नैनीताल की मोमबत्ती, कुमाऊंनी पिछौड़ा, रामनगर की लीची और रामगढ़ के आड़ू को मिलेगा जीआइ टैग!
नैनीताल की मोमबत्ती (candle of Nainital) कुमाऊंनी पिछौड़ा (Kumaoni Pichoda) रामनगर की लीची (Ramnagar litchi) और रामगढ़ के आड़ू (Ramgarh peach) को जीआइ टैग दिलाने को लेकर एक साल से कार्य किया जा रहा है। कैंडल और पिछौड़े के लिए आवेदन चेन्नई स्थित पंजीकरण कार्यालय को भेजा जा चुका है।
जागरण संवाददाता,नैनीताल : नैनीताल की मोमबत्ती (candle of Nainital), कुमाऊंनी पिछौड़ा (Kumaoni Pichoda), रामनगर की लीची (Ramnagar litchi) और रामगढ़ के आड़ू (Ramgarh peach) को अब वैश्विक पहचान मिलेगी। जिला प्रशासन ने जिले के इन चार उत्पादों को जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI Tag) दिलाने की कवायद शुरू की है। इससे पारंपरिक कलाकारों व काश्तकारों की आर्थिकी भी सुधरेगी।
दो दशक पूर्व तक नैनीताल की मोमबत्ती बेहद प्रसिद्ध हुआ करती थी। जिस कारण बाजार खासकर पर्यटकों में इसकी अच्छी खासी मांग भी थी। मगर चाइनीज मोमबत्तियों ने पारंपरिक रूप से हाथ से बनाई जाने वाली इन मोमबत्तियों का स्थान ले लिया। जिस कारण शहर में कैंडल बनाने वाले दर्जनों लोग अब यह काम छोड़ चुके है। वहीं रामगढ़ का आडू़, रामनगर की लीची और कुमाऊंनी पिछौड़े की अपनी अलग पहचान है।
मुख्य विकास अधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि चारों उत्पादों को जीआइ टैग दिलाने को लेकर एक साल से ही कार्य किया जा रहा था। कैंडल और पिछौड़े के लिए आवेदन चेन्नई स्थित पंजीकरण कार्यालय को भेजा जा चुका है। आड़ू व लीची के लिए भी सप्ताह भर में आवेदन कर दिया जाएगा। कैंडल और पिछौड़े के लिए उद्योग विभाग और आडू़ व लीची के लिए रामगढ़ निवासी पद्मश्री सौरभ श्रीवास्तव की ओर से आर्थिक सहयोग भी किया गया है।
जीआई टैग से मिलेगी वैश्विक पहचान
डीएम नैनीताल धीराज गब्र्याल ने बताया कि देश-विदेश से पर्यटक घूमने के लिए नैनीताल आते हैं मगर हमारे पास ऐसा कोई प्रमाणित उत्पाद नहीं है जिसे हम इस क्षेत्र विशेष का बता सकें। जीआइ टैग मिल जाने से चारों उत्पादों को देश में ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी। जिससे उत्पादों की मांग में भी वृद्धि होगी। मोमबत्ती बनाना छोड़ चुके पुराने कामगारों को रोजगार भी मिलेगा। काश्तकारों को आड़ू व लीची के अच्छे दाम मिल पाएंगे।