शत्रु संपत्ति मेट्रोपोल में बनेगी मल्टीस्टोरी पार्किंग व हेलीपैड, केंद्र सरकार ने दी सहमति
पर्यटन नगरी में पार्किंग की समस्या के स्थायी समाधान की दिशा में डीएम विनोद कुमार सुमन की पहल परवान चढ़ गई है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 08 May 2019 10:07 AM (IST)
नैनीताल, किशोर जोशी : पर्यटन नगरी में पार्किंग की समस्या के स्थायी समाधान की दिशा में डीएम विनोद कुमार सुमन की पहल परवान चढ़ गई है। जिला प्रशासन की ओर से शत्रु संपत्ति मेट्रोपोल में पार्किंग को लेकर तैयार प्रस्ताव पर केंद्र सरकार ने सहमति जता दी है। इस भूमि के मिलने के बाद बहुमंजिला पार्किंग, हेलीपैड बनाने का रास्ता साफ हो जाएगा। इसके अलावा छावनी परिषद क्षेत्र में भी पार्किंग के लिए तीन एकड़ खाली भूमि राज्य सरकार को मुहैया कराने के प्रस्ताव पर रक्षा मंत्रालय ने सकारात्मक रुख दिखाया है।
सोमवार को नैनीताल क्लब में बातचीत में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि केंद्र सरकार ने शत्रु संपत्ति मेट्रोपोल की भूमि राज्य सरकार को देने पर सहमति प्रदान कर दी है, जबकि नैनीताल से दो किमी दूर रक्षा संपदा विभाग की कैलाखान में तीन एकड़ भूमि पर पार्किंग उपयोग को लेकर भेजे गए प्रस्ताव पर रक्षा मंत्रालय गंभीर है। जल्द यह भूमि भी मिल जाएगी। इस भूमि पर प्रस्तावित बहुमंजिला पार्किंग में डेढ़ से दो हजार वाहन पार्क हो सकेंगे। मुख्यमंत्री के निर्देश पर डीएम विनोद कुमार सुमन द्वारा पिछले साल 12 अगस्त को यह प्रस्ताव भेजा गया था।
जानिए क्या है शत्रु संपत्ति का इतिहास
मेट्रोपोल शत्रु संपत्ति का निर्मित क्षेत्रफल 11,385 वर्ग मीटर, जबकि रिक्त भूमि व परिसर का क्षेत्रफल 22,489 वर्ग मीटर है। इस संपत्ति की अनुमानित कीमत करीब 90 करोड़ है। राजा मोहम्मद अमीर अहमद खान निवासी महमूदाबाद, जिला सीतापुर की यह संपत्ति 1965 में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से प्रकाशित गजट के आधार पर शत्रु संपत्ति घोषित हुई थी। इसका कुल क्षेत्रफल 8.72 एकड़ है। वर्तमान में इसमें तीन सौ वाहनों की पार्किंग की जा रही है, जबकि हाई कोर्ट के आदेश पर अधिवक्ताओं के लिए सौ वाहनों की पार्किंग आरक्षित है। आइआइटी दिल्ली की ओर से मेट्रोपोल में बहुमंजिला पार्किंग का सुझाव दिया गया था। जिला प्रशासन के आंकलन के अनुसार यदि यह संपत्ति नीलाम होगी तो इसका बाजार मूल्य सौ से 125 करोड़ होगा। साथ ही आपात स्थिति के उपयोग के लिए मेट्रोपोल में हेलीपैड का प्रस्ताव भी इसमें शामिल है। यहां बता दें कि नैनीताल में कुल पार्किंग क्षमता 3085 वाहनों की है। जबकि आइआइटी दिल्ली के अध्ययन के अनुसार पर्यटन सीजन में रोजाना 4600 वाहन प्रवेश करते हैं।
जानें किसे कहते हैं शत्रु संपत्ति
1947 में देश के बंटवारे, 1962 में चीन, 1965 और 1971 पाकिस्तान के खिलाफ हुई जंगों के दौरान या उसके बाद भारत छोड़कर पाकिस्तान या चीन चले गए नागरिकों को भारत सरकार शत्रु मानती है और उनकी संपत्तियों काे शत्रु संपत्ति पाकिस्तान, चीन के अलावा दूसरे देशों की नागरिकता ले चुके लोगों और कंपनियों की संपत्ति भी शत्रु संपत्ति में शामिल है। ऐसी संपत्तियों की देखरेख के लिए सरकार एक कस्टोडियन की नियुक्ति करती है। भारत सरकार ने 1968 में शत्रु संपत्ति अधिनियम लागू किया था, जिसके तहत शत्रु संपत्ति को कस्टोडियन में रखने की सुविधा प्रदान की गई। केंद्र सरकार ने इसके लिए कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी विभाग का गठन किया है, जिसे शत्रु संपत्तियों को अधिग्रहित करने का अधिकार है।
शत्रु संपत्ति संशोधन कानून 2017
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- संसद ने 2017 में शत्रु संपत्ति कानून संशोधन विधेयक को मंजूरी दी, जिसमें युद्धों के बाद पाकिस्तान और चीन पलायन कर गए लोगों द्वारा छोड़ी गई संपत्ति पर उत्तराधिकार के दावों को रोकने के प्रावधान किए गए हैं।
- विधेयक के मुताबिक अब किसी भी शत्रु संपत्ति के मामले में केंद्र सरकार या कस्टोडियन द्वारा की गई किसी कार्रवाई के संबंध में किसी वाद या कार्यवाही पर विचार नहीं किया जाएगा।
- शत्रु संपत्ति के मालिक का कोई उत्तराधिकारी भी यदि भारत लौटता है तो उसका इस संपत्ति पर कोई दावा नहीं होगा। एक बार कस्टोडियन के अधिकार में जाने के बाद शत्रु संपत्ति पर उत्तराधिकारी का कोई अधिकार नहीं होगा।
- शत्रु के वारिस के भारतीय होने या शत्रु अपनी नागरिकता बदलकर किसी और देश का नागरिक बन जाए, ऐसी स्थितियों भी शत्रु संपत्ति कस्टोडियन के पास ही रहेगी।
- नए कानून के मुताबिक, शत्रु संपत्ति अब उस हालात में संपत्ति के मालिक को वापस दी जाएगी, जबकि वो सरकार के पास आवेदन भेजेगा और संपत्ति शत्रु संपत्ति नहीं पाई जाएगी।
- नए कानून के मुताबिक, कस्टोडियन को शत्रु संपत्ति को बेचने का अधिकार भी होगा, जबकि पिछले कानून के मुताबिक, अगर संपत्ति के संरक्षण या रखरखाव के लिए जरूरी हो तभी संपत्ति को बेचा जा सकता था।
- पिछले कानून के मुताबिक, शत्रु संपत्ति से होने वाली आय का इस्तेमाल शत्रु के वारिस, अगर वो भारत के नागरिक हों तो कर सकते थे. जबकि नए कानून में ये प्रावधान खत्म कर दिया गया है।