15 चुनाव होने के बाद दिग्गजों की सीट पर नहीं हुआ 50 प्रतिशत से अधिक मतदान
संसदीय सीट पर आजादी के 72 साल बाद पिछले चुनाव में पहली बार यहां मतदान प्रतिशत 50 के आंकड़े को पार कर सका।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 26 Mar 2019 11:00 AM (IST)
हल्द्वानी, गोविंद बिष्ट : लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग हर तरह से तैयारियों में जुटा है। बात अगर अल्मोड़ा संसदीय सीट की करें तो आजादी के 72 साल बाद पिछले चुनाव में पहली बार यहां मतदान प्रतिशत 50 के आंकड़े को पार कर सका। 15 चुनाव होने के बाद इस पर्वतीय सीट पर आधे वोटरों ने मताधिकार का प्रयोग किया। जबकि बड़े-बड़े दिग्गज यहां से चुनाव जीत चुके हैं।
इस सीट पर अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर व चम्पावत जिले के लोग वोटर हैं। टनकपुर को छोड़कर बाकी पूरा एरिया पर्वतीय है। 1952 के पहले चुनाव में यहां 29 प्रतिशत वोट पड़े। जबकि दूसरे आम चुनाव 1957 में ग्राफ गिरकर 19 फीसद पहुंच गया। वहीं, 1977 में आपातकाल के बाद हुए चुनाव में आंकड़ा बढ़कर 44 फीसद पहुंचा। तब भाजपा के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी ने फतह हासिल की थी। हालांकि छह प्रतिशत मत और बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग को 37 साल इंतजार करना पड़ा। 2014 के चुनाव में यहां 53 फीसद वोट पड़े थे। तब सांसद बने भाजपा के अजय टम्टा को केंद्र में राज्यमंत्री भी बनाया गया।
1952 से 2014 तक के चुनावों में वोटिंग की तस्वीर
चुनाव वोट पड़े
1952 27
1957 19
1962 27.301967 28
1971 291977 44
1980 381984 45
1989 441991 40.12
1996 43.381998 46.45
1999 41.822004 49.892009 46.752014 53चार केंद्रीय मंत्री व दो सीएम दिए अल्मोड़ा सीट से सांसद रह चुके हरीश रावत, बची सिंह रावत व अजय टम्टा को केंद्र में मंत्री बनने का मौका मिला। हालांकि हरीश रावत हरिद्वार से सांसद बनने पर 2009 में भी मंत्री बने थे। वहीं भगत सिंह कोश्यारी व हरीश रावत का गृह जनपद इसी लोकसभा सीट के तहत आता है। दोनों ने प्रदेश में मुख्यमंत्री का पद भी संभाला। वहीं, अल्मोड़ा से सांसद रह चुके मुरली मनोहर जोशी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के साथ केंद्र में मंत्री का दायित्व भी निभा चुके हैं।88 प्रतिशत गांव व 11 फीसद शहर विधानसभा चुनाव के दौरान हुए सर्वे में पता चला था कि इस सीट का 88 प्रतिशत एरिया ग्रामीण है। सिर्फ 11 फीसद में शहरी क्षेत्र है। वहीं, कम वोटिंग की एक बड़ी वजह पहाड़ से पलायन व दुर्गम एरिया होना भी है।अब तक के सांसद स्वतंत्रता सेनानी बद्री दत्त पांडे, देवी दत्त पंत, हरगोविंद पंत, जंग बहादुर बिष्ट, नरेंद्र सिंह बिष्ट, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, हरीश रावत, बची सिंह रावत, प्रदीप टम्टा व अजय टम्टा।यह भी पढ़ें : सोशल मीडिया में हरीश रावत सर्वाधिक लोकप्रिय, 3.21 लाख फॉलोअर हैं ट्विटर परयह भी पढ़ें : अंतिम समय पर हरदा की नामांकन रैली में पहुंचीं नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश, महेंद्र रहे दूर
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