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आरजे पंकज जीना की आवाज में ताजा हो जाती है पहाड़ के गांवों की याद

ज्योलीकोट के चोपड़ा गांव के रहने वाले पंकज जीना अब आरजे पंकज के नाम से जाने जाते हैं। खास बात यह है कि उनकी आवाज में अक्सर पहाड़ की बात होती है। पहाड़ की खूबसूरती और किस्से बताने के साथ वह दर्द को भी बयां करते हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 27 Jul 2021 10:21 AM (IST)
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आरजे पंकज की आवाज में ताजा हो जाती है पहाड़ के गांवों की याद

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : हम लोग गांव से शहरों में तो निकल आते हैं, मगर अपने अंदर गांव हमेशा जिंदा रखते हैं। हेलो मेरा नाम पंकज जीना है। मुझे घर की कुछ चीजें बड़ी याद आ रही हैं। याद करता हूं कि कैसे कंधे पर रेडियो रख ग्वाला जाते थे। ज्योलीकोट के चोपड़ा गांव के रहने वाले पंकज जीना अब आरजे पंकज के नाम से जाने जाते हैं। खास बात यह है कि उनकी आवाज में अक्सर पहाड़ की बात होती है। पहाड़ की खूबसूरती और किस्से बताने के साथ वह दर्द को भी बयां करते हैं। और मौजूदा मुद्दों की बात भी होती है।

पंकज के दोस्त बताते है कि उसने सबसे पहले रेडियो आकाशवाणी से शुरुआत की। फिर रेड एफएम, फीवर एफएम व रेडियो सिटी 91.9 एफएफ में भी जलवा बिखेरा। भले नौकरी और अपने जुनून की वजह से घर से दूर रहना पड़ा। लेकिन पहाड़ से रिश्ता नहीं छूटा। अपनी आवाज के जरिये वह अक्सर पहाड़ों की बात करते हैं। एडिट के बाद तैयार किए गए वीडियो लोगों के स्टेटस और फेसबुक वॉल पर जरूर नजर आते हैं।

देखो यार मुझे क्लब, डेट और पार्टी का चक्कर समझ नहीं आता। कभी वक्त बिताना हो तो पहाड़ चलना। आंगन में आग जलाकर चाय पीते हुए पप्पू दा के गाने सुनेंगे। हम पहाड़ के लोग। हमने आपदाएं झेली, परेशानियों से लड़े। वो आपस में एक-दूसरे को लाटा-लाटी बुलाया करते थे। मडुवे की रोटी और साग साथ खाया करते थे। ऐसी कई वीडियो पंकज की आवाज में फेसबुक और इंस्टाग्राम पर युवाओं द्वारा काफी पसंद की जाती है।