से लगातार दो दिन तक करीब 889 मिमी वर्षा के बीच 18 सितंबर को आल्मा पहाड़ी में भीषण भूस्खलन हुआ। मलबे ने दर्जनों भवनों को चपेट में ले लिया। जिसमें 108 भारतीय और 43 अंग्रेज जिंदा दफन हो गए।इसके बाद हाई पावर कमेटी ने वर्षा जल की निकासी न होना भूस्खलन का कारण माना। जिसके बाद अंग्रेजों ने 68 नालों का निर्माण कर वर्षों तक शहर को भूस्खलन के खतरे से दूर किया।
प्रतिबंधों को भुलाकर बदल दिया भूगोल
अंग्रेजों ने शहर को सुरक्षित रखने के लिए कई व्यवस्थाएं बनाई। जिसमें संवेदनशील क्षेत्र में भवन निर्माण, बागवानी करने जैसे प्रतिबंध लगाए गए। भवन निर्माण के नियम इतने कड़े नियम बनाए गए कि निर्माण कार्य किसी चुनौती से कम नहीं था।यह भी पढ़ें- उत्तराखंड के युवाओं के लिए खुशखबरी: सरकार ने शुरू की समूह ग पदों की भर्ती प्रक्रिया, इन विभागों में नौकरियां
वर्तमान में शहरवासियों ने ही इन प्रतिबंधों को भुला दिया गया। झील की धमनियां कहे जाने वाले हर नाले के ऊपर और किनारे निर्माण कार्य कर दिए गए है तो मुख्य नालों से जुड़ी छोटी नालियों का अस्तित्व खत्म हो गया है। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में अवैध निर्माण कर रोजाना भार बढ़ाया जा रहा है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।