कुमाऊं में डेढ दशक में वन्यजीव संघर्ष में दो सौ से अधिक लोग और इतने ही आदमखोर मारे गए
प्राकृतिक भोजन की कमी और अंधाधुंध शिकार के कारण अब पर्वतीय जिलों में मानव जीव संघर्ष एक बड़ी परेशानी के रूप में उभर कर सामने आ रहा है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Fri, 11 Oct 2019 03:00 PM (IST)
अल्मोड़ा, जेएनएन : प्राकृतिक भोजन की कमी और अंधाधुंध शिकार वके कारण अब पर्वतीय जिलों में मानव जीव संघर्ष एक बड़ी परेशानी के रूप में उभर कर सामने आ रहा है। इन हमलों में जहां परिवार लगातार तार तार होते जा रहे हैं। वहीं भोजन की कमी के कारण लगातार आदमखोर हो रहे गुलदारों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। वर्ष 2005 के बाद की आंकड़ों की बात करें तो कुमाऊं के चार जिलों अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और चंपावत में शिकारी दो सौ से अधिक आदमखोर तेंदुए को ढेर किया जा चुका है, तो इतने ही लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
मानव वन्य जीव हमलों के मामले में अगर गुलदार के हमलों की बात करें तो आंकड़े चौंका देने वाले हैं। पिछले कुछ सालों में गुलदार कई लोगों और मवेशियों को अपना शिकार बना चुका है। लगातार बढ़ रही यह समस्या जंगलों में जंगली जानवरों के अवैध शिकार और वनाग्नि के कारण पैदा हो रही है। हर साल प्रदेश के पर्वतीय जिलों में सैकड़ों हेक्टेयर जंगल धू धू कर राख में तब्दील हो जा रहे हैं। जिस कारण जंगलों का जीवन चक्र भी लगातार टूटता जा रहा है। परिणाम गुलदार ने पर्वतीय जिलों में आबादी का रूख करना शुरू कर दिया है। भोजन न मिल पाने के कारण अब वह मवेशियों और इंसानों को अपना शिकार बना रहा है, लेकिन कई योजनाएं बनाने के बाद भी उनके क्रियान्वयन में वन महकमा लगातार नाकाम साबित हो रहा है। जिसका खामियाजा इंसानों को भुगतना पड़ रहा है।
पिछले कुछ सालों में तेंदुए के हमले में मृत व घायलों की संख्या वर्ष - हमले में मारे गए लोग - घायल
2010-11 - 04 - 082011-12 - 00 - 07
2012-13 - 01 - 182013-14 - 03 - 182014-15 - 02 - 252015-16 - 09 - 312016-17 - 02 - 202017-18 - 02 - 16
2018-19 (अब तक) - 03 - 28
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।वर्ष 2017-18 में वन्यजीव में 85 लोगों की मौत
मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकना उत्तराखंड और वन विभाग दोनों के लिए बड़ी चुनौती है। पूरा राज्य जंगली जानवरों के हमले से प्रभावित है। गढ़वाल में तेंदुओं का आतंक है तो कुमाऊं के रामनगर-हल्द्वानी बेल्ट में जंगली हाथियों और पर्वतीय जिलों में तेंदुओं के हमले बढ़ रहे हैं। राज्य में वर्ष 2017-18 में बाघ, तेंदुए और अन्य वन्यजीवों के हमले में कुल 85 लोग मारे गए। इसकी एवज में राज्य सरकार ने 130.90 लाख रुपये बतौर मुआवज़ा दिए। इसी अवधि में वन्यजीवों ने 436 लोगों को घायल किया और मुआवजे के तौर पर कुल 67.26 लाख रुपये दिया गया। वर्ष 2017-18 में वन्यजीवों के हमले में 12,546 पशु मारे गए। जिसके लिए 188.75 लाख रुपये बतौर मुआवजा दिया गया। जंगली जानवरों ने इस दौरान 1497.779 हेक्टेअर क्षेत्र में फसल को नुकसान पहुंचाया। जिसके एवज में वन विभाग ने 78.748 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति दी।संघर्ष रोकने के लिए जंगल के जीवन चक्र को बचाना जरूरी
जॉय व्हिकल, शार्प शूटर, देहरादून ने बताया कि मानव वन्य जीव संघर्ष को रोकने के लिए जंगलों के जीवन चक्र के बचाना काफी जरूरी है। जब तक इसके लिए ठोस कार्ययोजना नहीं बनेगी और वनों का दोहन नहीं रोका जाएगा। जब तक इस समस्या से निजात नहीं मिल पाएगी।