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गुफा में रहकर साधना करने वाले बाबा की हत्‍या, साथ में रहने वाला व्‍यक्ति गंभीर रूप से घायल

अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे पर स्थित कैंची धाम से करीब दो किमी दूर गुफा में रहने वाले बाबा व उनके साथी पर देर रात संदिग्ध लोगों ने धारधार हथियारों व डंडो से हमला कर दिया।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Fri, 31 Jan 2020 05:05 PM (IST)
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गुफा में रहकर साधना करने वाले बाबा की हत्‍या, साथ में रहने वाला व्‍यक्ति गंभीर रूप से घायल
रानीखेत/गरमपानी, जेएनएन : अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे पर स्थित कैंची धाम से करीब दो किमी दूर गुफा में रहने वाले बाबा व उनके साथी पर देर रात संदिग्ध लोगों ने धारधार हथियारों व डंडो से हमला कर दिया। सूचना पर पहुंचे ग्रामीण गंभीर रूप से घायल बाबा व दूसरे व्यक्ति को अस्पताल लेकर पहुंचे जहां बाबा ने दम तोड़ दिया। घटना से क्षेत्र में हडकंप मचा हुआ है।

लूटपाट के इरादे से बदमाशों ने किया था हमला

कैंची धाम के ठिक ऊपर स्थित थुआ की पहाडी़ में बाबा केशर नाथ (103) बीते 20 वर्षों से एक गुफा में निवास कर रहे थे आसपास के लोग ही बाबा की सेवा भी करते थे। पिछले कुछ दिनों से बाबा अस्वस्थ थे गांव में रहने वाले तीरथ सिंह मेहता उनकी सेवा कर रहे थे। गुरुवार देर रात कुछ लोगों ने गुफा में घुस लूटपाट के इरादे से बाबा व बाबा के साथ रह रहे व्यक्ति पर धारदार हथियारों से हमला कर दिया। बाबा व तीरथ को बेरहमी से पीटा गया। हो हल्ला होने पर संदिग्ध लोग मौके से फरार हो गए।

घटना के बाद से दहशत में लोग

आसपास के लोग मौके पर पहुंचे और आपातकालीन 108 सेवा को सूचना दी।108 सेवा से दोनों को सीएचसी भवाली ले जाया गया जहां बाबा ने दम तोड़ दिया। वहीं धीरज सिंह का प्राथमिक उपचार किया गया। घटना से क्षेत्र में हड़कंप मचा हुआ है। ग्राम प्रधान पंकज निगल्टीया व ग्रामीणों ने घटना का खुलासा किए जाने की मांग उठाई है।

एसएसपी ने किया घटना स्‍थल का निरीक्षण

घटना की सूचना मिलने के बाद एसएसपी सुनील कुमार मीणा ने सीओ अनुषा बडोला, कोतवाल आशुतोष सिंह, चौकी प्रभारी खैरना आशा बिष्ट,एसएसआई के साथ हुआ की पहाड़ी पर स्थित गुफा का मौका मुआयना किया। फॉरेंसिक टीम ने भी साक्ष्य जुटाए। बाबा की कुटिया से एक लाख रुपया नगद व थोडी़ मात्रा में चरस बरामद की गई है। बाबा पर हमला किस मकसद से किया गया अभी यह साफ नहीं हो सका है।

एक साल पहले भी हुआ था बाबा पर हमला

स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार बाबा पर करीब एक वर्ष पूर्व भी हमला हुआ था तब भी बाबा बाल-बाल बचे थे। बीते शनिवार को भी कुछ अज्ञात लोग कुटिया में पहुंचे थे। लेकिन बाबा बाहर नहीं निकले। दबी जुबान लोग बताते हैं कि कुछ लोग चरस पीने की फिराक में भी कुटिया तक पहुंचते थे। अंदेशा जताया कि चरस पीने के विवाद को लेकर ही बाबा पर हमला किया गया।हालांकि हत्या की असल वजह अभी सामने नहीं आ सकी है।

आर्मी से सेवानिवृत्‍त हैं बाबा

गरुड़ निवासी बाबा सेना से अवकाश प्राप्त थे। प्रतिमाह पच्चीस हजार रुपया उनको पेंशन भी मिलती थी।उन्होंने गुफा के आसपास काफी कार्य भी कराएं। लोगो को उस स्थान से काफी आस्था भी थी। बाबा ग्रामीणों को बताते थे कि उन्होंने वर्ष 1965 व 1971 की लड़ाई में युद्ध में हिस्सा भी लिया था। बाबा के शरीर में गोलियों के काफी निशान भी थे।

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