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दिल्‍ली की तरह उत्‍तराखंड में भी बना कचरे का पहाड़, 150 मीट्रिक टन कूड़ा रोजाना डंप; निस्तारण की व्यवस्था नहीं

Garbage Mountain उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर में कूड़े का पहाड़ बन गया है। हर दिन 150 मीट्रिक टन कचरा ट्रंचिंग ग्राउंड में डंप हो रहा है लेकिन निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है। कूड़े के पहाड़ से प्रदूषण फैल रहा है और लोगों का जीना मुहाल हो गया है। सरकार और नगर निगम इस समस्या का समाधान नहीं कर पा रहे हैं।

By govind singh Edited By: Nirmala Bohra Updated: Thu, 12 Sep 2024 05:43 PM (IST)
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Garbage Mountain: हरे-भरे पहाड़ों से पहले कचरे का पहाड़. Jagran

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। Garbage Mountain: कुमाऊं का प्रवेशद्वार यानी हल्द्वानी शहर। हरे-भरे पहाड़ों और वादियों के दीदार करने के लिए देश-विदेश के लोगों का पहाड़ पहुंचने का रास्ता यही है। लेकिन मन में हरियाली को देखने की हसरत लेकर आने वाले इन पर्यटकों को सिस्टम की लापरवाही के कारण पहले कचरे का पहाड़ देखना पड़ता है।

शहर के बाइपास पर स्थित ट्रंचिंग ग्राउंड में हर दिन 150 मीट्रिक टन कचरा डंप हो रहा है। लेकिन नगर निगम के पास निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है। मौजूदा हाल ये है कि ट्रंचिंग ग्राउंड की चार हेक्टेयर भूमि में जगह न बचने के कारण सड़क तक में कचरा पसरा हुआ है।

करीब साढ़े चार लाख आबादी

हल्द्वानी नगर निगम की आबादी करीब साढ़े चार लाख हैं। घरों से लेकर व्यापारिक प्रतिष्ठानों से रोजाना कूड़ा उठाया जाता है। कूड़ा निस्तारण को लेकर कोई योजना नहीं होने के कारण सारी गंदगी बाइपास स्थित ग्राउंड में जमा हो जाती है। हल्द्वानी के अलावा नैनीताल, भीमताल और भवाली का कचरा भी यहां पहुंचता है। 2022 में निगम ने कंपोस्ट प्लांट का प्रस्ताव तैयार किया था। 17 करोड़ रुपये इस प्रोजेक्ट में खर्च होने थे।

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शासन बजट देने को तैयार था। लेकिन प्लांट के संचालन के लिए हर माह निगम को 90 लाख रुपये खर्चा झेलना पड़ता। जिस वजह से प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इसके बाद अगस्त 2023 में हुई निगम बोर्ड बैठक में तय हुआ कि नेशनल पावर थर्मल कारपोरेशन (एनटीपीसी) की मदद से वेस्ट टू चारकोल प्लांट तैयार किया जाएगा।

एनटीपीसी की टीम ने ट्रंचिंग ग्राउंड का सर्वे चारकोल प्लांट के लिए सहमति भी व्यक्त की। लेकिन शर्त जोड़ते हुए कहा कि मौजूदा कचरे का सफाया कर उन्हें खाली जमीन दी जाए। अगर ये संभव नहीं है तो ट्रंचिग ग्राउंड की जगह किसी नए स्थल पर वेस्ट टू चारकोल प्लांट के निर्माण के लिए भूमि ढूंढी जाए। फिलहाल एक साल से अधिक समय होने के बावजूद नगर निगम दोनों में से कोई उपाय नहीं कर सका। दूसरी तरह हालात हर दिन बुरे हो रहे होते जा रहे हैं।

आग लगने पर संवेदनशील श्रेणी में पहुंचता है प्रदूषण

आमतौर पर हल्द्वानी शहर में वायु प्रदूषण की मात्रा 100 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रहती है। यह हवा में पर्टिकुलेट मैटर यानी पीएम-10 की मात्रा है। लेकिन गर्मियों में कूड़े की नमी खत्म होने के कारण ट्रंचिंग ग्राउंड में आग लगना शुरू हो जाता है।

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अप्रैल 2022 में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच से पता चला था कि कूड़े के पहाड़ के धधकने पर गौला बाइपास पर प्रदूषण का स्तर 136 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर पहुंच जाता है।

परिचर्चा.....

कूड़े के इस पहाड़ को हटाने के मामले में नगर निगम ने सरकार से लेकर हाई कोर्ट तक के आदेश तक को गंभीरता से नहीं लिया। ढेर में आग लगने पर प्रदूषण के कारण यहां से निकलना तक मुश्किल हो जाता है। गौलापार-चोरगलिया के ग्रामीणों संग पर्यटक तक परेशान होते हैं।- निवेदिता जोशी, जिपं सदस्य गौलापार

काश्तकार इसी रास्ते से रोजाना हल्द्वानी मंडी जाते हैं। शहर में नौकरी को आने वाले ग्रामीणों का रास्ता भी यही है। ग्रामीणों संग मिलकर कई बार प्रशासन और नगर निगम को समस्या के समाधान के लिए ज्ञापन दिए जा चुके हैं। उसके बावजूद बाइपास का हाल नहीं बदला गया।- अर्जुन बिष्ट, निवासी खेड़ा गौलापार

प्रतिबंधित प्लास्टिक की भरमार इस कचरे में नजर आती है। पर्यावरण के लिहाज से यह बेहद चिंताजनक है। निगम मन से मुहिम चलाए तो इस प्लास्टिक को रोका जा सकता है। इससे कचरे की मात्रा कुछ कम होगी। इसके साथ कूड़ा निस्तारण प्लांट स्थापित करना बेहद जरूरी है।- चंदन नयाल, पर्यावरण कार्यकर्ता

सहायक नगर आयुक्त गणेश भट्ट से सवाल और उनका जवाब:

  • सवाल-ट्रंचिंग ग्राउंड में रोजाना कितना कूड़ा पहुंचता है
  • जवाब-अलग-अलग जगहों से रोजाना 150 मीट्रिक टन कचरा यहां पहुंचता है।
  • सवाल-कूड़े के पहाड़ को हटाने के लिए निगम के पास क्या योजना है
  • जवाब-डंप कूड़े को हटाने के लिए जल्द टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
  • सवाल-चारकोल प्लांट स्थापित करने में आ रही दिक्कत कैसे दूर होगी
  • जवाब-रोजाना आ रहे कचरे के निस्तारण के लिए छोटे प्लांट के निर्माण पर विचार किया जा रहा है। ताकि ट्रंचिंग ग्राउंड में पहले से जमा ढेर को हटाने में दिक्कत नहीं आए। फिर चारकोल प्लांट का प्रस्ताव आगे बढ़ेगा।
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