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अरबपति बुजुर्ग की हत्या में चालक को उम्र कैद, बेटी भी थी साजिश में शामिल

छह साल पहले नैनीताल के कथित अरबपति बुजुर्ग की हत्या करने के मामले में दोषी को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है।

By Edited By: Updated: Fri, 25 Jan 2019 07:37 PM (IST)
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अरबपति बुजुर्ग की हत्या में चालक को उम्र कैद, बेटी भी थी साजिश में शामिल
हल्द्वानी, जेएनएन : छह साल पहले नैनीताल के कथित अरबपति बुजुर्ग की हत्या कर शव खाई में फेंकने के मामले में न्यायालय ने टैक्सी चालक को दोषी ठहराकर आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस बहुचर्चित मामले में पुलिस ने बुजुर्ग की बेटी को भी हत्यारोपित बनाया था, मगर न्यायालय ने बयानों के आधार पर महिला को वादा माफी गवाह (सरकारी गवाह) बनाया।
मल्लीताल (नैनीताल) के सीआरएससी कंपाउंड निवासी दानिश जंग ने 14 अप्रैल 2013 को 72 साल के बुजुर्ग पिता मुजफ्फर जंग समेत दो बहनों के काफी समय लापता होने की गुमशुदगी हल्द्वानी कोतवाली में दर्ज कराई थी। 20 अप्रैल 2013 को पुलिस ने मुजफ्फर जंग की एक बेटी को मल्लीताल नैनीताल क्षेत्र से पकड़ा गया। महिला से पूछताछ हुई तो पुलिस में खलबली मच गई। उसने बताया कि 13 मार्च 2013 को उसके पिता मुजफ्फर ने नैनीताल जाने की जिद की। उसी दिन सुबह वह लाइन नंबर 17 बनभूलपुरा निवासी इरशाद हुसैन की टैक्सी से पिता को लेकर हल्द्वानी से नैनीताल के लिए रवाना हुई। रास्ते में टैक्सी चालक से बहस होने पर पिता ने उससे मारपीट कर दी। इसी गुस्से में रास्ते में कार रोककर इरशाद ने चाय में नशीला पदार्थ मिलाकर पिता को पिला दिया। इसके बाद इरशाद टैक्सी से पिता व उसे भीमताल एक होटल में ले गया। जहां इरशाद ने उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया। वापसी में लौटते समय इरशाद ने बोहराकून के पास पिता को खाई में धक्का दे दिया। 23 अप्रैल 2013 को पुलिस ने महिला की निशानदेही पर मुजफ्फर जंग का शव खाई से बरामद किया।
इस मामले में शुरुआती जांच तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक हल्द्वानी उत्तम सिंह जिमिवाल और फिर तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक मल्लीताल बीबीडी जुयाल ने की। पुलिस ने महिला और इरशाद को हत्याकांड का दोषी माना। इरशाद के विरुद्ध धारा 302, 201, 120बी, 328 व 376 और महिला के विरुद्ध 120बी, 201 व 328 आइपीसी के तहत आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किए गए। मामला प्रथम सत्र न्यायाधीश अरविंद कुमार की अदालत में चला। महिला ने न्यायालय में आवेदन कर खुद को वादा माफी गवाह बनाने व सब कुछ सच-सच बताने के लिए कहा। शासकीय अधिवक्ता नवीन जोशी ने बताया कि इस मामले में न्यायालय के समक्ष कुल 17 गवाह पेश किए गए। गुरुवार को न्यायालय ने अपना निर्णय सुनाते हुए इरशाद हुसैन को हत्या का दोषी ठहरा आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। हालांकि उसे दुष्कर्म के आरोपों से मुक्त किया गया है। न्यायालय का फैसला आते ही इरशाद को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया।

हृदय रोग का इलाज कराने के लिए लिया था किराये का मकान
मुजफ्फर जंग हृदय रोगी थे। उनका हल्द्वानी के अस्पताल से इलाज चल रहा था। यहां के जवाहर नगर में किराये का कमरा लेकर मुजफ्फर जंग की दो बेटियां उनका इलाज करा रही थीं। उस समय बेशकीमती जमीन के लिए बेटी के टैक्सी चालक के संग मिलकर पिता की हत्या करने के आरोप लगने पर मामला काफी चर्चा में रहा था।

इरशाद के डर से भागती रही, रुपये भी दिए
महिला ने न्यायालय को बताया कि टैक्सी चालक इरशाद ने उसके साथ धमकी देकर दुष्कर्म किया। पिता को मारने के बाद इरशाद उसे भी हत्या के मामले में फंसाने की धमकी देकर रुपये लेते रहा। उसी के डर से वह इधर-उधर भागती रही। पुलिस व न्यायालय के समक्ष महिला के बयान मिलने पर न्यायालय ने उसे दावा माफी गवाह बनाने के आदेश दिए थे।

पुलिस के विरुद्ध भी हुआ था मुकदमा
इरशाद की ओर से अधिवक्ता ने हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर 14 अप्रैल से 18 अप्रैल तक अविधिक हिरासत में लेकर मारपीट करने का आरोप लगाया था। उस समय हाई कोर्ट ने इसमें संज्ञान लेकर इरशाद को छोड़ने के साथ ही पुलिस के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे। जिसके बाद एक जुलाई 2013 को पुलिसकर्मियों के विरुद्ध धारा 323, 342 व 197आइपीसी के तहत मुकदमा भी पंजीकृत हुआ था।

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