पिछले साल देशभर में सबसे अधिक तेंदुओं की मौत उत्तराखंड में, पांच सौ पूरे देश में मरे NAINITAL NEWS
पिछले साल देश में गुलदारों की सबसे ज्यादा मौत उत्तराखंड में हुई है। यह चौंकाने वाला खुलासा वाइल्ड लाइफ प्रोटक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में हुआ है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Fri, 19 Jul 2019 09:51 AM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : पिछले साल देश में गुलदारों की सबसे ज्यादा मौत उत्तराखंड में हुई है। यह चौंकाने वाला खुलासा वाइल्ड लाइफ प्रोटक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में हुआ है। गुलदार की जान गंवाने वाले राज्यों में महाराष्ट्र दूसरे व राजस्थान तीसरे नंबर पर है। साल 2018 में भारत में करीब पांच सौ गुलदार अलग-अलग वजहों से मारे गए थे।
गुलदार की कभी सटीक गणना नहीं होती। बाघ गणना के दौरान कैमरा में कैद हुए गुलदारों का एक डाटा तैयार किया जाता है। उत्तराखंड में गुलदार की अच्छी खासी संख्या मानी जाती है। वाइल्ड लाइफ प्रोटक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के गुलदार की मौत मामले में देश के टॉप फाइव राज्य उत्तराखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश है। साल की शुरूआत से उत्तराखंड में गुलदारों की मौत का मामला अगले राज्यों की तुलना में बढ़ता ही गया। वन विभाग से लेकर वन्यजीव प्रेमियों तक को यह रिपोर्ट चौंकाती है।
गुलदार की कभी सटीक गणना नहीं होती। बाघ गणना के दौरान कैमरा में कैद हुए गुलदारों का एक डाटा तैयार किया जाता है। उत्तराखंड में गुलदार की अच्छी खासी संख्या मानी जाती है। वाइल्ड लाइफ प्रोटक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के गुलदार की मौत मामले में देश के टॉप फाइव राज्य उत्तराखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश है। साल की शुरूआत से उत्तराखंड में गुलदारों की मौत का मामला अगले राज्यों की तुलना में बढ़ता ही गया। वन विभाग से लेकर वन्यजीव प्रेमियों तक को यह रिपोर्ट चौंकाती है।
शिकार की वजह से 37 प्रतिशत मौत
रिपोर्ट के मुताबिक पांच सौ गुलदार में से 169 की मौत शिकार की वजह से हुई। कुल मौतों का यह 37 प्रतिशत है। जबकि 331 ने अलग-अलग वजहों से अपनी जान गंवाई। खाल बरामद भी आधार
तस्करों से बरामद खाल को भी गिनती में शामिल किया जाता है। इसके अलावा हादसे, बीमारी, आपसी संघर्ष, आदमखोर घोषित होने की वजह से मारे गए गुलदार व ग्रामीणों द्वारा आत्मसुरक्षा में मारे गए गुलदारों की संख्या भी इसमें शामिल होती है। संस्था देश के अलग-अलग वन विभागों द्वारा एकत्र किए गए रिकॉर्ड के आधार पर रिपोर्ट तैयार करती है।
रिपोर्ट के मुताबिक पांच सौ गुलदार में से 169 की मौत शिकार की वजह से हुई। कुल मौतों का यह 37 प्रतिशत है। जबकि 331 ने अलग-अलग वजहों से अपनी जान गंवाई। खाल बरामद भी आधार
तस्करों से बरामद खाल को भी गिनती में शामिल किया जाता है। इसके अलावा हादसे, बीमारी, आपसी संघर्ष, आदमखोर घोषित होने की वजह से मारे गए गुलदार व ग्रामीणों द्वारा आत्मसुरक्षा में मारे गए गुलदारों की संख्या भी इसमें शामिल होती है। संस्था देश के अलग-अलग वन विभागों द्वारा एकत्र किए गए रिकॉर्ड के आधार पर रिपोर्ट तैयार करती है।
आठ साल बाद कम कमजोर होने लगता
वन विभाग का कहना है कि गुलदारों की मौत की बड़ी वजह आपसी व अन्य वन्यजीवों के साथ संघर्ष भी है। भोजन व इलाके में एकाधिकार को लेकर भी गुलदार आपस में लड़ते हैं। गुलदार की अधिकतम उम्र 12 साल होती है। आठ साल बाद यह कमजोर होने लगते हैं। टॉप फाइव राज्यों का आंकड़ा
वन विभाग का कहना है कि गुलदारों की मौत की बड़ी वजह आपसी व अन्य वन्यजीवों के साथ संघर्ष भी है। भोजन व इलाके में एकाधिकार को लेकर भी गुलदार आपस में लड़ते हैं। गुलदार की अधिकतम उम्र 12 साल होती है। आठ साल बाद यह कमजोर होने लगते हैं। टॉप फाइव राज्यों का आंकड़ा
राज्य गुलदार मौत की संख्या
उत्तराखंड 98
महाराष्ट्र 97
राजस्थान 54
एमपी 43
यूपी 29 देश में हर साल गुलदार पर बढ़ रहा खतरासाल मौत
2014 331
2015 339
2016 440
2017 431
2018 500 29 जुलाई को पता चलेगा कितने बाघ
बाघ गणना का काम पूरा हो चुका है। 29 जुलाई को यह डाटा जारी होगा। उत्तराखंड वन महकमे को पूरी उम्मीद है कि इस बार संख्या बढ़ेगी। क्योंकि पहाड़ी एरिया भी शामिल किए गए हैं। पिछले साल देश में पांच सौ गुलदार मरे
टीटो जोजेफ, प्रोग्राम मैनेजर, वाइल्ड लाइफ प्रोटक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया ने बताया कि पिछले साल देश में पांच सौ गुलदार मरे। इनमें सबसे ज्यादा संख्या उत्तराखंड से है। शिकार के अलावा अन्य कई वजहों से गुलदार की मौत हुई है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।उत्तराखंड 98
महाराष्ट्र 97
राजस्थान 54
एमपी 43
यूपी 29 देश में हर साल गुलदार पर बढ़ रहा खतरासाल मौत
2014 331
2015 339
2016 440
2017 431
2018 500 29 जुलाई को पता चलेगा कितने बाघ
बाघ गणना का काम पूरा हो चुका है। 29 जुलाई को यह डाटा जारी होगा। उत्तराखंड वन महकमे को पूरी उम्मीद है कि इस बार संख्या बढ़ेगी। क्योंकि पहाड़ी एरिया भी शामिल किए गए हैं। पिछले साल देश में पांच सौ गुलदार मरे
टीटो जोजेफ, प्रोग्राम मैनेजर, वाइल्ड लाइफ प्रोटक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया ने बताया कि पिछले साल देश में पांच सौ गुलदार मरे। इनमें सबसे ज्यादा संख्या उत्तराखंड से है। शिकार के अलावा अन्य कई वजहों से गुलदार की मौत हुई है।