कुल्हाड़ी से पत्नी को काटने वाले पति को आजीवन कारावास की सजा
छह अगस्त की रात को उसने कुल्हाड़ी से शहनाज के सिर पर वार कर मौत के घाट उतार दिया। शव को बोरे में भरकर ट्रंचिंग ग्राउंड ले गया। जहां पेट्रोल छिड़कने के बाद आग लगा दी थी।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 09 Feb 2019 12:07 PM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : चार साल पुराने बहुचर्चित शहनाज हत्याकांड में प्रथम सत्र न्यायाधीश अरविंद कुमार की कोर्ट ने आरोपित पति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही दस हजार का अर्थदंड भी लगाया है। वहीं साक्ष्य के अभाव में हत्यारे के भाई व एक पड़ोसी को बरी कर दिया गया। पति अभी हल्द्वानी उपकारागार में बंद है।शासकीय अधिवक्ता नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक 30 अगस्त 2015 को बनभूलपुरा निवासी साबरा बेगम ने थाने में गुमशुदगी दर्ज कराते हुए बताया था कि उसकी बेटी शहनाज अपने दो बच्चों के साथ संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गई। साबरा ने बताया कि एक मिनार मस्जिद थाना बनभूलपुरा निवासी मुसर्रत मिकरानी पुत्र हाजी शौकत अली के साथ उसकी बेटी का विवाह 14 जून 2013 को हुआ था। लेकिन पांच माह बाद अक्टूबर में दोनों के बीच तलाक हो गया था। साबरा ने मुसर्रत पर बेटी व उसके बच्चों को गायब करने का शक भी जाहिर किया था। जिसके बाद 22 नवंबर को पुलिस ने मुसर्रत को गिरफ्तार कर सख्ती से पूछताछ की तो उसने पत्नी को मारने की बात कबूली।
बताया कि बहला-फुसलाकर वह बच्चों समेत शहनाज को घर ले आया था। छह अगस्त की रात को उसने कुल्हाड़ी से शहनाज के सिर पर वार कर मौत के घाट उतार दिया। फिर भाई इशरत व पड़ोसी मजहर के साथ मिलकर शव को बोरे में भरकर ट्रंचिंग ग्राउंड ले गया। जहां पेट्रोल छिड़कने के बाद आग लगा दी। अगले दिन बच्चों को हापुड़ व दिल्ली में छोड़ हल्द्वानी लौट आया। शासकीय अधिवक्ता नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि अदालत में उनके द्वारा 13 गवाह पेश किए गए। जिसके बाद मुख्य आरोपित मुसर्रत को आजीवन कारावास के साथ साक्ष्य छुपाने के मामले में तीन साल की सजा सुनाई गई। हालांकि इशरत व मजहर को सबूतों को अभाव में बरी कर दिया गया। दोनों इस समय जमानत में बाहर है।
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