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Nainital High Court के महाधिवक्ता ने याचिकाकर्ता को कहा ब्लैकमेलर, कोर्ट ने मांगा आय का विवरण

Nainital High Court गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ऋतु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने याचिका को निरस्त करने योग्य बताया। महाधिवक्ता ने याचिकाकर्ता पर तमाम गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वह आए दिन सरकार को ब्लैकमेल करता है। कोर्ट ने मौखिक तौर पर याचिकाकर्ता से मासिक आय का विवरण आदि से संबंधित अन्य सवाल भी पूछे।

By kishore joshi Edited By: Nirmala Bohra Published: Fri, 05 Jul 2024 09:39 AM (IST)Updated: Fri, 05 Jul 2024 09:39 AM (IST)
Nainital High Court: कुछ मामलों में सुप्रीम कोर्ट से स्पेशल काउंसिल बुलाने के मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई

जागरण संवाददाता, नैनीताल। Nainital High Court: कुछ विशेष मामलों में सरकार की ओर से प्रभावी पैरवी के लिए सुप्रीम कोर्ट से स्पेशल काउंसिल बुलाने व राज्य सरकार की ओर से उन्हें प्रति सुनवाई लाखों का भुगतान किए जाने के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई।

गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ऋतु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने याचिका को निरस्त करने योग्य बताया। साथ ही मामले में मुख्यमंत्री व मुख्य स्थायी अधिवक्ता (सीएससी) को पक्षकार बनाने का कड़ा विरोध किया। महाधिवक्ता ने याचिकाकर्ता पर तमाम गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वह आए दिन सरकार को ब्लैकमेल करता है। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से याचिकाकर्ता पर लगाए जा रहे आरोपों की पूरी रिपोर्ट दस दिन के भीतर पेश करने को कहा है।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को भी दस दिन के भीतर शपथपत्र देकर यह बताने को कहा है कि वह कितना आयकर देते हैं और अभी तक उनकी ओर से कितने सामाजिक कार्य किए गए हैं। कोर्ट ने मौखिक तौर पर याचिकाकर्ता से मासिक आय का विवरण आदि से संबंधित अन्य सवाल भी पूछे। अगली सुनवाई दस दिन बाद होगी।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता चोरगलिया निवासी भुवन पोखरिया ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि विपक्षियों को याचिका में इसलिए पक्षकार बनाया गया है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट से स्पेशल काउंसिल नियुक्त करने के लिए न तो मुख्य सचिव और न ही न्याय विभाग से अनुमति ली गई है।

स्पेशल काउंसिल नियुक्त कर उन्हें लाखों का भुगतान कर दिया गया। जिसकी अनुमति शासनादेश नहीं देता इसलिए इसकी जांच की जाए। यहां तक कि विशेष काउंसिल नियुक्ति वाले मामलों में सरकार करीब 70 प्रतिशत केस हार गई। उनकी ओर से लगाए गए आरोप जांच योग्य हैं।

साथ ही उन पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं, उनका प्रमाण वह पहले से ही कोर्ट में प्रस्तुत कर चुके हैं। अगर वह दोषी पाए जाते है तो उन्हें कोर्ट से ही जेल भेज दिए जाए। इधर, याचिकाकर्ता भुवन पोखरिया ने लिखित बयान जारी कर कहा है कि महाधिवक्ता की ओर से उन्हें खनन माफिया व खनन का ठेकेदार बताया गया है।


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