उत्तराखंड के पर्वतारोही पंकज मेहता की अगुवाई में कनामो पीक पर लहराया सौ मीटर लंबा तिरंगा
अल्मोड़ा उत्तराखंड निवासी और वायु सेना में कार्यरत पर्वतारोही में पंकज सिंह मेहता (Pankaj Singh Mehta) ने कमाल किया है। उनके नेतृत्व में पर्वतारोहियों ने हिमाचल प्रदेश की कनामो चोटी (Kanamo Peak ) पर रिकार्ड समय में सौ मीटर लंबा तिरंगा फहराकर रिकार्ड बनाया है।
दीप सिंह बोरा, रानीखेत : वायु सेना में तैनात उत्तराखंड अल्मोड़ा निवासी पर्वतारोही (mountaineer) पंकज सिंह मेहता (Pankaj Singh Mehta) ने कमाल किया है। पंकज के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिले में 5974 मीटर ऊंचई पर स्थित कनामो चोटी (Kanamo Peak ) पर रिकार्ड समय में पर्वतारोहियों ने सौ मीटर लंबा तिरंगा फहराकर विश्व रिकार्ड बनाया है।
इससे पहले तलहटी से बेस कैंप तक दो घंटे में पहुंच चोटी पर कोई पर्वतारोही तिरंगा नहीं फहरा सका है। पंकज अब गढ़वाल के कठिन ग्लेशियरों में शुमार 7075 मीटर की ऊंचाई पर माउंट सतोपंथ की चोटी पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने रवाना हो गए हैं। इस जुनूनी का अगला लक्ष्य एवरेस्ट के शिखर पर तिरंगा लहराना है।
अल्मोड़ा जिले के रानीखेत से लगी कोसी घाटी स्थित महतगांव निवासी पंकज सिंह मेहता वायु सेना में तैनात हैं। उनकी अगुआई में 13 सदस्यीय दल बीते 27 अगस्त को किब्बर गांव पहुंचा। दोपहर दो बजे यहां से चढ़ाई शुरू की और सिर्फ दो घंटे में दुरूह सफर तय कर 4937 मीटर की ऊंचाई पर कनामो पीक के बेस कैंप पर पहुंच गई।
अगले दिन तड़के तीन बजे पर्वतारोही दल ने चोटी पर पहुंचने को कदम बढ़ाए। पंकज के मुताबिक सुबह 10 बजे बफीर्ली हवा के तीखे झोंकों को चीरते हुए कनामो पीक समिट पर पहुंचने के बाद 12:09 मिनट पर पर्वतारोहियों ने 5974 मीटर की ऊंचाई पर चोटी पर सौ मीटर लंबा राष्ट्रीय ध्वज फहरार कर विश्वव रिकार्ड अपने नाम कर लिया।
धोती पहन पहुंचे संत अभिराम
पर्वतारोही पंकज के मुताबिक टीम में 28 वर्षीय काशी (उत्तर प्रदेश) के संत महाराज अभिराम दास भी रहे। उन्होंने पूरा ट्रैक धोती पहनकर किया। इसके अलावा सुनेहा जैन (राजस्थान), कल्पना शर्मा (महाराष्ट्र), सुखवीर सिंह (पंजाब) के साथ ही हिमाचल आदि राज्यों के पर्वतारोही शामिल रहे। पंकज मेहता अपने जुनून से अन्य सदस्यों का हौसला भी बढ़ाते रहे और आखिर में मंजिल तक पहुंचकर लौट भी आए।
पंकज मेहता की उपलब्धियां
बीते पांच वर्षों में पर्वतारोही पंकज मेहता ने इससे पूर्व एवेरेस्ट बेस कैंप तक ट्रैक किया। इसके अलावा रिकार्ड समय में उत्तरकाशी (गढ़वाल) के पश्चिमी छोर पर 6387 मीटर ऊंचा माउंट ब्लैक पीक, 6111 मीटर ऊंचा माउंट यूनाम पीक हिमाचल प्रदेश पर भी देश का झंडा फहरा चुके हैं। बीते वर्ष ओसाेम से साइकिल यात्रा लेकर उत्तराखंड का भ्रमण किया।
महतगांव निवासी बलवंत सिंह मेहता के पुत्र पंकज ने 8वीं तक विवेकानंद विद्या मंदिर व जीआईसी चौखुटिया से 12वीं पास किया। बागेश्वर महाविद्यालय से बीएससी उत्तीर्ण करने के बाद वर्ष 2005 में वह भारतीय वायु सेना में भर्ती हो गए। वर्तमान में वह तकनीशियन के पद पर ओसोम में तैनात हैं।
ऐसे मिली पंकज मेहता को प्रेरणा
जागरण से खास बातचीत में पंकज मेहता ने बताया कि वह वर्ष 2015 में पहली बार केदारनाथ पहुंचे। वहां से बिल्कुल करीब से हिमालयराज के दिव्य दर्शन के बाद पर्वतारोहण की धुन सवार हुई। पंकज मेहता ने जवाहर पर्वतारोहण एवं शीतकालीन खेल संस्थान नुनवान पहलगाम (जम्मू कश्मीर) तथा राष्ट्रीय पर्वतारोहण संस्थान दिरंगा (अरुणाचल प्रदेश) से विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया।
फिर पंकज ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। उन्होंने एवेरेस्ट बेस कैंप, रूपकुंड, कागभूसुंडी ट्रेक, फूलों की घाटी, गोचाला, पंच केदार, जुको वैली ट्रेक (नागालैंड), रेनबो वाटरफाल (मेघालय), कलापत्थर (नेपाल), गोक्यो लेक ट्रेक और भी दर्जनों ट्रेक कर चुके हैं।
रिकार्ड समय में सफर पूरा किया
टीम लीडर पर्वतारोही दल पंकज मेहता ने कहा कि जज्बा होना चाहिए बड़ी ऊंचाइयां भी छोटी लगने लगती हैं। जब देश का नाम ऊंचा करने की बात हो तो रगों में खून और तेजी से दौड़ने लगता है। हमने रिकार्ड समय में यह सफर पूरा किया।
कनामो पीक पर अब तक किसी ने झंडा नहीं फहराया है। यह विश्व रिकार्ड मेरे देश और पर्वतारोही सदस्यों को समर्पित है। हम अब माउंट सतोपंथ की चोट पर भी झंडा फहराने रवाना हो गए हैं। यह चढ़ाई किसी चुनौती से कम नहीं है। तकनीकी रूप से तो और भी जटिल। इसे हम एवरेस्ट की चढ़ाई से पूर्व एक आदर्श प्रशिक्षण के रूप में ले रहे हैं।