बांबे हाई कोर्ट के जस्टिस ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिख कही ये बात UTTARAKHAND NEWS
उत्तराखंड की चार धाम यात्रा में सरकार के बेहतर दावों के बीच बांबे हाईकोर्ट के जस्टिस ने यात्रा सुविधाओं पर सवाल उठाते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट को पत्र भेजा है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 29 Jun 2019 12:09 PM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा मार्ग में सरकार भले ही बेहतर इंतजाम का दावा कर रही हो मगर यहां की अव्यवस्थाओं व खामियों को लेकर बांबे हाई कोर्ट के न्यायाधीश ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं। इस पत्र का जनहित याचिका के रूप में नैनीताल हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया है। इसमें मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव तीर्थाटन, बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला पंचायत उत्तरकाशी को पक्षकार बनाया है। साथ ही सरकार को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
शुक्रवार को हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में मामले पर सुनवाई हुई। बांबे हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति केआर श्रीराम ने 15 जून को नैनीताल हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों को हो रही दिक्कतों व अव्यवस्थाओं को उजागर किया है। उन्होंने कहा है कि चारधाम में आपदा का इंतजार हो रहा है। यमुनोत्री में तत्काल सुरक्षा इंतजाम करने की जरूरत है। खुद के चारधाम यात्रा के दौरान के अनुभव बयां करते हुए कहा कि यात्रा मार्ग में कई किमी दूर तक पुलिस का जवान मौजूद नहीं रहता है। इस परिस्थिति में स्वास्थ्य या आपातकाल में मदद की उम्मीद नहीं की जा सकती। यात्रा मार्ग पर बैठने को बैंच, कुर्सी अथवा दूसरी सुविधा की कमी है। उन्होंने खच्चर से और परिवार के अन्य सदस्यों ने मिट्टी से भरे कट्टे वाले पथरीले रास्तों से यात्रा तय की। इतने लंबे मार्ग में आराम करने के लिए कोई जगह नहीं मिली।
शुक्रवार को हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में मामले पर सुनवाई हुई। बांबे हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति केआर श्रीराम ने 15 जून को नैनीताल हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों को हो रही दिक्कतों व अव्यवस्थाओं को उजागर किया है। उन्होंने कहा है कि चारधाम में आपदा का इंतजार हो रहा है। यमुनोत्री में तत्काल सुरक्षा इंतजाम करने की जरूरत है। खुद के चारधाम यात्रा के दौरान के अनुभव बयां करते हुए कहा कि यात्रा मार्ग में कई किमी दूर तक पुलिस का जवान मौजूद नहीं रहता है। इस परिस्थिति में स्वास्थ्य या आपातकाल में मदद की उम्मीद नहीं की जा सकती। यात्रा मार्ग पर बैठने को बैंच, कुर्सी अथवा दूसरी सुविधा की कमी है। उन्होंने खच्चर से और परिवार के अन्य सदस्यों ने मिट्टी से भरे कट्टे वाले पथरीले रास्तों से यात्रा तय की। इतने लंबे मार्ग में आराम करने के लिए कोई जगह नहीं मिली।
हेलीकॉप्टर के लिए करना पड़ा साढ़े तीन घंटे इंतजार
न्यायाधीश के अनुसार उनका दल फाटा से केदारनाथ व केदारनाथ से फाटा हेलीकॉप्टर से आया-गया। केदारनाथ में हेलीकॉप्टर के लिए साढ़े तीन घंटे इंतजार करना पड़ा। वहां आराम कक्ष भी नहीं था। उत्तराखंड पुलिस ने उन्हें व उनकी पत्नी को अपने कक्ष में बैठने के लिए स्थान मुहैया कराया मगर आम यात्रियों के आराम करने के लिए कोई जगह नहीं है। कोई मेडिकल सुविधा भी नहीं है। यात्रा मार्ग में सामान्य भोजन की व्यवस्था नहीं है। कई स्थानों पर दुकानें इतनी नजदीक बनी हैं कि आग लगने व भगदड़ मचने की स्थिति में अत्यधिक जानमाल का नुकसान हो सकता है। बद्रीनाथ व गंगोत्री में अगर आग लगती है तो बचने के लिए कोई जगह नहीं है। इन परिस्थितियों में अग्निशमन विभाग भी काम नहीं कर सकेगा। संपर्क करने के लिए मोबाइल नेटवर्क का अभाव है। केंद्रीय योजना से प्रभावित
जस्टिस केआर श्रीराम ने पांच पेज के पत्र में कहा है कि 22 मई से पहली जून तक 11 सदस्यीय दल को चारधाम यात्रा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। कहा है कि उत्तराखंड बेहद खूबसूरत है। गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ व बद्रीनाथ को जोडऩे वाली केंद्र सरकार की फोर लेन योजना ने सभी के दिलों को खुश कर दिया है।
न्यायाधीश के अनुसार उनका दल फाटा से केदारनाथ व केदारनाथ से फाटा हेलीकॉप्टर से आया-गया। केदारनाथ में हेलीकॉप्टर के लिए साढ़े तीन घंटे इंतजार करना पड़ा। वहां आराम कक्ष भी नहीं था। उत्तराखंड पुलिस ने उन्हें व उनकी पत्नी को अपने कक्ष में बैठने के लिए स्थान मुहैया कराया मगर आम यात्रियों के आराम करने के लिए कोई जगह नहीं है। कोई मेडिकल सुविधा भी नहीं है। यात्रा मार्ग में सामान्य भोजन की व्यवस्था नहीं है। कई स्थानों पर दुकानें इतनी नजदीक बनी हैं कि आग लगने व भगदड़ मचने की स्थिति में अत्यधिक जानमाल का नुकसान हो सकता है। बद्रीनाथ व गंगोत्री में अगर आग लगती है तो बचने के लिए कोई जगह नहीं है। इन परिस्थितियों में अग्निशमन विभाग भी काम नहीं कर सकेगा। संपर्क करने के लिए मोबाइल नेटवर्क का अभाव है। केंद्रीय योजना से प्रभावित
जस्टिस केआर श्रीराम ने पांच पेज के पत्र में कहा है कि 22 मई से पहली जून तक 11 सदस्यीय दल को चारधाम यात्रा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। कहा है कि उत्तराखंड बेहद खूबसूरत है। गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ व बद्रीनाथ को जोडऩे वाली केंद्र सरकार की फोर लेन योजना ने सभी के दिलों को खुश कर दिया है।
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