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MBA छात्र रणबीर सिंह के फर्जी एनकाउंटर पर उबल गया था उत्तराखंड, वर्दी में खेला गया था खूनी खेल

MBA Student Ranbir Singh fake encounter देहरादून से एमबीए करने वाले छात्र रणबीर सिंह के फेक इनकाउंटर की गूंज पूरे देश में सुनाई दी थी। मामले की जांच सीबीआई (CBI) को देनी पड़ी थी। सीबीआई जांच में क्या-क्या बातें आई थी सामने चलिए जानते हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 14 Sep 2022 04:45 PM (IST)
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MBA छात्र रणबीर सिंह के फर्जी एनकाउंटर पर उबल गया था उत्तराखंड, वर्दी में खेला गया था खूनी खेल
नैनीताल, स्कंद शुक्ला : MBA Student Ranbir Singh fake encounter : उत्तराखंड में खाकी ने 2009 में फर्जी इनकाउंटर के नाम पर जो खूनी खेल रचा, उसने पुलिस पर कभी न धुले जाने वाला धब्बा लगा दिया। उस वारदात को यादकर आज भी लोग सहम जाते हैं।

गाजियाबाद निवासी और देहरादून से एमबीए करने वाले छात्र रणबीर सिंह के फेक इनकाउंटर की गूंज पूरे देश में सुनाई दी थी। मामले की जांच सीबीआई (CBI) को देनी पड़ी थी। क्या थी फेक इनकाउंटर के पीछे की कहानी? किस तरह खाकी ने वारदात को दिया था अंजाम? सीबीआई जांच में क्या-क्या बातें आई थी सामने, चलिए जानते हैं।

दोस्त से मिलने के लिए निकला था रणवीर

तारीख तीन जुलाई, साल 2009 का दिन था। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल उत्तराखंड के दौरे पर थीं। उन्हें देहरादून में जौलीग्रांट से मसूरी जाना था। रणवीर अपनी बाइक से दोस्त रामकुमार के साथ मोहिनी रोड पर अशोक कुमार से मिलने गया। अशोक रामकुमार का दोस्त था। जिस जगह पर दोनों अशोक का इंतजार कर रहे थे, वहां पर आराघर चौकी इंचार्ज जेडी भट्ट वाहनों की चेकिंग कर रहे थे।

रणवीर और उसके दोस्तों का चौकी इंजार्च से हुआ था विवाद

राष्ट्रपति के काफिले की सूचना मिलने पर चौकी इंचार्ज इंचार्ज जेडी भट्ट ने वाहन चालकों को वहां से हटने के लिए कहा। रणवीर सिंह को उन्होंने संदिग्ध मानकर पूछाताछ की विवाद हो गया। इस पर चौकी इंचार्ज ने उसे गालियां दीं और उसकी बाइक पर डंडा दे मारा तब तक वहां पर अशोक भी आ गया था। इससे नाराज रणवीर सिंह और उसके दोस्तों ने चौकी इंजार्च को पीट दिया।

दोस्त हो गए थे फरार, रणवीर गिरफ्तार

चौकी इंचार्ज को पीटने की सूचना फैली तो महकमे में हड़कंप मच गया। मौके पर तत्कालीन डालनवाला थाना इंचार्ज संतोष कुमार जायसवाल पहुंचे और रणवीर को गिरफ्तार कर लिया गया। रामकुमार और अशोक कुमार घटना स्थल से फरार हो गए। पुलिस वालों ने तय किया कि रणवीर को उसकी करनी का सबक सिखाते हुए देसी तमंचा रखने के आरोप में जेल भेज दिया जाए।

रणवीर को लेकर दोस्त को भी पकड़ने गई थी पुलिस

साजिश रचने के लिए इंस्पेक्टर जायसवाल ने पुलिस कंट्रोल रूम में एक संदेश भी चलाया कि उन्होंने एक बदमाश को देसी तमंचे के साथ पकड़ा है। जिसके बाद पुलिसकर्मियों ने रणवीर को थर्ड डिग्री दी। इसके बाद उसे उसके दोस्त रामकुमार को पकड़ने के इरादे से पुलिस टीम धर्मशाला रोड पर बने फ्लैट नंबर 9 में ले गई। वहां पर रामकुमार नहीं मिला तो पुलिस रणवीर को वापस थाने ले गई। जहां फिर उसे थर्ड डिग्री दी गई।

पांच स्थानीय लोगों की बवाही बनी बड़ा आधार

जब पुलिस रणवीर को लेकर धर्मशाला रोड पर स्थित फ्लैट में गई थी। तब पांच स्थानीय लोगों ने पुलिस हिरासत में रणवीर को देखा था। उनकी गवाही से साबित हुआ कि रणवीर को पकड़ कर मारा गया है। मामले में अहम गवाह रामकुमार व अशोक कुमार ने घटना वाले दिन की उत्तराखंड पुलिस की सारी सच्चाई सीबीआई को बताई थी। अदालत में उनकी गवाही भी हुई। मगर, बाद में वे किन्हीं कारणों के चलते अपने बयान पर कायम नहीं रह पाए। हालांकि कोर्ट ने इस बात को अधिक तरजीह नहीं दी।

पुलिस ने बनाई थी ये कहानी

  • पुल‌िस की कहानी के मुताब‌िक 3 जुलाई 2009 को चौकी प्रभारी जीडी भट्ट दोपहर के समय वाहनों की चेकिंग कर रहे थे। इसी बीच मोटर साइकिल पर आए तीन युवकों को रोका गया तो उन्होंने भट्ट पर हमला कर उनकी सर्विस रिवाल्वर लूट ली।
  • लूटपाट के बाद तीनों बदमाश फरार हो गए। कंट्रोल रूम में सूचना प्रसारित होने के बाद सक्रिय हुई पुलिस ने बदमाशों की तलाश शुरू की गई। करीब दो घंटे बाद लाडपुर के जंगल में बदमाशों से मुकाबले का दावा किया गया।
  • आमने-सामने की फायरिंग में पुलिस ने रणवीर पुत्र रवींद्र निवासी खेकड़ा बागपत को मार गिराने का दावा किया था, जबकि उसके दो साथी फरार दर्शाए गए थे। मौके पर ही लाइसेंस के आधार पर उसकी पहचान कर दी गई थी। उस समय अफसरों ने भी मौके पर पहुंचकर पुलिस की पीठ थपथपाई थी।

दो पुलिस अधिकारियों को बचाया गया

फर्जी एनकाउंटर मामले में रायपुर थाने में एक मुकदमा दर्ज किया गया था। इस केस की फर्द में एक डीएसपी और एक सीओ स्तर के पुलिस अधिकारी का नाम भी था। मगर, बाद में उस फर्द को हटा कर दोबारा से नई फर्द लिखी गई। इसमें इंस्पेक्टर रैंक से ऊपर के अधिकारियों के नाम हटा दिए गए।

बरामद पिस्टल सब इंस्पेक्टर की नहीं

उत्तराखंड पुलिस ने रणवीर सिंह एनकाउंटर केस में कहानी बनाई थी कि रणवीर सिंह अपने दोस्तों के साथ मिलकर सब इंस्पेक्टर जेडी भट्ट की पिस्टल छीन कर ले गया। पुलिस ने उसका पीछा कर उसे एनकाउंटर में मार गिराया। सीबीआई ने खुलासा किया कि रणवीर की मौत के बाद जो पिस्टल बरामद दिखाई गई है, वो सब इंस्पेक्टर की थी ही नहीं।

एनकाउंटर से पहले दी गई थी थर्ड डिग्री

पुलिस के फेक इनकाउंटर की पोल पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी खोलती है। रिपोर्ट में कहा गया था कि रणवीर के शरीर पर 28 चोटें पाई गई थीं। करीब 22 गोलियों रणवीर के सीने में उतार दी गयी थीं। इसी हकीकत को आधार बनाकर परिजनों ने पुलिस के खिलाफ जंग लड़ी।

किन पर क्या थे आरोप

  • हत्या, अपहरण व आपराधिक षड्यंत्र : तत्कालीन इंस्पेक्टर डालनवाला एसके जायसवाल, आराघर चौकी इंचार्ज जीडी भट्ट, कांस्टेबल अजीत सिंह, एसओजी प्रभारी नितिन चौहान, एसओ राजेश बिष्ट ,सब इंस्पेक्टर नीरज यादव व चंद्रमोहन
  • साक्ष्य छिपाना : सौरभ नौटियाल, विकास बलूनी, सतबीर सिंह, चंद्र पाल, सुनील सैनी, नागेंद्र राठी व संजय रावत
  • सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ व साक्ष्य मिटाना : इंद्र भान सिंह, मोहन सिंह राणा, जसपाल गुसाईं व मनोज कुमार

सीबीआई ने 17 पुलिस वालों को ठहराया था दोषी

दिल्ली की सीबीआई अदालत ने उत्तराखंड के 17 पुलिसकर्मियों को फर्जी मुठभेड़ दोषी पाया था। अदालत ने उन्हें हत्या, सबूत नष्ट करने और आपराधिक साजिश का दोषी ठहराया था। एमबीए छात्र रणबीर सिंह पुलिस ने आरोप लगाया था कि वह फिरौती मांगने वाली गैंग का हिस्सा था।

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