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भारत-नेपाल सीमा विवाद की सुलह की कोशिश में प्रचंड, दिल्ली दौरे में पीएम मोदी से भी मिलेंगे

सेवानिवृत्त जनरल बीएस रौतेला के अनुसार प्रचंड के दौरे का प्रमुख एजेंडा व्यापार घाटे पर नियंत्रण कूटनीतिक बातचीत के जरिये सीमा समस्या का समाधान और नेपाल के पुनर्निर्माण में भारत का सहयोग और बढ़ाना है। भारत रवाना होने से पहले काठमांडू में प्रचंड ने दौरे को बड़ी उम्मीद वाला बताया।

By Prashant MishraEdited By: Updated: Sun, 17 Jul 2022 04:27 PM (IST)
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रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ भी उनकी वार्ता होनी है। सौजन्य : सोशल मीडिया

अभिषेक राज, हल्द्वानी : उत्तराखंड से लगती सीमा को विवादास्पद बनाकर भारत से रिश्ते खराब करने वाले चीन समर्थित पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को पीछे छोड़ते हुए सीपीएन (माओवादी केंद्र) के अध्यक्ष और नेपाल के सबसे बड़े माओवादी नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड शुक्रवार को तीन दिवसीय दौरे पर दिल्ली पहुंचे। इसे सीमा विवाद की सुलह की कोशिश के बीच नेपाल की ओर से दोस्ती का बड़ा संदेश माना जा रहा है।

शनिवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बैठक में प्रचंड ने यह कहते हुए भारत से बेहतर रिश्ते का संदेश भी दिया कि 1950 की संधि, सीमा विवाद और प्रतिष्ठित व्यक्तियों के समूह (ईपीजी) की समस्या का समाधान कूटनीतिक माध्यम से ही हो सकता है। आज रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ भी उनकी वार्ता होनी है। इसमें नेपाल में 18 नवंबर को प्रस्तावित आम चुनाव पर भी चर्चा हो सकती है।

भारत-नेपाल संबंधों के जानकार सेवानिवृत्त जनरल बीएस रौतेला के अनुसार, प्रचंड के दौरे का प्रमुख एजेंडा व्यापार घाटे पर नियंत्रण, कूटनीतिक बातचीत के जरिये सीमा समस्या का समाधान और नेपाल के पुनर्निर्माण में भारत का सहयोग और बढ़ाना है।

इस एजेंडे में नेपाल में भारतीय राजदूत नवीन श्रीवास्तव की भी अहम भूमिका बताई जा रही है। बदले परिवेश में यह रिश्तों की गर्माहट ही है कि भारत रवाना होने से पहले काठमांडू में प्रचंड ने अपने दौरे को बड़ी उम्मीद वाला बताया। उन्होंने कहा कि मैं जोश के साथ भारत जा रहा हूं। यह दौरा बेहद ही महत्वपूर्ण है। मैं इस विश्वास के साथ जा रहा हूं कि यह नेपाल के लिए, गठबंधन के लिए, नेपाली लोगों के लिए सार्थक है। इसे लेकर मैं बेहद उत्साहित हूं।  

दौरे से पहले चीन की चालबाजी

प्रचंड के दौरे के एजेंडे की जानकारी मिलते ही चीन ने चालबाजी दिखाई। करीब 10 वर्ष से लंबित पश्चिमी नेपाल के हुमला जिले से लगते सीमा विवाद के सुलह के लिए आनन फानन उच्चस्तरीय समिति का गठन कर गुरुवार को ही नेपाली विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से वार्ता भी कर ली। सीमांकन के लिए विशेष समिति का गठन भी कर दिया। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, चीन की कोशिश प्रचंड के दौरे के महत्व को कम करने की रही।

मगर इसमें उसे सफलता नहीं मिली। चीन की पहल को न नेपाली मीडिया ने तवज्जो दिया और न ही राजनीतिक दलों ने। असल में उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से मात्र 147 किमी दूर नेपाल के हुमला जिले में चीन ने अतिक्रमण करते हुए पक्का निर्माण कर लिया है। 30 सितंबर, 2021 को नेपाली जांच दल के प्रमुख समन्वयक गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव जयनारायण आचार्य ने गृह सचिव टेकनारायण पांडेय को सीमा से संबंधित जांच रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें चीनी घुसपैठ की आधिकारिक पुष्टि की गई। बताया कि नामखा ग्राम नगर पालिका से लिमी, लापसा व हिल्ल तक की सीमा के नए सिरे से अध्ययन की जरूरत है।

नेपाल में चीन की राजनीतिक चाहत

नेपाल में चुनाव की भनक लगते ही चीन वहां सक्रिय हो गया। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के विदेश विभाग के मुखिया लियू जियानचाओ ने अपने छह वरिष्ठ साथियों के साथ सरकार में सहयोगी प्रचंड सहित दूसरे कम्युनिस्ट नेताओं से मुलाकात की।

असल में उनकी कोशिश कम्युनिस्ट नेताओं को एक मंच पर लाकर नेपाली कांग्रेस के खिलाफ मजबूत मोर्चा तैयार करना है। इसका मकसद आम चुनाव में भारत समर्थक नेपाली कांग्रेस को चुनौती देने की है। असल में देउबा सरकार के कार्यकाल में नेपाल में अमेरिका व भारत के बढ़ते प्रभाव से चीन बौखलाया है।

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