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मेडिकल कॉलेज के पांच विभागों में बंद हो सकती है एमबीबीएस की पढ़ाई, जानिए कारण

राजकीय मेडिकल काॅलेज हल्‍द्वानी के पांच विभागों में एमबीबीएस की पढ़ाई बंद हो सकती है। एमसीआई ने कहा है कि जिन विभागाें में फैकल्‍टी पूरी नहीं होगी उनमें पढ़ाई बंद कर दी जाएगी।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 04 Mar 2019 02:55 PM (IST)
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मेडिकल कॉलेज के पांच विभागों में बंद हो सकती है एमबीबीएस की पढ़ाई, जानिए कारण
हन्‍द्वानी, जेएनएन : राजकीय मेडिकल काॅलेज हल्‍द्वानी के पांच विभागों में एमबीबीएस की पढ़ाई बंद हो सकती है। मेडिकल कांउसिल आफ इंडिया ने फरवरी में जारी पत्र में कहा है कि जिन विभागाें में फैकल्‍टी पूरी नहीं होगी उनमें एमबीबीएस की पढ़ाई बंद कर दी जाएगी।

मेडिकल कॉलेज के बायोकेमिस्‍ट्री विभाग में प्रोफेसर नहीं हैं। रेडियोलॉजी विभाग में प्रोफेसर, असिस्‍टें प्रोफेसर और सीनियर रेजिडेंट नहीं हैं। त्‍वचा रोग विभाग में असिस्‍टेंट प्रोफेसर और सीनियर रेजिडेंट नहीं हैं। एनेस्थिसिया और जनरल मेडिसिन विभाग में सीनियर रेजिडेंट की कमी है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने एक माह पहले (एमडी/एमएस) फैकल्‍टी पूरी न होने के कारण रेडियोलॉजी, फिजियोलॉजी और बायोकेमेस्ट्रिी विभाग की मान्‍यता रद कर दी थी। अगले सत्र से पीजी में दाखिला देने से पूर्व एमसीआई की अनुमति लेनी पड़ेगी। मेडिकल कॉउंसिल ऑफ इंडिया ने फरवरी के अंतिम सप्‍ताह में गाइडलाइन जारी कर कहा है कि फैकल्‍टी पूरी न होने पर एमबीबीएस का कोर्स भी बंद कर देंगे।

प्राचार्य ने कहा कि पांच विभागों में है सर्वाधिक संकट

मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डाॅ. सीपी भैंसोड़ा ने बताया कि मेडिकल कांउंसिल ऑफ इंडिया ने फरवरी में आदेश जारी किए हैं। फैकल्‍टी पूरी न होने पर एमबीबीएस की पढ़ाई पर भी ग्रहण लग जाएगा। पांच विभागाें में सबसे अधिक संकट है। कमी दूर करने का प्रयास किया जाएगा।

डॉक्‍टर पूरे नहीं कैसे मिलेगी 50 सीेटों की मान्‍यता

मेडिकल कॉलेज 550 बेड के लिए मेडिकल कांउसिल आफ इंडिया के लिए मानक पूरे नहीं हो पा रहे हैं। फैकल्‍टी की कमी के चलते पीजी (एमएस-एमडी) में रेडियोलाॅजी, फिजियोलॉजी व बायोकेमिस्‍ट्री विभाग की मान्‍यता रद्द हो चुकी है। ऐसे में 50 सीटों की मान्‍यता एमसीआई से कैसे मिल पाएगी यह बड़ा सवाल है। प्रोफेसर, असिस्‍टेंट प्रोफेसर और सीनियर रेजिडेंट की कमी के कारण पांच विभागोें में एमबीबीएस की पढ़ाई बंद होने का खतरा मंडरा रहा है। 150 बेड का नया अस्‍पताल 5857 लाख रुपये से बनना है। टोकल मनी के तौर पर एक करोड़ 65 लाख रुपये जारी हो चुके हैं, जबकि ट्रामा सेंटर के लिए 12 करोड़ रुपये में से 1.5 करोड रुपये मिल चुके हैं। बर्न यूनिट के लिए अभी राज्‍य सरकार से धनराशि नहीं मिली है। 150 बेड का नया अस्‍पताल बनने के बाद मेडिकल कालेज में बेडों की संख्‍या 700 हो जाएगी। अस्‍पताल बनने के बाद मेडिकल कॉलेज को 100 से सीेटों की संख्‍या बढ़ाकर 150सीटों की मान्‍यता के लिएएमसीआई से अनुमति लेनी होग।जिसके बाद एमसीआई की टीम निरीक्षण करने आएगी, और फैकल्‍टी न होने कारण सीटों पर ग्रहण लग सकता है।

अब तक 58 बाॅडधारी डॉक्‍टरों से वूसला गया जुर्माना

नए सत्र से राजकीय मेडिकल कॉलेज में बांड भरने की व्‍यवस्‍था खत्‍म कर दी जाएगी। बांड भरने की प्रक्रिया खत्‍म होने के साथ ही एमबीबीएस की पढ़ाई भी महंगी हो जाएगी। पिफलहाल 2004 से 2007 तक बांड भरकर एमबीबीएस करने वाले 58 डॉक्‍टरों से जुर्माना वसूला जा चुका है।

जानिए क्‍या थीं बांड की शर्तें

पाहले बांड भरकर एमबीबीएस करने वाले डॉक्‍टरों को पांच वर्ष अनिवार्य रूप से पहाड़ में सेवा देने की शर्त थी। बाद में नियम में संशोधन करके इस अवधिक को तीन वर्ष कर दिया गया। बांड भारने वाले एमबीबीएस छात्रों को महज 50000 हजार रुपये प्रतिवर्ष देना होता था, जबकि बांड न भरने वालों को चार लाख प्रतिवर्ष फीस देनी होती थी।

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