लगातार हुए व्यावसायिक निर्माणों के मलबे से नैनी झील रिचार्ज के 40 फीसद रास्ते हो गए बंद
नैनीझील के कैचमेंट सूखाताल में निर्माण सामग्री के मलबे की मोटी परत की वजह से झील को रिचार्ज करने वाले रास्ते बंद हो गए।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 14 Apr 2019 09:55 AM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : सरोवर नगरी की भूगर्भीय और पर्यावरणीय संवेदनशीलता को समझते और देखते हुए ब्रिटिशराज में सख्त नियम कायदे बनाए गए। झील हमेशा रिचार्ज होती रहे, इसके लिए पहाडिय़ों के पानी के लिए नाले-नालियां बनाए गए। सुप्रीम कोर्ट ने इसी संवेदनशीलता को देखते हुए 1995 में व्यावसायिक निर्माणों पर रोक लगा दी, लेकिन राज्य बनने के बाद से पर्यावरणविदें व झील संरक्षण में जुटे संगठनों के मुखर होने के बाद भी निर्माण बेरोकटोक चलते रहे। आलम यह है कि नैनीझील के कैचमेंट सूखाताल में निर्माण सामग्री के मलबे की मोटी परत की वजह से झील को रिचार्ज करने वाले रास्ते बंद हो गए। झील विकास अब जिला विकास प्राधिकरण की सख्ती के दावे के बीच शहर के प्रतिबंधित व ग्रीन बेल्ट क्षेत्रों में रातों-रात अवैध निर्माण हो रहे हैं, जबकि व्यावसायिक निर्माण भी नहीं थमे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार नैनी झील का 40 फीसद रिचार्ज स्रोत सूखाताल है। नैनीझील का वाटर बैंक भी सूखाताल को कहा जाता है। बरसात में यह झील अस्तित्व में आ जाती है, लेकिन पिछले सालों से सूखाताल के डूब क्षेत्र में मलबा जमा नहीं हो रहा है। नालों का पानी तक डायवर्ट कर दिया गया है। हाई कोर्ट ने पर्यावरणविद् प्रो.अजय रावत की सूखाताल से अतिक्रमण हटाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अहम दिशा-निर्देश जारी किए। झील विकास प्राधिकरण, सिंचाई, नगरपालिका व अन्य विभागों की टीमों ने 44 अतिक्रमण चिह्निïत भी किए। विशेषज्ञ टीमों ने भी जायजा लिया, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। राजनीतिक व प्रशासनिक व अन्य स्तर के संरक्षण की वजह से अतिक्रमण कर बनाए गए निर्माणों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
कभी होता था नौकायन, अब खेल रहे क्रिकेट
वैटलेंट सूखाताल झील बारिश में अस्तित्व में आ जाती है। आजादी के दो दशक बाद तक झील में नौकायन भी होता रहा है। सूखाताल झील की वजह से ही नैनी झील लबालब रहती थी, लेकिन अब मैदान में तब्दील सूखाताल में क्रिकेट टूर्नामेंट खेला जा रहा है। पिछले दिनों स्कॉपियन सूखाताल की ओर से आयोजित क्रिकेट टूर्नामेंट का सभासद गजाला कमाल ने शॉट लगाकर शुभारंभ किया था। झील संरक्षण पर काम कर रहे प्रो. जीएल साह बताते हैं कि 1842 में प्रवास के दौरान पी बैरन ने नैनीझील के तीन सौ फिट ऊपर एक झील का जिक्र वांडरिंग द हिमाला में किया है। भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा प्रकाशित नैनी गाइड मैप के अनुसार अधिकतम 35 फिट गहरी मौसमी झील का जलमग्न क्षेत्र करीब चार हेक्टेयर से कम है। सूखाताल जलागम क्षेत्र का क्षेत्रफल 78 हेक्टेयर है, जबकि छह मुख्य नालों व उनके शाखाओं से यहां जल संचित होता है। 1872 से पहले सूखाताल जलागम क्षेत्र में 29 मानवीय आवास नौ बड़े बंगले, कोठियां और 20 आवास शामिल हैं। प्रो. साह अपनी किताब में बताते हैं कि सूखाताल में 1872 में मुख्य भवन, आउट हाउस समेत 29 भवन थे, जो अब छह सौ पार हो चुके हैं। यह भी कहा है कि मानवीय हस्तक्षेप और अतिक्रमण की वजह से झील का कैचमेंट क्षेत्र सिकुड़ रहा है।
एनजीटी के आदेशों को किया जाएगा पालन
विनोद कुमार सुमन, डीएम नैनीताल ने बताया कि एनजीटी से नैनीताल में व्यावसायिक निर्माणों को लेकर रिपोर्ट मांगने का आदेश पारित होने की जानकारी मिली है। आदेश का पालन किया जाएगा।
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