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हल्द्वानी शिफ्ट हाेने पर जानें क्या होगा नैनीताल हाई कोर्ट के भवन का, दिलचस्प है इस अनूठे भवन के बनने की कहानी

Nainital High Court Building 1896 में अंग्रेजी सरकार ने नैनीताल के बांर्सडेल एस्टेट का अधिग्रहण कर लिया और अधिशासी अभियंता एफ. ओ ओरटेल की देखरेख में भवन का निर्माण शुरू कराया। वर्ष 1900 में गौथिक शैली में यह भवन बनकर तैयार हो गया जिसे अंग्रेजों ने अपना सचिवालय बनाया।

By Rajesh VermaEdited By: Updated: Wed, 16 Nov 2022 04:38 PM (IST)
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नैनीताल स्थित हाई कोर्ट की बिल्डिंग अब धरोहर बन जाएगी।
राजेश वर्मा, हल्द्वानी। Nainital High Court Building: धामी सरकार ने नैनीताल स्थित हाई कोर्ट को हल्द्वानी शिफ्ट (Nainital High Court shifting) करने का निर्णय ले लिया है। इसकी चर्चा काफी पहले से चल रही थी, मगर सरकार की तरफ से आज इस चर्चा पर कैबिनेट में मुहर लगा दी गई। अब जल्द ही हल्द्वानी में उत्तराखंड के हाई कोर्ट का नया भवन तैयार होगा। सभी न्यायाधीश भी हल्द्वानी शिफ्ट होंगे। इसके साथ ही नैनीताल स्थित हाई कोर्ट की बिल्डिंग अब धरोहर बन जाएगी।

नैनीताल में हाई कोर्ट जिस बिल्डिंग में संचालित होती है, उसके निर्माण और इसी बिल्डिंग में हाई कोर्ट संचालित करने की कहानी दिलचस्प है। आज बात इसी कहानी पर, जिसमें हम आपको बताएंगे कि कैसे हुआ था धरोहर बन चुकी अंग्रेजों के जमाने की इस ऐतिहासिक बिल्डिंग का निर्माण और कैसे शुरू हुआ नैनीताल की इस बिल्डिंग में हाई कोर्ट का संचालन।

बात पहले ऐतिहासिक भवन के निर्माण की

वर्तमान हाई कोर्ट के इस भवन के निर्माण की कहानी शुरू होती है ब्रिटिश काल में वर्ष 1862 में। उस समय उत्तर पश्चिमी प्रांत में भीषण गर्मी पड़ने के कारण अंग्रेजों को सरकारी काम निपटाने में दिक्कत होती थी। ऐेसे में उत्तर पश्चिमी प्रांत के लिए किसी ठंडे जगह पर ग्रीष्मकालीन राजधानी और वहां कामकाज के लिए सचिवालय निर्माण की जरूरत महसूस हुई। फिर जगह चुनी गई नैनीताल।

  • साल 1896 में अंग्रेजी सरकार ने नैनीताल के बांर्सडेल एस्टेट का अधिग्रहण कर लिया और अधिशासी अभियंता एफ. ओ ओरटेल की देखरेख में भवन का निर्माण शुरू कराया। इस तरह वर्ष 1900 में गौथिक शैली (gothic style) में यह भवन बनकर तैयार हो गया, जिसे अंग्रेजों ने अपना सचिवालय बनाया।

भूकंपरोधी है यह भवन

नैनीताल के इतिहासकार एवं कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रो. अजय रावत के मुताबिक, अंग्रेजों ने अपने सचिवालय का निर्माण गौथिक शैली (gothic style) में कराया था। इस शैली की उत्पत्ति उत्तरी फ्रांस, इंग्लैंड और उत्तर इटली के लोंबार्डी में हुई थी। इस शैली में पत्थरों को इस तरह से तराशा जाता है कि उनकी लंबाई चौड़ाई और सतही संरचना एक प्रकार होती है। यही नहीं, इस निर्माण में जिस मसाले का इस्तेमाल किया गया, उसे उड़द की दाल, गुड़ और पत्थर के चूरे से तैयार किया गया था। इससे भवन में एक लचीलापन आ जाता है, जो इसे भूकंपरोधी बनाता है। नैनीताल का यह भवन इसी शैली का अद्भुत नमूना है। नैनीताल का राजभवन भी इसी शैली से बनाया गया।

बात अब हाई कोर्ट बनने की

देश आजाद होने के बाद संयुक्त प्रांत जो बाद में उत्तर प्रदेश बना, की राजधानी लखनऊ बना। मगर वर्ष 2000 तक जब तक उत्तर प्रदेश का विभाजन नहीं हुआ, अंग्रेजों के जमाने की तरह ही नैनीताल उत्तर प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी बना रहा। गर्मियों में सरकारी कामकाज यहीं से संचालित होते। अंग्रेजों के बनाए सचिवालय भवन में अब भी सचिवालय का काम होता।

  • जब उत्तर प्रदेश का विभाजन कर नया और अलग राज्य उत्तराखंड बनाया गया तो सचिवालय और राजभवन पहले से ही नैनीताल में होने के कारण इसे उत्तराखंड की राजधानी बनाना तय माना जा रहा था। मगर कुछ लोग इसके विरोध में उतर आए, जिसके बाद उत्त्रराखंड की राजधानी देहरादून बना दी गई।
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जेटली ने की थी नैनीताल में हाई कोर्ट बनाने की घोषणा

देहरादून के प्रदेश की राजधानी बनने के बाद अब राज्य के लिए उच्च न्यायालय की बात उठी तो इसके लिए कुमाऊं के लोेग एकजुट होने लगे। ऐसे में उस समय केंद्रीय कानून मंत्री रहे अरुण जेटली की बड़ी भूमिका सामने आई। अरुण जेटली का नैनीताल से पुराना और घनिष्ठ संबंध रहा है। वर्ष 2000 में नैनीताल आकर जेटली ने ही हाईकोर्ट नैनीताल में ही बनाने की घोषणा कर दी। उस समय जेटली ने बचपन से ही नैनीताल के प्रति लगाव का जिक्र भी किया था।

कौन थे नैनीताल हाई कोर्ट के पहले जज

कॉलेज के दिनों के अरुण जेटली के मित्र आईएएस अधिकारी विजय भूषण का घर नैनीताल में ही मल्लीताल में था। जेटली अक्सर उनके घर आया करते थे। 9 नवंबर 2000 को जब उत्तराखंड राज्य की स्थापना की गई तो इसके साथ ही नैनीताल में अंग्रेजों के बनाए सचिवालय भवन में हाईकोर्ट का भी उद्घाटन हुआ। 2000 में सृजन के समय स्वीकृत जजों की संख्या 7 थी, जिसे 2003 में बढ़ाकर 9 कर दिया गया। न्यायमूर्ति अशोक देसाई ने हाई कोर्ट का उद्घाटन किया था। वह यहां के पहले न्यायमूर्ति भी थे।

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