गुरुग्राम से पहुंचे पिता को सीने से लगाना चाहता था बेटा, पिता दूर से मना कर क्वारंटाइन हो गए
गुरुग्राम की फैक्ट्री में काम करने वाला गणेश भट्ट छह माह बाद गांव लौटा है। पिता को देखकर तीन साल का बेटा उनकी तरफ दौड़ पड़ा।
हल्द्वानी, गणेश पांडे : गुरुग्राम की फैक्ट्री में काम करने वाला गणेश भट्ट छह माह बाद गांव लौटा है। पिता को देखकर तीन साल का बेटा उनकी तरफ दौड़ पड़ा। वह पिता से लिपटना चाहता था। बेटा उन तक पहुंचता उन्होंने पत्नी से बेटे को पकडऩे को कहा। खुद को पिता के पास जाने से रोकने पर बेटा रो पड़ा है। गणेश के पास बच्चे को मनाने के लिए कुछ था भी नहीं। कोरोना संकट के चलते वह अपनी बूढ़ी मां की पसंदीदा सिगोड़ी भी इस बार नहीं ला पाए। गणेश जैसे कितने ही परिवारों के लिए कोरोना एक त्रासदी की तरह है। लंबे इंतजार के बाद बेटे से मुलाकात भी हुई तो उसे गले से नहीं लगा सके।
गुरुग्राम से हल्द्वानी पहुंचे प्रवासी
गुरुग्राम से लेकर चली बस ने गणेश को हल्द्वानी के गौलापार स्टेडियम उतारा था। स्वास्थ्य परीक्षण के लिए यहां कुछ देर ब्रेक लेने के बाद दूसरी बस ने उन्हें गांव के करीब छोड़ दिया था। अल्मोड़ा जिले के भनोली तहसील के सलपड़ गांव निवासी गणेश भट्ट, उनका भाई त्रिलोचन भट्ट गुरुग्राम में अगल-अलग कंपनियों में काम करते हैं। त्रिलोचन की पत्नी, बेटा और गणेश दो दिन पहले रोडवेज की बस से गांव पहुंचे।
घर वालों ने बर्तन बिस्तर अलग किए
प्रशासन के निर्देशानुसार उन्होंने खुद को घर के अलग कमरे में क्वारंटाइन किया है। घर वालों ने उनके बर्तन, बिस्तर अलग कर दिया। यहां तक कि घर के शौचालय का उपयोग भी नहीं कर रहे। घर से सौ मीटर की दूरी पर अस्थायी शौचालय तैयार कर लिया। बुधवार को राजस्व उप निरीक्षक और ग्राम प्रहरी होम क्वारंटाइन किए लोगों का औचक निरीक्षण करने पहुंचे। टीम ने परिवार की पहल को देखकर काफी सराहा।
छह माह से दूर हैं, 14 दिन और सही
गणेश भट्ट ने बताया कि जब छह माह परिवार से दूर रह सकते हैं तो अपने और अपनों की सेहत के लिए दो सप्ताह और दूरी बनाने में किसी तरह की दिक्कत नहीं है। सभी प्रवासियों को होम क्वारंटाइन का पालन करना चाहिए। गणेश ने बताया कि वह अपने तीन साल के बेटे को दुलारना चाहते थे, लेकिन अपनों की सेहत को देखते हुए उसे गोद में उठा भी नहीं सकते।
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