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Mother's Day Special: दो बच्चों को पालने के लिए 52 साल तक घर-घर बर्तन धोती रही मां, 10 साल तक करती रहीं संघर्ष, अब मिले 50 हजार

Mothers Day Special पालीसीट में किराए पर रहने वाली देवकी देवी बताती हैं कि वह तीन-चार भाई बहनों में सबसे बड़ी थीं। इसलिए मां ने 15 साल की उम्र होते ही हल्द्वानी में रहने वाले रोहताश नाम के युवक से शादी करा दी। ति एयरफोर्स में थे लेकिन शादी के तीन साल बाद नौकरी छोड़कर घर आ गए। घर आकर जवान ने पत्नी को भी छोड़ दिया।

By Deep belwal Edited By: Nirmala Bohra Updated: Sun, 12 May 2024 01:09 PM (IST)
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Mother's Day Special: 10 साल बाद अनुदान मिला तो जवान की पत्नी ने बर्तन धोना छोड़ा

दीप बेलवाल, जागरण हल्द्वानी : Mother's Day Special: देवकी देवी की उम्र 70 वर्ष है। उनके हिस्से में हर बार परेशानियां ही आईं। पिता ने दुनिया छोड़ी तो मां ने 15 वर्ष की उम्र में शादी करा दी। पति एयरफोर्स में थे, लेकिन शादी के तीन साल बाद नौकरी छोड़कर घर आ गए। घर आकर जवान ने पत्नी को भी छोड़ दिया।

दो बच्चों को लेकर दर-दर भटकी मां ने किराए पर कमरा लिया। बच्चों का पालन-पोषण किया। जिंदगी भर वह लोगों के घरों में बर्तन धोती रही। 10 साल पहले उन्होंने सैनिक कल्याण एवं पुर्नवास केंद्र से 50 हजार के आंशिक अनुदान के लिए आवेदन किया। एक दशक बाद अब जाकर उन्हें अनुदान मिला है। इसलिए देवकी देवी ने बर्तन धोना छोड़ दिया है।

15 साल की उम्र में हो गई थी शादी

पालीसीट में किराए पर रहने वाली देवकी देवी बताती हैं कि वह तीन-चार भाई बहनों में सबसे बड़ी थीं। इसलिए मां ने 15 साल की उम्र होते ही हल्द्वानी में रहने वाले रोहताश नाम के युवक से शादी करा दी। रोहताश तब एयरफोर्स में थे, मगर शादी के तीन साल बाद ही नौकरी छोड़कर घर आ गए। कुछ दिन सब ठीक रहा। बाद में पति ने उन्हें भी छोड़ दिया।

पति ने जब उन्हें छोड़ा, तब उनकी उम्र 18 वर्ष की थी। तब से वह अपने दो बच्चों को पालने के लिए संघर्ष करती रहीं। लोगों के घरों में बर्तन धोए। चार घरों में बर्तन धोने जाती थी। हर घर से एक-एक हजार रुपये मिलते थे। इसी से बच्चों की पढ़ाई व घर का चूल्हा जलता था। चूंकि पति नौकरी छोड़कर आए थे, इसलिए देवकी को पेंशन नहीं मिल पाई।

10 साल पहले उन्हें पता चला कि सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास केंद्र के रिलीफ फंड से 50 हजार का अनुदान मिलता है। इस पर देवकी ने भी आवेदन कर दिया, लेकिन अनुदान नहीं मिल सका। दो महीने पहले उन्होंने यह बात सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास केंद्र के सहायक अधिकारी पुष्कर सिंह भंडारी को बताई। पुष्कर सिंह भंडारी ने बताया कि पर्याप्त कागज नहीं होने पर अनुदान नहीं मिल रहा था।

उन्होंने सारे कागजात लगाकर दोबारा आवेदन किया। एक सप्ताह पहले 50 हजार का चेक मिल चुका है। चेक मिलने के बाद देवकी मिठाई का डिब्बा लेकर सहायक अधिकारी से मिलने पहुंचीं और बताया कि उन्होंने अब लोगों के घरों में बर्तन धोना छोड़ दिया है। भंडारी ने बताया कि देवकी देवी को पैन्यूरी ग्रांट से भी 48 हजार रुपये दिलाने के प्रयास होंगे।

चार हजार रुपये किराया

देवकी देवी बताती है कि उन्होंने बेटी की शादी कर दी है। अब उनसे ज्यादा काम भी नहीं होता है। जहां रहती हैं, उस कमरे का चार हजार रुपये किराया देना पड़ता है। कई बार वह जहां बर्तन धोने जाती थीं, वहीं से खाना भी ले आती थीं।

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