खेतों की सिंचाई कब करनी है बताएगा मोबाइल एप, घर बैठे कर सकेंगे चला सकेंगे पानी
राजदीप ने स्मार्ट डिप एप डिजाइन किया है जो किसानों को बताएगा कि खेत में कब और कितने पानी की आवश्कता है। इसके लिए खेत में सेंसर लगाया जाएगा।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 19 Jul 2020 05:58 PM (IST)
काशीपुर, अभय पांडेय : जल संरक्षण की दिशा में बेहतरीन प्रयास हुआ है। काशीपुर आइआइएम के फाउंडेशन ऑफ इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप विंग (फीड) से प्रशिक्षण लेने वाले राजदीप ने इस दिशा में बेहतरीन प्रयास किया है। उन्होंने स्मार्ट डिप एप डिजाइन किया है जो किसानों को बताएगा कि खेत में कब और कितने पानी की आवश्कता है। इसके लिए खेत में सेंसर लगाया जाएगा। वह खेत की नमी की मात्रा को एप के जरिये प्रदर्शित करेगा। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के माध्यम से बोरिंग से भी इसका कनेक्शन होगा। इसके माध्यम से किसान घर बैठे मोबाइल से सिंचाई शुरू और बंद कर सकते हैं। मूलत: ग्वालियर के रहने वाले राजदीप के इस स्मार्ट ड्रिप प्रोजेक्ट को आइआइटी मद्रास व काशीपुर आइआइएम ने भी मान्यता दी है।
लाखों का पैकेज छोड़कर चुना जल संरक्षण का रास्ता ग्वालियर के डीडी नगर निवासी राजदीप पांडेय ने वर्ष 2014 में आइटीएम यूनिवर्सिटी से कैमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद एनआइटी सूरत से रिसर्च भी किया। इस दौरान उनका रुझान जल संरक्षण क्षेत्र में हुआ। वर्ष 2016 से आइआइटी मुंबई में प्रोजेक्ट इंजीनियर के तौर पर काम किया, लेकिन इस बीच नौकरी की जगह अपना स्टार्टअप शुरू करने की जिज्ञासा इन्हें फिर ग्वालियर खींच लाई। 2018 से प्रोजेक्ट पर काम शुरू किए। आइआइएम काशीपुर और आइआइटी ने भी सराहा। 2019 में सक्षम प्रोग्राम के तहत स्टार्टअप की ट्रेनिंग काशीपुर फीड आइआइएम से ली। इसके बाद कृषि मंत्रालय से प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग मिली।
जल संरक्षण के साथ कृषि क्षेत्र में आएगी क्रांति
किसानों सिंचाई और खेतों में नमी बनाए रखने की चिंता होती है। राजदीप पांडे ने किसानों की यह मुसीबत कम करने के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण का बीड़ा उठाया है। इनका पायलट प्रोजेक्ट ग्वालियर के शारदा बाल ग्राम में लगाया गया है, जो काफी सफल है। चेन्नई की एक निजी कंपनी इसकी फंडिंग भी कर रही है।
खाद की कमी पर भी अलर्ट एप से यह भी पता चल जाएगा कि खेत में खाद की मात्रा की कितनी जरूरत है। इसके लिए किसान का स्वायल हेल्थ कार्ड एप के माध्यम से डाउनलोड होता है, जिसके बाद प्रत्येक खेत के हिसाब से खाद की मात्रा का आंकड़ा एप में फीड हो जाता है। इसके लिए बोङ्क्षरग मशीन की पाइप के साथ तरल खाद की सप्लाई की जाती है। पानी के साथ-साथ खेतों में खाद भी पहुंचती है। शिवेन, सीईओ, फीड काशीपुर ने बताया कि राजदीप जल संरक्षण की दिशा में शानदार काम कर रहे हैं। उनका यह प्रयास युवाओं के लिए मिसाल है। फीड टीम उन्हें शोध के माध्यम से हमेशा मदद देती रहेगी।
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