सूर्य से निकली एक्स श्रेणी की विशाल ज्वाला, पृथ्वी के इलेक्ट्रिकल उपकरणों के लिए बेहद खतरनाक
सूर्य के उत्तर पूर्वी छोर से अचानक निकली एक्स श्रेणी की विशाल ज्वाला ने दुनियाभर के विज्ञानियों को स्तब्ध कर दिया है। इतनी बड़ी ज्वाला यानी सोलर फ्लेयर चार साल बाद देखने को मिली है। दुनिया की कई अंतरिक्ष वेधशालाओं ने इस ज्वाला की तस्वीरें ली हैं।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 05 Jul 2021 09:59 AM (IST)
रमेश चंद्रा, नैनीताल : सूर्य के उत्तर पूर्वी छोर से अचानक निकली एक्स श्रेणी की विशाल ज्वाला ने दुनियाभर के विज्ञानियों को स्तब्ध कर दिया है। इतनी बड़ी ज्वाला यानी सोलर फ्लेयर चार साल बाद देखने को मिली है। दुनिया की कई अंतरिक्ष वेधशालाओं ने इस ज्वाला की तस्वीरें ली हैं। सूर्य में तीन सनस्पॉट यानी सौर कलंक समूह अब भी बने हुए हैं, जिनसे सोलर फ्लेयर निकलने की आशंका बनी हुई है।
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ सौर विज्ञानी डा. बहाबउद्दीन ने बताया कि सूर्य में यह ज्वाला भारतीय समयानुसार शनिवार रात 8:05 बजे निकली। हैरानी की बात यह है कि शनिवार सुबह तक इस क्षेत्र में कोई सनस्पॉट नहीं बना था, जिससे फ्लेअर निकलने का अनुमान लग पाता। शाम अचानक सनस्पाट उभरा और उभरने साथ ही उसमें से एक्स 1.6 श्रेणी की ज्वाला निकल पड़ी।
बिना किसी पूर्वानुमान के अचानक निकली ज्वाला ने दुनियाभर के सौर विज्ञानियों को अचंभित कर दिया। यह 25वां सोलर साइकिल हैं, जिसमें पहली बार एक्स श्रेणी की ज्वाला निकली है। इससे पूर्व सितंबर 2017 में इस श्रेणी की ज्वाला निकली थी। तब 24वें सोलर साइकिल का अंतिम चरण चल रहा था। नए सोलर साइकिल में एम श्रेणी तक की ज्वालाएं अब तक निकल चुकी हैं, जबकि एक्स श्रेणी की ज्वाला का विज्ञानियों को इंतजार था।
सूर्य में पिछले कई दिनों से तीन सनस्पॉट समूह बने हुए हैं, जिनसे बड़ी ज्वालाएं निकलने की उम्मीद है। सूर्य की निगरानी के लिए एरीज में सोलर टेलीस्कोप मौजूद है। सूरज में यह घटना रात के समय होने के कारण एरीज से इस ज्वाला की तस्वीरें नहीं ली जा सकीं। बहरहाल सूर्य पर उभरे सनस्पाट पर एरीज के विज्ञानी नजरें जमाए हुए है।बेहद खतरनाक होते हैं सौर तूफान
डा. बहाबउद्दीन ने बताया कि सोलर फ्लेअर का निकलना सूरज में होने वाली सामान्य घटना है। लेकिन इनसे निकलने वाले सौर तूफान पृथ्वी के इलेक्ट्रिकल उपकरणों के लिए बेहद खतरनाक होते हैं। यह आसमान में विचरते सेटेलाइट व हवाई जहाजों के लिए भी खतरनाक होते हैं, जिस कारण विज्ञानी सूर्य की प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखते हैं।
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