नैना देवी बर्ड कंजर्वेशन रिजर्व को नियंत्रित टूरिज्म के रूप में किया जाएगा विकसित
प्रदेश की चौथी संरक्षण आरक्षिति के रूप में पहचान रखने वाले नैनादेवी हिमालयन बर्ड कंजर्वेशन रिजर्व को बहुत जल्द नियंत्रित ट्यूरिज्म स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 17 Aug 2020 11:27 AM (IST)
नैनीताल, नरेश कुमार : प्रदेश की चौथी संरक्षण आरक्षिति के रूप में पहचान रखने वाले नैनादेवी हिमालयन बर्ड कंजर्वेशन रिजर्व को बहुत जल्द नियंत्रित ट्यूरिज्म स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। जिसके लिए वन विभाग ने कवायद शुरू कर दी है। योजना के तहत कार्बेट की तर्ज पर यहां पहुंचने वाले पर्यटकों से टिकट के रूप में शुल्क वसूला जाएगा। बदले में पर्यटकों को टैक्सी, बर्डवाचिंग, पर्यटन गाइड की सुविधा देते हुए क्षेत्र में मौजूद पक्षियों, जानवरों और वनस्पतियों के बारे में जानकारी दी जाएगी। स्थानीय लोगों को इससे जोड़ते हुए रोजगार मुहैया कराने की भी योजना है। योजना के क्रियान्वयन के लिए जल्द बैठक और कमेटी गठित कर निर्णय लिया जाएगा।
शहर के समीप टांकी वन चौकी से शुरू होने वाला किलबरी, पंगूट, कुंजखड़क तक का वन क्षेत्र घने जंगल और जैव विविधता के लिए पहचाना जाता है। यहां वन्यजीव, वनस्पति और हिमालयी परिंदे बहुतायत में पाए जाते है। छोटे से भू क्षेत्र में परिंदों की सैकड़ो प्रजातिया पाए जाने के कारण इनके संरक्षण और संवर्धन के लिए 111.91 वर्ग किमी क्षेत्र को 2015 में प्रदेश की चौथी संरक्षण आरक्षिति घोषित किया गया। परिंदों को निहारने और कैमरे में कैद करने हर वर्ष हजारों देशी और विदेशी पर्यटक यहां पहुचते है। जो कि निशुल्क इसका आनंद लेते है।
अब वन विभाग इससे आमदनी की कवायद में जुट गया है। वन क्षेत्राधिकारी ममता चंद ने बताया कि कंजर्वेशन रिजर्व में पर्यटकों के लिए टिकट सिस्टम लागू करने पर विचार किया जा रहा है। इससे होने वाली आमदनी से क्षेत्र में पर्यटन पाइंट विकसित करने के साथ ही पर्यटकों के लिए सुविधाओ में विस्तार किया जाएगा। पर्यटकों को यहा टैक्सी, पर्यटन गाइड जैसी सुविधाएं दी जाएगी। शुल्क लगने से जहां एक ओर आमदनी होगी वही दूसरी ओर अनावश्यक लोगों की आवाजाही भी नियंत्रित हो पायेगी।
बीजूलाल टीआर डीएफओ वन प्रभाग नैनीताल ने बताया कि बर्ड रिजर्व में बाहरी लोगों की अनावश्यक आवाजाही रोकने और विभाग की आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य से टिकट सिस्टम लागू किया जाना है। इसकों लेकर जल्द ग्रामीणों के साथ मिलकर कमेटी का गठन किया जाएगा। जिसके बाद आगे की योजना बनाई जाएगी। ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ेगा रिजर्व
नैना देवी बर्ड रिजर्व में शुल्क सिस्टम लागू होने के बाद इसके क्रियान्वयन के लिए लोगों की प्रतिपूर्ति विभागीय कर्मियों से नहीं बल्कि ग्रामीणों से की जाएगी। रेंजर ममता चंद ने बताया कि रिजर्व क्षेत्र के अंदर और आसपास 15 गाँव मौजूद है। ग्रामीणों को शैक्षिक योग्यता और प्रतिभा के आधार पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिनको गाइड, सिक्योरिटी, टैक्सी आदि माध्यमों से रोजगार दिया जाएगा।
250 से अधिक पक्षी प्रजातियों से घिरा है क्षेत्रबर्ड रिजर्व में स्थानीय प्रजातियों के साथ ही प्रवासी पक्षी बहुतायत में है। प्रसिद्ध फोटोग्राफर पद्मश्री अनूप साह ने बताया कि रिजर्व में गिद्ध, हिमालयी ग्रिफॉन, कलजी तीतर, कोक्लास, रॉक बंटिंग, ग्रीन टेल्ड सनबर्ड, चीर फिजेंड, स्कूप आउल समेत 250 से अधिक पक्षियों की प्रजातिया मौजूद है। प्रवासी पक्षियों का भी यहां लगातार आना रहता है। जिससे कई बार उच्च हिमालयी क्षेत्र और तराई के कई सकटग्रस्त पक्षी यहां पहुंचते है। रेड डाटा बुक में दर्ज चीर फिजेंड और सराव भी यहां पाया जाता है। बताया कि विश्व में विलुप्त मानी जाने वाली माउंटेन क्वेल भी आखिरी बार इसी जंगल के आस-पास देखी गई थी।
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